शरीर ने तुम्हें नहीं खोजा है, तुमने अपनी वासनाओं के कारण शरीर खोजा है …

#संकलन एवम प्रस्तुति मैक्सिम आनन्द#

सूफी फकीर हुआ बायजीद । वह अपने शिष्यों के साथ एक सड़क से गुजरता था और एक आदमी एक गाय को बांध कर ले जा रहा था। वह गाय जा नहीं रही थी और वह…. जबरदस्ती घसीट रहा था। तो बायजीद ने अपने शिष्यों को कहा, खड़े हो जाओ, घेर लो इस आदमी को।

एक स्थिति मौजूद हो गई है, इससे कुछ शिक्षा लेनी है।

वे घेर कर खड़े हो गए। वह आदमी थोड़ा चौंका भी। पर बायजीद बड़ा जाहिर फकीर था। उस आदमी ने भी कहा, होगा कुछ; शिष्यों को समझाता होगा। बायजीद ने शिष्यों से पूछा कि तुम मुझे यह बताओ, यह आदमी गाय से बंधा है कि गाय इस आदमी से बंधी है ?

जाहिर था। लोगों ने कहा कि गाय आदमी से बंधी है। आदमी क्यों बंधेगा गाय से ? हाथ में रस्सी आदमी के है; गाय के गले में है। जाहिर है, गाय बंधी है, आदमी मुक्त है।

बायजीद ने कहा, अब दूसरा सवाल – अगर हम रस्सी तोड़ दें तो गाय आदमी के पीछे जाएगी कि आदमी गाय के पीछे जाएगा ?

उन्होंने कहा, आदमी गाय के पीछे जाएगा। तो उसने कहा, फिर पहले सवाल का उत्तर गलत है। गाय नहीं बंधी है। गाय तो छूटने की कोशिश कर रही है, नासमझो ! वह तो पीछे खिंच रही है। आदमी उसको खींच रहा है। रस्सी टूटते ही गाय भाग खड़ी होगी। आदमी खोजेगा गाय को। तो बंधा कौन है ?

शरीर ने तुम्हें नहीं खोजा है, ध्यान रखना। तुमने अपनी वासनाओं के कारण शरीर खोजा है। तुमने गर्भ खोजा है, गर्भ ने तुम्हें नहीं खोजा। अगर शरीर तुम्हें छोड़ने लगे तो तुम डाक्टर को बुलाओगे, शरीर डाक्टर को नहीं बुलाएगा। शरीर तो झंझट से छूटना चाहता है। तुमने काफी सता रखा है। उसको तो विश्राम मिलेगा। मिट्टी मिट्टी में गिर जाएगी, प्रसन्न होगी। पानी पानी में मिल जाएगा, झंझट मिटी। आकाश आकाश में लीन हो जाएगा, हवा हवा में लीन हो जाएगी। काफी तुम्हारे फेफड़ों ने कष्ट भोग लिया।

न, शरीर क्षण भर को भी न कहेगा कि मुझे कुछ नुकसान हो रहा है। शरीर तो मुक्त हो जाएगा। तुम रोओगे, चिल्लाओगे। जब तुम मरते हो तो शरीर रोता है कि तुम रोते हो ? शरीर तो शांति से मरने को तैयार है, विश्राम में जाने को तैयार हो गया है। तुम पकड़ रहे हो। तुम कह रहे हो डाक्टर से कि आक्सीजन का सिलिंडर लगा दो, कि कुछ भी हो जाए, मगर रहेंगे शरीर में। चाहे बेहोश रहें, मगर रहेंगे।पश्चिम के अस्पतालों में बहुत से लोग बेहोश पड़े हैं। बस आक्सीजन के सिलेंडर से लटके हैं। मगर उनके पास. पैसा है। वे कहते हैं, मरेंगे नहीं। चाहे बेहोश ही पड़े रहेंगे, कभी तो ठीक होंगे। यहां तक बात पहुंच गई है कि कुछ लोगों ने अपनी लाशों को सुरक्षित करवा लिया है अमरीका में। क्योंकि इस बात की आशा है कि बीस साल के भीतर मुर्दे को जिलाने की संभावना है। तो जो मर गए हैं करोड़पति लोग… कम से कम इस तरह की हजार लाशें अमरीका में सुरक्षित हैं।

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