चोरी करने के लिये लोग सम्राटों के घर जाते हैं, फकीरों के घर कौन आता है। तुमने यहां आकर मुझे सम्राट बना दिया है…

संकलन एवम् प्रस्तुति मैक्सिम आनन्द

झेन फकीर रयोकान के झोपड़े में एक रात एक चोर घुस आया। रयोकान के पास एक कंबल ही था जिसे वह दिन- रात ओढ़े रहता, और उसके पास कुछ भी नहीं था। जब चोर घुसा तो अभी वह सोया नहीं था. बस लेटा हुआ था. सो उसने चोर को भीतर आते देख लिया। उसे चोर पर बड़ी करूणा आयी कि यहां कुछ है ही नहीं जो वह ले जा सके। चोर को भी समझ आया कि वह गलत जगह घुस आया है. यहां उसके ले जाने लायक तो कुछ भी नहीं है। वह वापस लौटने को हुआ कि रयोकान उठा और अपना कंबल उसने चोर को दे दिया।


चोर बोला, ‘आप क्या कर रहे हैं? यह कंवल आपने मुझे दे दिया तो इस सर्द रात में आप क्या ओढ़ेंगे?

रयोकान ने कहा, ‘मेरी चिंता रहने दो। तुम यहाँ से खाली हाथ मत जाओ। चोरी करने के लिये लोग सम्राटों के घर जाते हैं, फकीरों के घर कौन आता है। तुमने यहां आकर मुझे सम्राट बना दिया है। यह मेरी ओर से तुम्हारे लिये एक उपहार है।

चोर बोला, ‘मैं कैसे आपसे यह कंबल ले लूं। रात और भी सर्द हुई जाती है, आप कैसे यह रात गुजार पायेंगे।

रयोकान ने कहा, ‘मैं तुम्हें कुछ दे पाऊं, उसका आनंद इस रात की सरदी के सामने ज्यादा बड़ा होगा। यदि मेरे हाथों होता, तो यह जो चांद खिला है, वह भी तुम्हें दे देता।

उस रात रयोकान ने यह कविता लिखी जो पीछे छोड़ गया, खिड़की से झांकता चांद प्रसन्नता का अर्थ है संतोष । संतोष यानि जो भी परिस्थिति है उसे तुम बिना किसी शिकायत के स्वीकार करते हो। सिर्फ स्वीकार ही नहीं करते, उसमें आनंदित भी होते हो और उसका अहोभाव भी मानते हो। यदि कुछ भी तुम्हें तुम्हारे केंद्र से हिला न पाये, तो परम प्रसन्नता प्रकट होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *