32% आरक्षण आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले योद्धा धरम सिंह ठाकुर नहीं रहे

(धमतरी / आर एन ध्रुव की रिपोर्ट)

LOK ASAR DHAMTARI

बात उन दिनों की है जब अविभाजित मध्यप्रदेश में आदिवासियों को 20% आरक्षण मिलता था। लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद सन 2000 में आदिवासियों की जनसंख्या पृथक छत्तीसगढ़ में 12% की वृद्धि के साथ जनसंख्या 32% हो गई। जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण नहीं मिलने के कारण आदिवासी समाज को 12% का भारी नुकसान झेलना पड़ रहा था। कोई सुनने वाला नहीं था, हजारों की संख्या में डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, नायब तहसीलदार, शिक्षक, पटवारी, रेंजर, इंजीनियर आदि पदों पर अन्य लोगो की धड़ल्ले से नियुक्ति हो रही थी।

जनसंख्या के अनुपात में शासकीय सेवा में 32% आरक्षण की बहाली हेतु आंदोलन लगातार चल रहे थे। उस समय छत्तीसगढ़ में सर्व आदिवासी समाज अस्तित्व में नहीं आया था। अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ छत्तीसगढ़ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए छत्तीसगढ़ के सभी 42 जनजातियों को एक– जुट करते हुए बड़ी लड़ाई की शुरुआत किए। छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों में आर्थिक नाकेबंदी के साथ बड़े-बड़े आंदोलन 2009, 2010, 2011 में हुए, कई सामाजिक मुख्याओं पर एफआईआर दर्ज हुए।

सरकार पर इन आंदोलनों का कोई असर होता नहीं दिखा। परिणाम स्वरूप 19 मार्च 2012 को राजधानी रायपुर में 32% आरक्षण की मांग को लेकर जंगी विधानसभा घेराव का निर्णय लिए। भारी संख्या में समाज के लोग सभी जिलों से एकत्रित होकर रैली के रूप में विधानसभा के लिए गोंडवाना भवन रायपुर से प्रस्थान किये। रैली बमुश्किल सिद्धार्थ चौक तक ही पहुंचा था कि वहां पर पुलिस प्रशासन द्वारा अस्थाई दीवाल खड़ा कर बेरीकेटिंग कर रोक दिया गया।
स्व. धरम सिंह ठाकुर जी को फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जो बड़े तन्मयता से अपना कार्य का निर्वहन कर रहे थे। सिद्धार्थ चौक में पुलिस द्वारा हजारों की तादाद में उपस्थित सामाजिक प्रमुखो के साथ नर्तन दलों पर रैली में अचानक अश्रु गैस के गोले एवं लाठी चार्ज शुरू कर दिए। पुलिस वाले लाठी चार्ज करते हुए रैली को वापस गोंडवाना भवन ले आए। गोंडवाना भवन में आने के बाद भी अनवरत लाठी चार्ज जारी रहा। अपनी जान बचाने के लिए धरम सिंह ठाकुर और बहुत से सामाजिक मुखिया गण जैसे– तैसे गोंडवाना भवन के छत में चढ़ गए। पुलिस वाले पूरे दल-बल के साथ छत में चढ़े और वहां भी आंदोलनकारियों की पिटाई शुरू कर दिए , परिणाम स्वरूप सबको छत से नीचे कूदना पड़ा। जैसे ही धरम सिंह ठाकुर छत से नीचे कूदे, नीचे इंतजार कर रहे पुलिस वाले उन पर टूट पड़े और बेदम पिटाई किये। उनका कैमरा छीन लिए और उसमें जितने भी फोटो एवं वीडियो थे सबको डिलीट कर उन्हें कैमरा वापस कर दिए। सामाजिक मुखिया गणों को गिरफ्तार कर पुलिस वाले सेंट्रल जेल रायपुर, बलौदाबाजार, दुर्ग, महासमुंद, धमतरी सहित आसपास के जिलों में ले जाकर बंद कर दिए।

पुलिस की मार के कारण धरम सिंह ठाकुर के रीढ़ की हड्डी साइड का नस डैमेज हो गया। जिसके कारण वे अपाहिज हो गए। कई डॉक्टरों को दिखाएं सभी डॉक्टरो ने जवाब दे दिया कि यह कभी ठीक नहीं हो सकता। इस कारण वे आंदोलन के बाद से मृत्यु पर्यंत तक बैसाखी के सहारे चलते रहे। 4 अप्रैल 1969 को जन्मे कभी ना हार मानने वाले जिंदा दिल इंसान धरम सिंह ठाकुर जी कहते थे कि भैया मैं बहुत जल्दी ठीक होऊंगा और पुनः सामाजिक कार्यों में बढ़– चढ़कर हिस्सा लूंगा। लेकिन आदिवासी समाज को 32% आरक्षण की सौगात दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हमारे रियल हीरो धरम सिंह ठाकुर जी 15 फरवरी 2021 को 52 वर्ष की आयु में हम सबको छोड़कर दुनिया से अलविदा हो गए।

पेनवासी गोंडवाना रत्न दादा हीरासिंह मरकाम जी के पग–चिन्हों पर चलने वाले, शिशुपाल शोरी जी के नेतृत्व में वीर मेला प्रारंभ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले, पेनवासी माधव सिंह ध्रुव जी के कुशल नेतृत्व में आदिशक्ति मां अंगारमोती ट्रस्ट गंगरेल के सदस्य के रूप में महती भूमिका निभाने वाले, एडिशनल कलेक्टर स्वर्गीय घनश्याम ध्रुव जी एवं धमतरी कलेक्टर रहे बी पी एस नेताम जी के नेतृत्व में गोंडवाना विकास परिषद छत्तीसगढ़ का गठन के साथ गोंडवाना गोंड महासभा को देश में स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान, लोकसभा एवं विधानसभा परिसीमन के समय सेवानिवृत्ति एडिशनल कलेक्टर श्री जी आर राणा जी के नेतृत्व में कार्य कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने एवं हम सबके साथ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ छत्तीसगढ़ के जिला धमतरी में सदस्यों को वन टू वन घर-घर जाकर सदस्य बनाने वाले, छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के साथ देश में घूम-घूम कर समाज को जोड़ने का कार्य किए।

कद छोटा जरूर था लेकिन अन्याय, अनीति के खिलाफ वे बड़े से बड़े लोगों से लड़ जाते थे । आज के युवा पीढ़ी जो आरक्षण के बदौलत शासकीय सेवा में आए हैं उन सबको स्वर्गीय ठाकुर जी से सीख लेकर समाज को तन– मन– धन से अपने-अपने हिस्से का योगदान देना चाहिए। जिससे समाज हित में आपके हिस्से की लड़ाई लड़ने वाले योद्धाओं को संबल मिल सके। समाज हित में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सामाजिक आंदोलन के महा योद्धा स्वर्गीय धरम सिंह ठाकुर जी को उनके पुण्यतिथि अवसर पर विनम्र श्रद्धांजलि…

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