छायावादोत्तर हिंदी कविता: रचनात्मक प्रतिबद्धता और सार्थकता पर सारगर्भित संवाद

रायगढ़ में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी शोध संगोष्ठी संपन्न

(रायगढ़ से लौटे प्रोफे. के. मुरारी दास की विशेष रिपोर्ट)

LOK ASAR RAIGARH

छत्तीसगढ़ की साहित्यिक व सांस्कृतिक नगरी व छायावाद के जनक तथा छत्तीसगढ़ के प्रथम पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार पं. मुकुटधर पांडे पर केंद्रित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार शासकीय करोड़ीमल कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रायगढ़ के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग द्वारा आयोजित किया गया.स्थानीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित यह संगोष्ठी 24 एवं 25 फरवरी 2023 को संपन्न हुआ.
इस भव्य आयोजन में भारत के लगभग 23 राज्यों से तथा विदेशों से अमेरिका, ब्रिटेन, नार्वे, कनाडा तथा चीन में बसे अनेक भारतीय प्रवासी साहित्यकार तथा विदेशों के स्थानीय हिंदी प्रेमी साहित्यकारों ने विभिन्न माध्यमों से अपनी उपस्थिति प्रदान की.

पद्मश्री लीलाधर जुगड़ी साहित्यकार देहरादून उत्तराखंड, पद्मश्री श्रीनिवास उगाता साहित्यकार बलांगीर ओड़िशा, पद्मश्री हलधर नाग साहित्यकार बरगढ़ उड़ीसा के अतिरिक्त डॉ. आर.डी.पाटीदार कुलपति ओपी जिंदल विश्वविद्यालय रायगढ़ तथा प्रोफे. ललित प्रकाश पटेरिया कुलपति एसएनपी विश्वविद्यालय रायगढ़ प्रमुख अभ्यागत , वक्ता एवं विश्लेषक के रूप में थे  संगोष्ठी की. अध्यक्षता डॉ विनय पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग रायपुर छत्तीसगढ़ ने किया.

 कार्यक्रम की शुरुआत कु. ईशा यादव, श्री जगदीश मेहर व मनहरण सिंह ठाकुर द्वारा स्व.जयशंकर प्रसाद की रचना वर दे वीणावादिनी वरदे का गायन सरस्वती वन्दना के संगीतमय प्रस्तुति के साथ हुआ. इस अवसर पर विगत  दिनों में कुमारी ईषा यादव एवं सहयोगियों द्वारा स्व. जयशंकर प्रसाद, मुकुटधर पांडे, डॉ.हरिवंश राय बच्चन व रामधारी सिंह दिनकर के विभिन्न रचनाओं की सांगीतिक प्रस्तुतियां की गई.

इन दो दिनों में छायावादोत्तर हिंदी कविता रचनात्मक प्रतिबद्धता और सार्थकता विषय पर केंद्रित प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, नवगीत कविता,जनवादी कविता, बीट कविता, हाइकु, और समकालीन कविता के अतिरिक्त दलित, आदिवासी, स्त्री, किन्नर, विकलांग, वृद्ध,बाल विभाजन त्रासदी आदि विषयों पर अतिथियों, वक्ताओं और शोधार्थियों ने अपने विचार शोध आलेख और अनेक शोध प्रस्तुतियां दी
इस अवसर पर संगोष्ठी में साहित्य,कला, संगीत,पत्रकारिता व विभिन्न विधाओं के लगभग 15 विभूतियों को सम्मानित भी किया गया. इस अवसर पर संगोष्ठी आयोजन के प्रधान संयोजक व महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.मीन केतन प्रधान की कृति छायावाद के 100 वर्ष और मुकुटधर पांडे, संगोष्ठी स्मारिका एवं अन्य कृतियों का विमोचन मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया.


दूसरे दिन जिन लोगों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया उसमें शोधार्थी मृत्युंजय दुबे खरसिया, संगीता बंजारा घरघोड़ा, महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर, प्रोफे.के. मुरारी दास बालोद, डॉ अनिल पाठक लखनऊ, प्रोफेसर प्राची थवाइत, के अतिरिक्त ऑनलाइन शोध पत्र प्रस्तुत करने वालों में डॉ अर्चना पांडे, डॉ. बठियार साहू बिहार, डॉ सरोज चक्रधर रायपुर, कु. वर्षा चाइना से, प्रमुख रहे. संगोष्ठी के प्रथम दिवस का संचालन प्रोफेसर सौरभ सर्राफ डिग्री कॉलेज रायगढ़, तथा द्वितीय दिवस का संचालन डॉ रमेश टंडन हिंदी विभागाध्यक्ष खरसिया ने की. तथा डॉक्टर आर.पी टंडन ने दो दिवसीय सेमिनार का समीक्षा विश्लेषण किया.
इन दो दिवसीय संगोष्ठी में जिन लोगों ने अपनी गरिमा में उपस्थिति और विचार रखें उनमें केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली के सहायक निदेशक द्वय डॉ. दीपक पांडे व डॉ. नूतन पांडे, नेशनल पेपरबैक पब्लिशर्स के प्रकाशक पंकज ओझा, नीलम चिरंजीव राव, डॉ.अंजनी कुमार त्रिपाठी ,जावेद मती सूचित निषाद प्रोफेसर प्यारेलाल आदिले,डॉ. षड़ंगी, डॉ. करुणा पांडे, डॉ स्नेह ठाकुर प्रवासी भारतीय साहित्यकार कनाडा, सहित अनेक विद्वत जनों की उपस्थिति रही. ✍️

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