वरिष्ठ साहित्यकार विश्रामसिंह चन्द्राकर की 7वीं कृति (प्रतिमा) नामक उपन्यास का विमोचन हुआ

LOK ASAR SAMACHAR BALOD/ GUNDERDEHI

नूतन वर्ष का पहला दिन अंचल के जानें माने उपन्यासकार विश्राम सिंह चन्द्राकर की 7वीं कृति (प्रतिमा) नामक उपन्यास का विमोचन तांदुला नदी तट स्थित कबीर आश्रम गुण्डरदेही में सम्पन्न हुआ।

मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कृत साहित्यकार एवं लोग गायक सीताराम साहू श्याम थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर के अध्यक्ष कान्हा कौशिक ने की। विशेष अतिथि के रूप में ख्याति लब्ध गीतकार गिरवर दास मानिकपुरी, गोरेलाल शर्मा राष्ट्रीय कवि संगम जिला बालोद के अध्यक्ष अखिलेश मिश्रा उपस्थित विमोचन हुआ।

प्रतिमा में प्रेम और आत्मोत्सर्ग की कथा हैं : सीताराम साहू

उपन्यास पर चर्चा करते हुए मुख्य अतिथि सीताराम साहू ने कहा कि यह नारी प्रधान कृति है, जिसमें प्रेम और आत्मोत्सर्ग की कथा हैं, ग्राम्य परिवेकान्हा कौशिकश से जुड़कर कृतिकार ने अनोखा सृजन किया हैं, साहित्य को जमीनी और इन्सानी होना चाहिये, साहित्य आनंद प्रदान करता हैं। साहित्य आनंद प्रदाता हैं। यह कहकर साहित्य और समाज के संबंधो को रेखांकित किया।

जब लेखक बुर्जुग होता हैं तब उसका लेखन जवान होता हैं: कान्हा कौशिक

कान्हा कौशिक ने अध्यक्षीय उदबोधन में छत्तीसगढ़ी भाषा को मातृ भाषा के रूप में अपनाने की बात कही और कहा कि जनगणना कालम में छत्तीसगढ़ी भाषा को मातृभाषा लिखने पर जोर दिया उन्होंने कहा कि जब लेखक बुर्जुग होता हैं तब उसका लेखन जवान होता हैं।

जिले के दो वरिष्ठ साहित्यकार टीआर महमल्ला गुरुर को सरस साहित्य सम्मान तथा एमआर यादव भरदाकला को स्व० रामसेवक कौमार्य स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान प्रति वर्ष प्रदान किया जाता हैं।

पत्रकार टीकम पिपरिया एवम् मोहन लाल साहू का भी सम्मान किया गया।

आयोजन में बालोद एवम् ने जिले से आए 45 कवियों ने कविता पाठ किया। जिस में सरस साहित्य समिति (गुण्डरदेही), रचना साहित्य समिति (गुरुर), प्रेरणा साहित्य समिति (बालोद), हस्ताक्षर साहित्य समिति (दल्ली_राजहरा), नवदीप साहित्य समिति (अर्जुन्दा), मधुरा साहित्य परिषद (डौण्डीलोहारा) ने भाग लिया। इस साहित्य सम्मेलन में महिलाओ की विषेश उपस्थिति रही जिसमें पदमश्री शमशाद बेगम, मधु कौशल, पुष्पा चौधरी, संध्या पटेल, राजेश्वरी ठाकुर, शोभा बेजमिन , अलावा इनके गीतकार शिवकुमार अंगारे, रमेश यादव, कामता देशलहरा, देव जोशी गुलाब, देवनारायण नगरिहा, अजीत तिवारी, धर्मेन्द्र कुमार श्रवण, थानमल जैन, मिलाप सिन्हा, जलज ताम्रकार, पारस गुजराती, घनश्याम पारकर, संतोष ठाकुर, जेआर महिलांगे, शमीम अहमद सिद्दीकी, कन्हैयालाल बारले आदि ने रचना पाठ किया।

शुरुआत राजगीत से किया गया जिसकी प्रस्तुति कुसुमा साहू ने दी सबसे खास बात यह रही की इस आयोजन में सेवानिवृत कर्मचारी पेशनर गण टामन सिंह पवार, मलखम राम , जी.आर.साहू, के साथ गणमान्य नागरिक नवल कौर्मय मोतीलाल हीरवानी, राकेश साहू, विरेन्द्र साहू, अरुण कुमार, दिलीप कुमार, विरेन्द्र कुमार के साथ उपन्यासकार विश्राम सिंह चन्द्राकर के समस्त परिवर उपस्थित थे।

सभी कलमकारों का अंगवस्त्र एवं श्रीफल से सम्मान किया गया, कबीर आश्रम के संत गुरुपाल साहेब का विषेश योगदान रहा। कार्यक्रम का संयोजन छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति बालोद के जिला अध्यक्ष केशवराम साहू ने किया। संचालन डॉ एस.एल.गंधर्व ने किया। अभार प्रदर्शन उपन्यास कार विश्राम सिंह के सुपुत्र राजेश चन्द्राकर ने किया।

इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार जेआर महिलांगे ने सुझाव देते हुए कहा कि हर समिति में एक ग्रंथआलय हो जहां पर देशभर के साहित्यकारों की किताबें उपलब्ध हो, साथ ही अंचल के जितने भी साहित्यकार हैं उनकी प्रकाशित कृतियां भी वहां पर उपलब्ध रहे ताकि आने वाली पीढ़ी इन साहित्यकारों से भी रूबरू हो सके।

नववर्ष 2023 का शुभारंभ साहित्यिक समारोह शुरू हुआ है जो कि रचनाधर्मियों को नए लेखन के लिए प्रेरित करता रहेगा।

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