ददरिया पर परिचर्चा, अलग अलग रूपों में साहित्यकारों ने ददरिया को परिभाषित किया

LOK ASAR RAJANANGAON

साकेत साहित्य परिषद सुरगी द्वारा डोंगरगांव ब्लाक के ग्राम कुतुलबोड़ भांठागांव में मासिक काव्य गोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया. परिषद के वरिष्ठ सदस्य आनंद राम सार्वा (कुतुलबोड़ भांठागांव) के संयोजन में आयोजित इस साहित्यिक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य सरोज द्विवेदी थे एवं अध्यक्षता आत्माराम कोशा अमात्य अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति ने की.

आचार्य सरोज द्विवेदी ने कहा कि जिस तरह से साकेत साहित्य परिषद ग्रामीण क्षेत्र में साहित्यिक माहौल बनाने का भागीरथ प्रयास कर रहे हैं वह काबिले तारीफ है. उन्होंने ददरिया पर आधारित परिचर्चा को बहुत ही सार्थक बताया और कहा कि नई पीढ़ी को लोकगीतों के बारे में बताने के लिए इस तरह से परिचर्चा का आयोजन बहुत ही सराहनीय कदम है .

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आत्माराम कोशा ने ददरिया की परिभाषा को रेखांकित करते हुए कहा कि दादुर से ददरिया ध्वनित होता है . उन्होंने अनेक उदाहरणों के माध्यम से ददरिया को श्रृंगार और वियोग श्रृंगार अद्भुत समन्वय बताया. ददरिया पर आधार वक्तव्य देते हुए परिषद के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश साहू अंकुर ने ददरिया की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए ददरिया के विभिन्न प्रकार की चर्चा करने के साथ ही यह भी कहा कि इसमें दार्शनिक भाव और जीवन की क्षणभंगुरता भी झलकती है. कवि वीरेंद्र तिवारी ने कहा कि ददरिया लोकगीतों की रानी है. उन्होंने विभिन्न ददरिया का उदाहरण देकर ददरिया के प्रकार की चर्चा की. वरिष्ठ कवि सन्तू राम गंजीर ने जनमानस में इसकी प्रसिद्धि को रेखांकित किया और पाश्चात्य संस्कृति के चलते इसकी विकृति पर चिंता जाहिर की. वरिष्ठ व्यंग्यकार महेंद्र कुमार बघेल मधु ने ददरिया पर चर्चा करते हुए कहा कि आज जब पाश्चात्य संस्कृति में लोग अपनी संस्कृतियों को भूलते जा रहे हैं, ऐसी स्थिति में युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए इस तरह से सार्थक चर्चा जरूरी है. ददरिया पर शोध कार्य कर रहे होरीलाल भूआर्य व्याख्याता जोशीलमती ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ददरिया मेहनतकश मजदूर किसान द्वारा गाया जाने वाला एक ऐसा गीत है जिसके माध्यम से किसान ,मजदूर श्रमरत रहते हुए भी थकान महसूस नहीं करते हैं . परिचर्चा का संचालन पवन यादव पहुना एवं आभार प्रदर्शन परिषद के अध्यक्ष लखनलाल साहू लहर ने किया.


द्वितीय सत्र में हास्य – व्यंग कवि वीरेन्द्र कुमार तिवारी के संचालन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. काव्य पाठ करने वालों में संत राम निर्मलकर साकेत के सचिव कुलेश्वर दास साहू, लखन लाल साहू लहर, महेन्द्र कुमार बघेल मधु, ओम प्रकाश साहू अंकुर, फकीर प्रसाद साहू फक्कड़ ,आनंद राम सार्वा, पवन यादव पहुना, बलराम सिन्हा रब, मदन मंडावी (ढारा-करेला ) होरी लाल भूआर्य (परना) भूपेन्द्र कुमार साहू (सिर्रा भांठा) सुश्री निशा साहू , सुश्री रजनी साहू सहित अन्य रचनाकार सम्मिलित रहे.

द्वितीय दौर में काव्य रस से भी सराबोर हुए और परिषद द्वारा आयोजित इस साहित्यिक कार्यक्रम की ग्रामवासियों द्वारा मुक्त कंठ से प्रशंसा की गई. कवि मदन मंडावी (ढारा- करेला) की सक्रियता को देखते हुए परिषद की सदस्यता ‌ प्रदान की गई.

आभार प्रदर्शन गोष्ठी के संयोजक कवि आनंद राम सार्वा ने किया. कार्यक्रम के अंत में राजनांदगांव के वरिष्ठ साहित्यकार स्व. गणेश शंकर शर्मा को दो मिनट मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

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