बिलीफ, आदमी की आंख पर बिलीफ की पट्टियां हैं… विश्वास की

संकलन एवम् प्रस्तुति/ मक्सिम आनन्द

एक बहुत बड़ा विचारक था। वह एक दिन सुबह-सुबह अपने गांव के तेली के घर तेल खरीदने गया था।

उसने तेल खरीदा। तब तक तेल तेली तौल रहा था, वह देखता रहा कि उसके पीछे ही तेली का कोल्हू चल रहा था। बैल की आंखों पर पट्टियां बंधी थीं और वह बैल कोल्हू को चला रहा था। कोई चलाने वाला नहीं था।

उसने उस तेली को पूछाः कोई चला नहीं रहा है, फिर भी ये बैल चल रहा है, बात क्या है? उस तेली ने बड़े मतलब की बात कही। उसने कहाः देखते नहीं हैं, उसकी आंखें हमने बंद कर रखी हैं। जब आंख बंद होती है तो बैल को पता ही नहीं चलता कि कोई चला रहा है कि नहीं चला रहा है। आंख खुली हो तो बैल पता लगा लेगा कि कोई नहीं चला रहा है, तो वह खड़ा हो जाएगा।

उस विचारक ने पूछाः लेकिन अगर वह खड़ा हो जाए, तो तुम्हें कैसे पता चलेगा? तुम तो पीठ किए बैठे हुए हो। उसने कहाः उसके गले में हमने घंटी बांध रखी है। चलता है घंटी बजती रहती है, जैसे ही घंटी रुकती, हम फिर उसे चला देते हैं। उसे कभी यह खयाल ही नहीं आ पाता कि बीच में चलाने वाला गैर-मौजूद था।

उस विचारक ने कहाः लेकिन यह भी तो हो सकता है कि बैल खड़ा हो जाए और सिर हिलाता रहे, घंटी बजती रहे।

उस तेली ने कहाः हाथ जोड़ते हैं आपके, कृपा करके यहां से चले जाइए, _कहीं बैल ने आपकी बात सुन ली, बड़ी मुश्किल हो जाएगी। आप जाइए, और अगली बार कहीं और से तेल खरीदा करिए। बैल बिचारा सीधा काम कर रहा है, इस तरह की बात सुन ले सब गड़बड़ हो जाए। बैल का मालिक नहीं चाहता है कि विचार बैल तक पहुंच जाए।

दुनिया में कोई मालिक नहीं चाहता है कि विचार मनुष्य तक पहुंच जाए। और मनुष्य को जोता हुआ है, बहुत से, बहुत से कोल्हुओं में उससे काम करवाया जा रहा है। और उसके गले में घंटियां बांध दी गई हैं–जो बज रही हैं, और आदमी है कि आंख बंद किए चला जा रहा है। आंख किस बात से बंद हैं?

आंख विश्वास से बंद हैं। बिलीफ, आदमी की आंख पर बिलीफ की पट्टियां हैं, विश्वास की पट्टियां हैं। तभी तो एक रंग की पट्टी एक आदमी को मुसलमान बना देती है, दूसरे को हिंदू, तीसरे को जैन, चौथे को ईसाई बना देती है। अन्यथा आदमी-आदमी में कोई और फर्क है सिवाय विश्वासों के? एक आदमी और दूसरे आदमी में कोई भेद है, कोई दीवाल है, कोई खाई है उन दोनों के बीच? उनके प्रेम को रोकने वाली कोई दीवाल है? सिर्फ विश्वास के अतिरिक्त और कोई दीवाल नहीं है। मैं मुसलमान हो जाता हूं, आप हिंदू हो जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *