जिले के गन्ना कृषकों ने किया टिश्यू कल्चर लैब का भ्रमण

गन्ना कृषकों को दिया गन्ना टिश्यू कल्चर की जानकारी

लोक असर समाचार बालोद

बालोद जिले केे गन्ना कृषकों को गन्ना टिश्यू कल्चर लैब रायपुर का भ्रमण किया।

उप संचालक कृषि ने बताया कि 02 फरवरी 2024 को बालोद विकासखण्ड से 07, गुरूर विकासखण्ड से 05, डौण्डी विकासखण्ड से 05, डौण्डीलोहारा विकासखण्ड से 05 एवं गुण्डरदेही विकासखण्ड से 07 किसान सहित कुल 29 लैब पहुंचे। उन्होंने बताया कि जिले के गन्ना कृषक वैज्ञानिक डॉ. खूबचंद वर्मा तथा डॉ ताम्रकार से मिले। वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों को गन्ना टिश्यू कल्चर तैयार करने के संबंध में जानकारी दी। वैज्ञानिकों ने बताया कि गन्ना टिश्यू कल्चर तैयार करने के लिए गन्ना का पौध स्वस्थ एवं निरोग होना चाहिए। टिश्यू कल्चर के लिए एक आँख को जार में मदर कल्चर के साथ मिलाकर बंद कर दिया जाता है। जिससे 30 से 40 कंसे निकलते है। प्रत्येक कंसे को अलग-अलग कर पॉली ट्रे में रखा जाता है। इसके उपरांत उसे ग्रीन नेट में रखते हैं। प्रथम स्क्रीनिंग 21 दिन के बाद उसे हॉट नेट में ले जाया जाता है। द्वितीय स्क्रीनिंग 20 दिन के बाद पॉलीवेग में ट्रांसफर किया जाता है। इसके पश्चात कृषकों को बोनी करने हेतु प्रदाय किया जाता है। उप संचालक कृषि ने बताया कि कृषकों को टिश्यू कल्चर लैब एवं फिल्ड भ्रमण कराकर टिश्यू कल्चर पौध तैयार करने की तकनीकी तथा बोनी विधि जानकारी विस्तार से दिया गया।

फिल्ड में लगे गन्ना किस्म सीओजे 085, वीएसआई 8005 तथा सीओ 86032 के पौधों का प्रत्यक्ष अवलोकन भी कराया गया। जहाँ उन्हें बताया गया कि टिश्यू कल्चर पौध तैयार करने में लागत प्रति पौध 2.50 रूपये आता है।

प्रति हेक्टेयर 7000 पौधे की आवश्यक होती है, जिसकी लागत 17,500 रूपये होगी। इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 1000 क्ंिवटल आएगा। इसे एमआरपी की दर से बेचने पर आय 03 लाख 55 हजार रूपये प्राप्त होगी। अगर आदान सामग्री लागत 01 लाख रूपये घटा दिया जाए तो कृषकों को 02 लाख रूपये तक शुद्ध लाभ मिल सकती है। जिससे कृषकों की आय दुगुनी होने में सहायक होगी तथा गन्ने की खेती का क्षेत्र बढ़ेगा और अन्य कृषक भी गन्ना शेड से बोने की तकनीक को छोड़कर गन्ना टिश्यू कल्चर पौध बोने लगेंगे, जिससे जिले में स्थित शक्कर कारखाना को पर्याप्त मात्रा में गन्ना उपलब्ध हो सकेगा।

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