अन्तागढ़ सम्भाग के अंतर्गत उपगढ़ भैंसासुर के पाली ग्राम हल्बा सिकसोड़ में हल्बा जनजाति एवं उनकी संस्कृति को जानने पहुँचे…भूलन द मेज फ़िल्म के निर्माता मनोज वर्मा एवं सहायक संचालक टी.आर.आई अमर दास, निर्मल बघेल…
LOKASAR ANTAAGADH
हल्बा जनजाति एवं उनकी संस्कृति को जानने पहुँचे…भूलन द मेज फ़िल्म के निर्माता मनोज वर्मा अपने ग्रुप के साथ। उम्मीद जताई गई है कि आने वाले दिनों में हल्बा जनजाति एवं उनकी संस्कृति को लेकर टेली फ़िल्म बनाई जा सकती है। ऐसी संभावना व्यक्त किए हैं कृष्ण पाल राणा व दामेसाय बघेल जो कि सामाजिक कार्यकर्ता एवम् हल्बा जनजाति की संस्कृति सहेजने में लगे हुए हैं।
⭕हल्बा समाज के लोगों के द्वारा पिला चांवल से तिलक लगाकर आत्मीय स्वागत किया गया।इसके पश्चात महिलाओं के द्वारा स्वयं के हाथों से चिवड़ा कूटकर सरई(साल) पेड़ के पत्तों से दोनी(बनाकर)चिवड़ा,चाय,पानी परोसा गया।
⭕महिलाओं के द्वारा धनकुल गीत, सुआ नृत्य, लेन्जा नृत्य किया गया।
⭕युवतियों के द्वारा डंडा नृत्य करते हुए गायन किया गया।

⭕समाज के लोगों के द्वारा छेर छेरा नृत्य किया गया।
⭕महिलाओं के द्वारा धान को हल्का गर्म पानी मे उबालकर हंडी को आग से गर्म करके उबले हुए धान को भुना गया उसके बाद ओखली में सबल से कुटा गया जिससे चिवड़ा तैयार किया गया और ताजा ताजा परोसा गया।
⭕सरई के पत्ता से दोना बनाकर भोजन एवं मड़िया पेज परोसा गया।
⭕समाज के लोगों के द्वारा हल्बा समाज पर आधारित हल्बा जनजाति की जीवन शैली पर, खान- पान, पहनावा पर विस्तृत चर्चा किया गया।
इनकी रही मौजूदगी- कृष्ण पाल राणा(18गढ़ महासचिव) किशोर धनेलिया(गढ़ अध्यक्ष पोड़गाव) बहादुर देहारी(सम्भाग अध्यक्ष अन्तागढ़) मेहर सिंह पुंगड़ा(अध्यक्ष उपगढ़ भैंसासुर) पवन धनेलिया(सचिव उपगढ़ भैंसासुर) दुलम सिंह देहारी(संरक्षक हल्बा समाज) राजे सिंह रौतिया(संरक्षक हल्बा समाज) बिनेश्वर बैध(संरक्षक हल्बा समाज) कुबेर चुरपाल(संरक्षक हल्बा समाज) दिलीप बघेल(समाजिक सदस्य) दामेसाय बघेल संरक्षण, शिवप्रसाद बघेल बांगाचार गढ़ अध्यक्ष 32 गढ़, भारत भंडारी, ललित बघेल(अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ) रामेश्वर देहारी(सचिव युवा प्रकोष्ठ)एवं इस कार्यक्रम में महिला, पुरुष ,युवा वर्ग ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिए।

