विंबल्डन टेनिस : 2023, महिला वर्ग में बड़ा उलटफेर, गैर वरीयता प्राप्त खिलाड़ी पहली बार बनी विजेता

( रायपुर से वरिष्ठ खेल पत्रकार जसवंत क्लाडियस की कलम से)

LOKASAR RAIPUR

सभी खेलों के खिलाडिय़ों के लिए सबक है यह
खेल जीवन में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया के अंतर्गत माना जाता है। खिलाड़ी अपने जीवनकाल के 16-17 वर्षों से राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचना शुरू करता है फिर आम तौर पर 33-34 वर्ष की उम्र के बाद खेल जीवन में ढलान आने लगात है। तैराकी, जिमनास्टिक्स, कुश्ती, मार्शल आर्ट वाले खेलों में खिलाड़ी का जीवन करीब 16 से 30 वर्ष होता है जबकि शतरंज, तीरंदाजी नौकायन, घुड़सवारी आदि खेलों में 16 से 40 वर्ष तक विश्व में अपनी वरीयता क्रम को रखा जा सकता है। टेनिस में इन दिनों का चलन है इसके अनुसार 18 से 36 वर्ष की अवधि में कोर्ट टेनिस खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन की क्षमता रखता है। युवा खिलाडिय़ों के बीच टेनिस बड़ी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। खासकर महिला वर्ग में पहले से दसवें स्थान के लिए भारी मारामारी जारी है। टाइटिल जीतने के लिए कड़ा संघर्ष हो रहा है जबकि गैर वरीयता प्राप्त खिलाड़ी यादगार प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसी घटना विंबल्डन 2023 के महिला वर्ग में हुई। चेक गणराज्य की गैर वरीयता प्राप्त महिला खिलाड़ी मार्केता वांड्राउसोवा ने विश्व में छठी वरीयता प्राप्त ट्यूनीशिया की औंस जब्योर को आसानी से 6-4, 6-4 से पराजित करके टाइटिल पर कब्जा जमा लिया। जब्योर अत्यंत दुर्भाग्यशाली रही क्योंकि विंबल्डन 2022 के महिला फायनल में भी छठी वरीयता के साथ जगह बना चुकी है और तब वह कजाकिस्तान की एलेना रीबाकीना 17वीं वरीयता से मात खा गई थी। टेनिस के ग्रेंड स्लेम में चार खिताबों को जगह दी गई है उसमें विंबल्डन, फ्रेंच, आस्ट्रेलियन तथा यूएस ओपन सम्मिलित है। इसके पहले ही जब्योर यूएस ओपन के फायनल में पांचवी वरीयता होने के बावजूद स्थान बनाकर अपनी प्रतिद्वंदी प्रथम वरीयता प्राप्त पोलैंड की इवा स्विटेक से परास्त हो गई थी। अफ्रीका महाद्वीप और अरब देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली जब्योर कोई साधारण महिला खिलाड़ी नहीं है।

27 जून को महिला टेनिस एसोसिएशन द्वारा उनको टेनिस जीवन का दूसरे नंबर की सर्वोच्च वरीयता प्रदान की जा चुकी है। 28 अगस्त 1994 को जन्मी 28 वर्षीय ओंस जब्योर अपनी प्रतिभा व मेहनत के दम पर टेनिस में इन ऊंचाइइयों को पाया है। परंतु अभी सफलता पाने की कोशिश में कुछ न कुछ कमी नजर आ रही है। एक खिलाड़ी को जीत हासिल करनी है तो उसे बिना किसी दबाव के खुलकर खेलने की क्षमता सबसे अत्यंत आवश्यक है। लगभग 8 माह के अंतराल में तीन ग्रेंड स्लेम के फायनल में स्थान बनान बहुत बड़ी उपलब्धि है लेकिन तीनों में ही परास्त हो जाना अत्यंत पीड़ादायक है।

विश्व की नंबर 6 टेनिस खिलाड़ी का बिंबल्डन फायनल में 42वीं वरीयता प्राप्त मार्केटा वांड्रोसोवा के हाथों मात खा जाना न सिर्फ टेनिस बल्कि सभी खेलों के खिलाडिय़ों के लिए सबक है। वस्तुत: ऐसी पराजय फायनल में अति आत्मविश्वास और मनोवैज्ञानिक दबाव में आने का परिणाम है। टूर्नामेंट के दौरान अपने मित्रों, अपने रिश्तेदारों, अपने देश के नागरिकों से प्राप्त संदेश की ओर ध्यान देने से मन मस्तिष्क में हर हालात में जीत प्राप्त करने हेतु विचार मंडराता है। जब कोर्ट में मनमाफिक खेल प्रदर्शित नहीं होता तो निराशा, खीझ आने लगती है फिर दोस्तों, देशवासियों, चहेतों के अनुसार खरा नहीं उतर पाने की कल्पना से अपने आप पर गुस्सा आता है इसका अंत हार को स्वीकार करने के अलावा कुछ भी नहीं होता। ट्यूनीशिया की ओंस जब्योर के लिए अच्छा यही है खेल को अपने लिए खेलना शुरू करें। दूसरों की उम्मीद पर खरा उतरने की चाहत छोड़ दें। सफलता उनके कदम चूमेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *