लोक असर बालोद/दुर्ग
महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के बीच उत्साह ऊर्जा और अकादमिक मूल्यों को बनाए रखने के उद्देश्य से दुर्ग नगर के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान छत्रपति शिवाजी महाविद्यालय द्वारा नवप्रवेशित विद्यार्थियों के लिए प्रवेशोत्सव का आयोजन किया गया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में महाविद्यालय के विद्यार्थियों और प्रोफेसरों ने भाग लिया।

15 सितम्बर को आयोजित इस प्रवेशोत्सव में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ चन्द्र शेखर शर्मा ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शालेय शिक्षा के बाद महाविद्यालय में प्रवेश के साथ ही जीवन का दूसरा सोपान शुरू होता। महाविद्यालय में विद्यार्थी अकादमिक ज्ञान के अलावा जीवन व्यापन के कौशल भी अर्जित करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ज्ञान सर्वोपरि है और इसे समर्पण, सहनशीलता, निरंतरता और सन्नद्धता से ही पाया जा सकता है। छत्रपति शिवाजी महाविद्यालय की अकादमिक विशेषताओं की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अपने स्थापना के दो वर्षों में ही कुछ ऐसे कार्यक्रम हुए जिससे विद्यार्थियों ने कौशल अर्जन किया। हाल ही में आयोजित दो निःशुल्क कंप्यूटर कार्यशालाओं के चलते आज महाविद्यालय का प्रत्येक विद्यार्थी कप्यूटर पर कार्य करने में दक्ष है। उन्होंने आगे कहा कि महाविद्यालय छात्रों के लाभार्थ बनाई गई अकादमिक व्यवस्था है। प्रत्येक छात्र को महाविद्यालय की नियमित कक्षाओं में आना चाहिए। छात्र घर पर बैठकर मात्र परीक्षा पास करने की वृत्ति छोड़कर उज्जवल भविष्य हेतु ज्ञान और कौशल अर्जित करना चाहिए क्योंकि देश में आसान आर्थिक सुधारों के चलते निकट भविष्य में ज्ञान और कौशल से परिपूर्ण युवाओं के लिए कई रोजगार उपलब्ध होंगे।

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में इस आई टी के प्राचार्य डॉ सन्तोष शर्मा ने कहा कि आज की परिस्तिथियों में विद्यार्थियों को नए नए विकास के प्रति सजग रहना चाहिए। आप कार्यक्रम योजना बनाएं और कार्यक्रम संचालित करें तो व्यक्तिव विकास होगा।
प्रवेशोत्सव का शुभारंभ, मंगल प्रार्थना व राष्ट्रगान से हुआ। महाविद्यालय की फैकल्टी पंचकीर्ति भारती व यशवंत देवांगन के संयोजकत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में नवप्रवेशित विद्यार्थियों के लिए सुश्री नेहा राय व श्री राजेश साहू ने एक सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया। इस अवसर पर रजिस्ट्रार राजेश वर्मा व डीन संजय सिंह भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की छात्रा महिमा कुजूर ने किया।

