(दंतेवाड़ा से उमा शंकर की रिपोर्ट)
लोक असर समाचार दंतेवाड़ा
वनांचल क्षेत्रों में रह रहे वनवासी परिवारों के उत्थान में समर्पित संस्था वनवासी कल्याण आश्रम (बारसूर दक्षिण बस्तर) 1952 में अस्तित्व में आई थी। तब से लेकर आज पर्यन्त दंतेवाड़ा जिले के अंदरुनी क्षेत्र की बालिकाएं यहां रहकर पढ़ाई करती है।
यहां यह भी बताना लाज़िमी है कि एक लम्बे अन्तराल बाद या यूं कहे पहली बार इस तरह का आयोजन आश्रम में सम्पन्न हुआ है। इस आयोजन से बालिकाएं बेहद उत्साहित नज़र आ रही थी।

यह संस्था निष्पक्ष, निस्वार्थ तथा सेवाभाव के मंत्र कि अवधारणा को अग्रिम पंक्ति में रखकर जनहित में नि :शुल्क तौर पर यहां रहकर पढ़ाई कर रही इन बच्चियों के उज्जवल भविष्य के निर्माण में सतत प्रयासरत रहती है।
विगत दिवस 22 मार्च को समाजसेवी देशमुख परिवार के राजकुमार देशमुख (असिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी एनएमडीसी डी ए वी पॉलिटेक्निक जावंगा ) और उनकी धर्म पत्नी श्रीमती विनीता देशमुख ( समाज सेविका – एकल अभियान ) दंतेवाड़ा ने अपनी बच्ची गौरान्वी देशमुख का जन्मदिन इस आश्रम में वैदिक परंपरा के अनुसार वात्सल्य भाव से उल्लासपूर्वक तरीक़े से वनवासी बच्चों के साथ मनाया। इस अवसर पर आश्रम की बालिकाएं जन्मदिन वाला केक के साथ साथ लजीज व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया।
आश्रम में जन्म दिवस मानने की मंशा पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि इस बहाने
समाज में एक भावनात्मक संदेश पहुंचाना। गांव और नगर के बीच सेवा भाव के नैतिक मूल्यों को प्रचार प्रसार करना। बच्चों में संस्कार के बीज का बीजारोपण करना।
इस पूरे कार्यक्रम के साक्षी रहे डॉक्टर रामचंद्र गोड़बोले ,सुनीता गोड़बोले तथा डॉक्टर मंजूषा कुलकर्णी, आश्रम अधीक्षक अधीक्षिका सुश्री यशोदा बाई और श्रीमती किरण गुप्ता ।
पिछले दो दशकों से इन डाक्टरों के द्वारा लगातार इस आश्रम के सहयोग से दंतेवाड़ा के अंदरूनी क्षेत्रों में निस्वार्थ और निशुल्क तरीके से पूर्ण सेवाभाव को कर्तव्य का एक हिस्सा बनते हुए अपनी सेवाएं निरंतर प्रदान कर रहे हैं। श्रीमती किरण गुप्ता लोक निर्माण विभाग में एक क्लर्क जैसे पद में रहते हुए समाज के लिए हमेशा कुछ ना कुछ योगदान करती रहती है l
