गुमियापाल में बालक आश्रम में सफाई एवं रख रखाव में कोताही बरत रहा अधीक्षक, बीमारी को दे रहे आमंत्रण

( गुमियापाल से लौटकर संवाददाता उमा शंकर की ग्राउंड रिपोर्ट )

Lok asar Dantewada

दक्षिण बस्तर जिला दंतेवाड़ा के सुदूर और भीतरी इलाकों में शिक्षा स्वास्थ्य और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का आज भी नितांत अभाव है। भले ही शासन प्रशासन उन स्थानों में पहुंचने एवं विकास की किरण को पहुंचा रहे हैं ये महज़ कागज़ी दावे हैं।

जिला दंतेवाड़ा के विकास खण्ड कुआकोंडा में अनेकों आश्रमों की स्थिति बद्तर और बदहाल है, जहां रहकर नौनिहाल अपने भविष्य को चमकदार बनाने के लिए माता पिता से दूर तो रह रहे हैं, लेकिन उनके पढ़ने लिखने की स्तर और रहने की मूलभूत आवश्यकताओं में कई प्रकार की खामियां है। जिसे दूर करने के लिए शिक्षकों के अलावा आश्रम एवं बच्चों की देखभाल के लिए अधीक्षक है। लेकिन अधीक्षक अपनी जवाबदेही निभाने में कोताही बरत रहे हैं जिसके चलते बच्चे अनेक समस्याओं से आश्रम में जूझने विवश हैं । पहली तो यह कि अधीक्षक नियमित रूप से रहता नहीं है। आश्रमों में एक कार्य बखूबी किया जाता है बच्चों के लिए भोजन व्यवस्था की। गुमियापाल बालक आश्रम में भी बच्चे खाने को लेकर संतुष्ट प्रकट किया। कहीं बच्चे डर से से नहीं कहते हैं?


बावजूद अन्य कई कमियां आश्रम में उपस्थित है, जिसके निराकरण के लिए कोई उपाय नहीं किया जाता सालों से एक ही ढर्रे पर आश्रम चला रहे हैं।


मच्छरदानियां उपलब्ध है लेकिन एक भी बच्चे इसका उपयोग नहीं करते, उपस्थि शिक्षक का कहना था कि बच्चे लगाते नहीं हैं जबकि नियमानुसार अधीक्षक को ध्यान देने की आवश्यकता है छोटे बच्चों को इसका पता ही नहीं है। जबकि बता दें कि क्षेत्र मलेरिया प्रकोपित है, यही कारण है कि बच्चे शीघ्रता से मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी की चपेट में आते हैं।

गुमियापाल बालक आश्रम का नया छात्रावास भवन अपनी जर्जर स्थिति में आंसू बहा रहा है, और भ्रष्टाचार की दास्तां बयां कर रही है।

बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इस आशय से सरकार पक्का भवन चाहे स्कूल हो या फिर छात्रावास निर्मित करवाती है। किन्तु वनांचल के भीतरी इलाकों में भवन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। कारण अधिकारी वहां पहुंचते नहीं है। सम्बंधित ठेकेदार इसका फायदा उठाने से चूकते नहीं है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है।
नया छात्रावास भवन होने के बाद भी बच्चों की शौचालय की सूरते हालत बेहद दयनीय, टूटे हुए पानी के टैप, जल का कनेक्शन बिल्कुल नहीं है। सारे बाथरूम , टॉयलेट गंदगी से अटे पड़े है, पैन ,फ्लैश सभी टूटी हुई अवस्था में। बदबू से आश्रम परिसर भरा होता है। टॉयलेट की गन्दगी से उठने वाली बदबू से शौचालयों में दो सेकेंड। ठहर नहीं सकते। साफ सफाई का बुरा हाल है। इसी कारण बच्चों की तबियत खराब होने लगती है।

अधीक्षक को नहीं पता लागत राशि

वर्षों से बालक आश्रम में पदस्थ अधीक्षक को नहीं पता कि आश्रम का भवन जो कि 2022 में बनाया गया है उसका लागत राशि क्या है। उनका कहना है कि समय पर उच्च अधिकारी को व्यवस्था की जानकारी प्रदान करते हैं।

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