अंतर गुहा का संगीत…शरीर भी तो विद्युत की तरंगों का जाल है;

(संकलन एवं प्रस्तुति मैक्सिम आनन्द) रामतीर्थ सो रहे हैं अपने कमरे में। एक मित्र सरदार पूर्णसिंह…