विश्व पृथ्वी दिवस पर डॉ अलका यादव की विशेष लेख
(आप जीवन धारा नमामि गंगे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। बिलासपुर छत्तीसगढ़)
लोक असर समाचार बालोद /बिलासपुर
विश्व पृथ्वी दिवस को मनाने की शुरुआत 1970 में हुई थी. सबसे पहले अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने पर्यावरण की शिक्षा के तौर पर इस दिन की शुरुआत की थी. एक साल पहले 1969 में कैलिफोर्निया के सांता बारबरा में तेल रिसाव की वजह से त्रासदी हो गई थी. इस हादसे में कई लोग आहत हुए और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने का फैसला किया. इसके बाद नेल्सन के आह्वान पर 22 अप्रैल को लगभग दो करोड़ अमेरिकियों ने पृथ्वी दिवस के पहले आयोजन में हिस्सा लिया था.
पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी हैं। धरती को बचाने का आशय है इसकी रक्षा के लिए पहल करना। न तो इसे लेकर कभी सामाजिक जागरूकता दिखाई गई और न राजनीतिक स्तर पर कभी कोई ठोस पहल की गई। दरअसल पृथ्वी एक बहुत व्यापक शब्द है, इसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी शामिल हैं।
: धरती को बचाने का आशय है इन सभी की रक्षा के लिए पहल करना। लेकिन इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, क्या यह उचित है? हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए।
विश्व पृथ्वी दिवस को पहली बार 1990 में वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया था। किंवदंती के अनुसार, 1969 में सेंट बारबरा तेल रिसाव ने वनस्पतियों सहित अरबों जलीय जीवों को नष्ट कर दिया था, और इस घटना के कारण पृथ्वी दिवस मनाया गया। पृथ्वी दिवस पृथ्वी के संसाधनों के प्रति अधिक चेतना और कृतज्ञता को बढ़ावा देने का दिन है। पृथ्वी दिवस पर पूरी दुनिया सभी से सभी अनावश्यक लाइटें बंद करने का आग्रह करती है। इस दिन, कुछ जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े स्वयंसेवक पेड़ लगाने के लिए आस-पास के इलाकों में जाते हैं, जबकि अन्य आसपास की सड़कों या नदियों की सफाई करते हैं। खुले दिमाग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पेशेवर बैनर, पोस्टर, ओरिगेमी प्रोजेक्ट या कला के काम करने के लिए एकजुट होते हैं। हमने जो पर्यावरणीय क्षति पहुंचाई है, उसे ठीक करना हमारा काम है। कोई भी हमसे संपर्क नहीं करेगा और पर्यावरण के लिए मदद नहीं मांगेगा; पर्यावरण की सुरक्षा की आवश्यकता को समझना हम पर निर्भर है।
