
लोक असर गुरुर/बालोद
गत दिवस नेपाल की राष्ट्रीय राजधानी काठमांडू में त्रिभुवन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी नेपाल के केंद्रीय हिंदी विभाग , मगध विश्वविद्यालय बोधगया बिहार व केसी पब्लिकेशंस काठमांडू के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया था. इस शोध संगोष्ठी का विषय था
*Role of Education, Literature,Culture and Society in the Global Scenario* जिसमें नेपाल और भारत के अनेक विद्वान शोध विशेषज्ञ शोधार्थी, डीन, कुलपति शामिल थे जिन्होंने अपने शोध पत्रों के माध्यम से वैचारिक भूमिका का निर्वहन किया.
इस दो दिवसीय शोध संगोष्ठी में भाग लेने के लिए छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल गुरुर बालोद क्षेत्र से इकलौते प्राध्यापक प्रोफेसर के.मुरारी दास ने *वैश्विक परिदृश्य में हिंदी* विषय पर अपने शोध पत्र पढ़े.
इस इस अवसर पर शोध संगोष्ठी के दौरान जिन 21 लोगों को गद्य पद्य एवं संपादन के क्षेत्र में विशिष्ट व उल्लेखनीय अवदानों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया उनमें प्रोफेसर के० मुरारी दास भी थे, जिन्हें परंपरागत नेपाली शैली में नेपाली पट्टा ओढ़ा कर व रुद्राक्ष की माला पहनाकर तथा केसीएस पब्लिकेशंस की अनेक साहित्यिक कृतिया प्रशस्ति पत्र के साथ भेंट स्वरूप प्रदान किया गया.
प्रोफेसर दास की प्रशंसा करते हुए उनके सम्मान पत्र में लिखते हैं - *आपकी सृजनात्मक एवं रचनात्मक अभिव्यक्ति ने शिक्षा साहित्य संस्कृति और भाषा को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समृद्ध किया है साथ ही आपकी निष्ठा एवं प्रतिबद्धता ने समाज में एक उच्च मानक भी स्थापित किया है आपके इस महत्वपूर्ण अवदान के लिए आपको शिक्षा भूषण सम्मान से अलंकृत किया जाता है.
प्रोफेसर दास के इस उपलब्धि पर बधाई और शुभकामना देने वालों में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ गीता तिवारी, बी.एड. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. स्वाति जैन, लोक असर के संपादक दरवेश आनंद, एमबी के महाविद्यालय के प्राचार्या डां नाजमा बेगम, बस्तर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डां.एनडीआर चंद्रा भारतीय विश्वविद्यालय दुर्ग के प्रोफेसर एवं डीन डॉ. के.एस. गुरु पंच सहित अनेक साहित्य समिति व समाजिक पदाधिकारियों व पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों ने प्रोफेसर दास के इस उपलब्धि पर बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है.

