विश्व खेल पत्रकार दिवस: खेलकूद का जीवन में बढ़ता महत्व

सम्मानित करने के लिए होनी चाहिए कार्ययोजना

(वरिष्ठ खेल पत्रकार जसवंत क्लाडियस की कलम से)

LOKASAR RAIPUR

मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्यों के जीवन शैली में परिवर्तन आने लगा। शुरुवाती दौर में मनुष्य अपने आपको सुरक्षित रखने के लिए उपाय करता था। फिर अपने झुंड,कबीले को एकजुट करने पर ध्यान देता था। प्राचीनतम इतिहास का अध्ययन करने पर स्पष्ट हो जाता है। जब हथियार की खोज नहीं हुई थी तो मानव बलशाही याने शक्तिशाली होने पर विशेष जोर देता था। इसके लिए आधुनिक खेलों के बहुत से रूपों की शुरुवात हुई। इसमें अपने आप को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए प्रतिदिन दौडऩा, एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर कूंदना, विशाल वृक्ष का फल तोडऩे के लिए उस पर चढऩा फिर,उतरना रहने के लिए घर बनाना जिसके लिए चट्टानों को तोडऩा फिर उसे उठाना और दीवार बनाने की प्रक्रिया शामिल थी । जहां पर रहते थे, उसके क्षेत्र विस्तार के लिए पहाड़, नदी से होकर आगे बढऩे का मार्ग खोजना सुनिश्चित था। साथ ही भोजन के लिए शिकार किया जाता था।
इन सब क्रियाकलापों को अगर हम गौर करेंगे तो आज के आधुनिक खेलों जैसे एथलेटिक्स भरात्तोलन, मुक्केबाजी, तैराकी, कैनोइंग, तीरंदाजी आदि का आरंभिक स्वरुप पाते हैं। समय के परिवर्तन के साथ- साथ छपाई मशीन के अविष्कार के कारण मानव इतिहास में नये युग का आरंभ हुआ। 18 वीं सदी के आरंभ से खेल में मिली सफलता को मनुष्य ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना आरंभ किया। 19 वीं सदी के आरंभ से धीरे-धीरे खेल गतिविधियों का प्रकाशन और प्राप्त उपलब्धि के संकलन का दौर आरंभ हुआ। 1841 के आस-पास विश्व के अनेक देशों में खेलकूद के क्लब का गठन और एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा का दौर आरंभ हुआ। समाज में खेलों के प्रति जागरुकता की वजह से धीरे-धीरे सिर्फ खेलकूद पर लिखने वालों अर्थात खेल पत्रकारों की संख्या बढऩे लगने लगी। 1860 से 75 की अवधि में विशेषकर यूरोप में ऐसे खेल प्रेमी भी हुए जो खेलकूद की स्पर्धा के आयोजन के लिए सक्रिय हुए वे चाहते थे एक ही खेल की अलग-अलग टीम एक दूसरे से मुकाबले करें। इस प्रकार खेल की दुनिया में नये विचार का जन्म हुआ।

फ्रांस के पियरे द कुबर्टिन जैसे खेल प्रेमी व्यक्तित्व ने 1896 से आधुनिक ओलंपिक खेलों को आरंभ करने में निर्णायक भूमिका निभआई । उनके नेतृत्व में खेल जगत ने नई ऊंचाई पाई और खेल स्पर्धाओं के व्यवस्थित रिपोर्टिंग की शुरुवात हुई। आगे चलकर संसार के सभी महाद्वीपों से खेल समाचार मिलने शुरू हुए तब 2 जुलाई 1924 को पेरिस में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों से ठीक पहले इंटरनेशनल स्पोर्ट्स प्रेस एसोसिएशन का गठन हुआ। इस संस्था से आज 180 से अधिक देशों के खेल पत्रकार जुड़े हुए हैं। दूसरी तरफ खेलों का जीवन में महत्व को देखते हुए इंटरनेशनल स्पोर्ट्स प्रेस एसोसिएशन द्वारा 2 जुलाई 1994 को विश्व खेल पत्रकार दिवस मनाने का निश्चय किया गया। इसका उद्देश्य था कि ऐसे साहसी पत्रकारों को जो कि खेलकूद की रिपोर्टिंग करते हैं उनके इस कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाए। भारत के संदर्भ में आज की परिस्थिति में ऐसे अनेक एथलीट हैं जिन्हें खेल पत्रकारों द्वारा उचित मंच दिये जाने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने परिवार, प्रदेश व भारत का नाम रौशन किए जाने का अवसर मिला।

विश्व खेल पत्रकार दिवस के दिन ऐसे खोजी खेल पत्रकारों को सम्मान दिया जाता है। जागरूक खेल पत्रकारों के कारण समय पर सही जानकारी खेल प्रेमियों को मिलती है। भारत तथा छत्तीसगढ़ में इस तरह के दिवस को मनाये जाने की कोई विशेष जानकारी नहीं है। खेल को जन-जन पहुंचाने वालों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।

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