LOK ASAR BALOD
दिल्ली स्थित सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र में देश भर से आए 50 प्रतिभागियों ने 10 दिवसीय विद्यालय शिक्षा में हस्तकला कौशल का समावेश प्रशिक्षण में शामिल हुए, जिसमें सात राज्यों से प्रतिभागी उपस्थित रहे।
छत्तीसगढ़ के बालोद सहित अन्य जिलों से 15 प्रतिभागी शामिल हुए। बालोद जिले से तीन प्रतिभागियों में से पुष्पा चौधरी, कैशरीन बैग एवं प्रतिभा त्रिपाठी शामिल रहीं।
प्रशिक्षण का विषय था ‘ विद्यालय शिक्षा में हस्तकला कौशल का समावेश’ इसमें प्रत्येक राज्य अपनी संस्कृति, परंपरा, धरोहर ,सभ्यता को शिक्षा से जोड़कर बच्चों में कला एवं संस्कृति का विकास करना उद्देश्य रहा है।
विद्यालय में शामिल करते हुए बच्चों को उनकी संपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
जिले से शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला मटिया (अ) विकासखंड गुंडरदेही में पदस्थ शिक्षिका पुष्पा चौधरी ने
सांस्कृतिक प्रस्तुतीकरण में छत्तीसगढ़ी सवांगा एवं बांस की कलाकृति का बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुतीकरण प्रदर्शन कर सभी को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रही साथ ही स्वयं छत्तीसगढ़ी सवांगा को धारण करते हुए अपनी संस्कृति और धरोहर से संबंधित जानकारी दी अलावा इसके सवांगा के अलग अलग वस्तुओं को बेहतरीन तरीके से समझाने में कामयाब रही।
प्रशिक्षण के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से सभी 15 प्रतिभागियों के द्वारा छत्तीसगढ़ी गीतों का बेहतरीन प्रदर्शन भी किया गया। जिससे पूरा माहौल को खुशनुमा हो गया था और देशभर से शामिल हुए प्रतिभागियों द्वारा इसकी सराहना की गई।
इसके अलावा कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के व्यंजन, शिल्प कला, संस्कृति एवं सभ्यता की जानकारी देने के साथ ही बांस से निर्मित कलाकृति बैलगाड़ी, हल, कोपर, बायसन की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।
बांस कला का प्रदर्शन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के ग्राम पाटन निवासी श्रीराम पटेल के द्वारा निर्मित हस्तकला कृति थी।
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ इन्हीं कृषि उपकरणों के द्वारा किया जाता है। भारतीय मानस पटल पर छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा के नाम से प्रसिद्धि दिलाई है ।
विद्यालयीन शिक्षा में हम हस्तकला को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपने संस्कृति से जुड़े रहने एवं अपने पूर्वजों के धरोहर के रूप में प्राप्त संस्कृति, कला , शिल्प- कला के प्रति आने वाली पीढ़ी को आत्मसात करवा सकते हैं। इस प्रशिक्षण का यही उद्देश्य था।
जिला बालोद से तीन प्रतिभागियों, जिसमें पुष्पा चौधरी शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला मटिया में पदस्थ है जिनको छत्तीसगढ़ राज्य से प्रतिनिधित्व करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदान की गई थी।
पुष्पा चौधरी ने बताया कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति, संवागा एवं हस्त शिल्प कला शुरू से ही मुख्य विषय रहा है और इस विषय पर मुझे दिल्ली सीसीआरटी में प्रशिक्षण के लिए चयन किया गया साथ ही मुझे छत्तीसगढ़ से प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। यह मेरे लिए प्रसन्नता का अवसर रहा है।
प्रशिक्षण में 1=बीड्स वर्क 2=वर्ली आर्ट
3=बुक बाइंडिंग 4=मिट्टी के खिलौने बनाना 5=वॉल डेकोरेशन विषय पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। हमें प्रतिदिन कुछ नया सीखने को मिला। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से छत्तीसगढ़, बंगाल, कर्नाटक, बिहार, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान के प्रतिभागी प्रतिदिन संयुक्त तौर से प्रस्तुति देते थे।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन विभिन्न विधाओं में पारंगत विशेषज्ञों से रूबरू होने का भी मौका मिला एवं उनसे बातचीत करने अपने विचारों को साझा करने का भी मौका मिला।
इसी क्रम में संगीतकार सुभाष बहुगुणा जिन्होंने हमें तेलुगू, कश्मीरी बंगाली, हिंदी भाषा में वंदे मातरम् गीत को सिखाए। थिएटर कलाकार विनोद नारायण इंदौरकर से मुलाकात करने का अवसर मिला उनके द्वारा थिएटर पर अभिनय के माध्यम से विषय वस्तु को भाव- अभिनय से कैसे व्यक्त किया जा सकता हैं। इससे अपनी भावनाओं को हम प्रदर्शित करने के लिए अभिनय के माध्यम से समझा सकते हैं । इसी तारतम्य में जितेंद्र बेल कालरा के द्वारा राजभाषा नीति पर विशेष जानकारी व राजभाषा के भाग, अध्याय, अधिनियम की जानकारी प्रदान की गई।
डिप्टी डायरेक्टर संदीप शर्मा, आशुतोष अवस्थी द्वारा बहुत अच्छी जानकारी प्रदान किया गया। प्रतिदिन के कार्यशाला में देवनारायण रजक एवं कोमल के द्वारा दिशा निर्देश दिया जाता था।
प्रशिक्षण के दौरान भ्रमण के लिए दिल्ली के कुतुबमीनार व अंतराष्ट्रीय क्राफ्ट म्यूजियम का भ्रमण कराया गया ।
राष्ट्रीय हस्तशिल्प संग्रहालय में सभी प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रदेशों के प्राचीनतम एवं अद्भुत हस्तकलाओं को करीब से देखने को मिली।
भारत के अद्भुत संस्कृति सभ्यता को और अधिक जानने का समझने का मौका मिला।
कार्यशाला में प्रतिभागियों के बनाए गए कलाकृति एवं पाठ योजना की प्रदर्शनी लगाई गई जिनका निरीक्षण देवनारायण रजक, संदीप शर्मा, डॉक्टर विनोद नारायण इंदौरकर ने किया एवं एक-एक प्रतिभागी को अपने अपने राज्य के प्रतिनिधित्व करने एवं बात रखने का मौका दिया गया।
जिसमें पुष्पा चौधरी को cg ग्रुप से चयन किया गया।
वे कहती हैं कि मेरा स्कूली जीवन से ही चित्रकारी, हस्तकला में रुचि रही। अब मैं कक्षा में भी वर्ली आर्ट, क्राफ्ट आर्ट, मिट्टी की मूर्ति कलाकृति सिखाती हूं।
हम सीसीआरटी से जो उद्देश्य लेकर आए हैं अपनी शालाओं में बच्चों को विरासत से प्राप्त कला, संस्कृति सभ्यता, को सीखाने का प्रयास करेंगे एवं आने वाली पीढ़ी को हस्तकला कौशल के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
तत्पश्चात अंतिम दिवस में सात प्रदेशों से शामिल हुए सभी प्रतिभागियों को सीसीआरटी के अध्यक्ष विनोद इंदुरकर के द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया और 10 दिवसीय प्रशिक्षण की समाप्ति की घोषणा राष्ट्रगान के साथ संपन्न हुआ।