निजी महत्वाकांक्षा से भरी पीएम की राजनीति, वेटिंग विधेयक अभी लाना, राजनीतिक लालच!
LOKASAR BALOD
केंद्र सरकार द्वारा लाये गए महिला आरक्षण बिल को, देश की आधी आबादी के साथ शिगूफा और भेदभाव है। महिला आरक्षण तो 50% यानि आधी आबादी का होना चाहिए, सिर्फ 33% क्यों दे रहे हैं। आखिर हमने आजादी के 75 साल तक क्या किया है! इस रिजर्वेशन में हमारे गांव-खेत जाने वाली कितनी महिलाएं शामिल हो सकती हैं! उनका संरक्षण कैसे होगा?
आज हर उच्च स्तर के पद, उद्योग, प्रभाव से लेकर टीवी समीक्षक और बड़े-बड़े पदों के साथ राजनीति में पद पाने वाली महिलाएं, सभी लगभग सामान्य वर्ग की हैं। कमजोर ओबीसी महिलाएं, आगे बढ़ चुकी सामान्य वर्ग की महिलाओं का मुकाबला कैसे कर पाएंगी? महिला आरक्षण, देश की 90% आबादी गरीब आबादी के साथ बहुत बड़ा धोखा है। सरकार के प्रभाव और यशोगान में मदहोश होकर, हम यह मत भूल जाएँ कि यह आपके बुनियाद को तोड़ने वाला विधेयक है।
प्रधानमंत्री जब सबको लेकर साथ चलना चाहते हैं, और जाति इस देश की सच्चाई है तो वे ओबीसी वर्ग की गिनती क्यों नहीं करते हैं? क्या प्रधानमंत्री जी नहीं जानते कि ओबीसी वर्ग में ही एक जाति उच्च है, तो दूसरी जाति निचले स्थान पर है। उसी तरह महिलाओं की भी स्थिति है कि सभी महिला एक जैसी नहीं है। कोई महिला उच्च स्थान पर है तो कोई महिलाएं अभी खेत और मजदूरी में डूबी है। इस अधूरे विधेयक को पास किया गया तो 50 साल बाद पता चलेगा कि देश 100 साल पीछे चला गया है।