LOK ASAR RAIPUR/ BALOD
प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति छत्तीसगढ़ का वार्षिक अधिवेशन एवं सम्मान समारोह का बहुत ही भव्य एवं गरिमामय आयोजन रायपुर में किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ी साहित्य के ग्यारह विभूतियों एवं पुराधाओं के नाम पर छत्तीसगढ़ के चुने हुए कलमकारों एवं कलाकारों को यह सम्मान दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कथाकार, गीतकार एवं इतिहासकार स्वर्गीय हरि ठाकुर की स्मृति में इस अंचल के वरिष्ठ लोक साहित्यकार सीताराम साहू श्याम को यह सम्मान प्रदान किया गया। श्री हरि ठाकुर छतीसगढ़ी फ़िल्म घर द्वार के प्रसिद्ध गीत गोंदा फूल गे मोर राजा, सुन सुन मया पीरा के संगवारी, झन मारो गुलेल के रचयिता हैं। दूधाधारी मठ रायपुर के विशाल सभागार में छत्तीसगढ़ के सैकड़ों रचनाकारों और कलाकारों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।
मुख्य अतिथि रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉक्टर के एल वर्मा अध्यक्षता महंत डॉक्टर राम सुंदर दास एवं विशेष अतिथि प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के पूर्व अध्यक्ष डॉ जेआर सोनी ,डॉक्टर परदेशी राम वर्मा, डॉक्टर सरला शर्मा, डॉक्टर सुधीर शर्मा ,मीर अली मीर, अरुण निगम, प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के अध्यक्ष कान्हा कौशिक, डॉक्टर पीसी लाल यादव श्री रामेश्वर वैष्णव सहित अनेक वरिष्ठ साहित्यकार रहे।

छत्तीसगढ़ी के बाड़हत अउ बगरत स्वरूप विषय पर विभिन्न विद्वानों ने सारगर्भित विचार व्यक्त कर छत्तीसगढ़ी की महत्ता पर प्रकाश डाला। फिर सम्मान का क्रम शुरू हुआ सर्वप्रथम हरि ठाकुर सम्मान के लिए सीताराम साहू का नाम लिया गया। उनका परिचय पत्र छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति बालोद के जिलाध्यक्ष केशव साहू ने वाचन किया। उल्लेखनीय है कि सीताराम साहू को इसके पूर्व राज्यपाल पुरस्कार, राष्ट्रपति पुरस्कार ,डॉ बलदेव प्रसाद मिश्र स्मृति सम्मान, राजभाषा सम्मान, संत पवन दीवान स्मृति सम्मान, गुरु गोरखनाथ अलंकरण सहित 2 दर्जन से अधिक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
उनके सम्मान के साक्षी बने सरस साहित्य समिति गुंडरदेही के केशव साहू ,कृष्ण कुमार दीप ,माखन साहू, शिवकुमार अंगारे ,भागवत साहू, बेनी राम सार्वा विशेष रूप से उपस्थित रहे।
आकाशवाणी और दूरदर्शन के वरिष्ठ लोक गायक सीताराम साहू की 07 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। मानस एवं अन्य मंचों के कुशल संचालक श्री साहू जी के सम्मान होने पर सरस साहित्य समिति गुंडरदेही, प्रेरणा साहित्य समिति बालोद, राष्ट्रीय कवि संगम बालोद, मधुर साहित्य परिषद बालोद, रचना साहित्य समिति गुरुर, हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्ली राजहरा के समस्त साहित्यकारों ने इसे बालोद का गौरव बताते हुए बधाइयां दी हैं।

