संकलन एवम प्रस्तुति-मक्सिम आनंद
जिनकी मिटने की तैयारी है, वे ही केवल परमात्मा की तरफ यात्रा कर सकते हैं।मौत इसे बुरी तरह नहीं मिटाती जिस बुरी तरह से ध्यान मिटा देता है। क्योंकि मौत तो सिर्फ एक शरीर से छुडाती है और दूसरे शरीर से जुड़ा देती है। आप नहीं बदलते मौत में। आप वही के वही होते हैं जो थे, सिर्फ वस्त्र बदल जाते हैं।
इसलिए मौत बहुत बड़ा खतरा नहीं है। और हम सारे लोग तो मौत को बड़ा खतरा समझते हैं।तो ध्यान तो मृत्यु से भी ज्यादा बड़ा खतरा है; क्योंकि मृत्यु केवल वस्त्र छीनती है, ध्यान आपको ही छीन लेगा। ध्यान महामृत्यु है।
पुराने दिनों में जो जानते थे, वे कहते ही यही थे ध्यान मृत्यु है; टोटल डेथ। कपड़े ही नहीं बदलते, सब बदल जाता है। लेकिन जिसे सागर होना हो जिस सरिता को, उसे खतरा उठाना पड़ता है। खोती कुछ भी नहीं है, सरिता जब सागर में गिरती है तो खोती कुछ भी नहीं है, सागर हो जाती है और कोयला जब हीरा बनता है तो खोता कुछ भी नहीं है, हीरा हो जाता है। लेकिन कोयला जब तक कोयला है तब तक तो उसे डर है कि कहीं खो न जाऊं, और नदी जब तक नदी है तब तक भयभीत है कि कहीं खो न जाऊं। उसे क्या पता कि सागर से मिलकर खोएगी नहीं, सागर हो जाएगी। वही खतरा आदमी को भी है।
