(लोक असर समाचार रायपुर)
हसदेव अरण्य के समृद्ध जंगल, जमीन, हसदेव नदी और पर्यावरण को बचाने के लिए रायपुर में विभिन्न जन आंदोलन, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं पर्यावरण संवेदनशील नागरिकों की बैठक आयोजित हुई, जिसमे निर्णय लिया गया कि आगामी शीतकालीन सत्र में विधानसभा में पूरे प्रदेश से 10 लाख याचिकाएं प्रस्तुत की जाएँगी।
हसदेव में स्थानीय ग्रामीणों, संवैधानिक ग्रामसभाओं और स्वयं विधानसभा के पवित्र सदन की अवमानना करके पुलिस संरक्षण में हजारों पेड़ो को काटा जा रहा हैl राजस्थान को आबंटित 3 कोल ब्लॉकों में 10 लाख से अधिक पेड़ों का विनाश होना है l पिछले डेढ़ सालों में ही 40 हजार से अधिक पेड़ों को काट दिया गया, जो साल, महुआ, बीजा, तेंदू जैसे मिश्रित प्राकृतिक जंगल हैं l असंख्य जीव-जंतु एवं वहां पाए जाने वाली विलुप्त प्राय: वनस्पति ख़त्म हो रही हैं l खनन से ऐतिहासिक रामगढ पहाड़ी और सीता गुफा का भी अस्तित्व भी संकट में आ गया है।
राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को आबंटित परसा ईस्ट केते बासेन, परसा और केते एक्सटेंसन कोल ब्लॉक को राज्य व केंद्र सरकार ने ग्रामसभाओं के फर्जी प्रस्ताव के आधार पर स्वीकृतियां जारी की गई हैं l खदान प्रभावित किसी भी गाँव की विधिवत सहमति नही ली गई हैl इस बात का प्रमाण 10 सितम्बर को कलेक्टर परिसर में अनुसूचित जन जाति आयोग की सुनवाई में सबके सामने आया, जब ग्रामीणों के आलावा स्वयं ग्राम पंचायतों के सचिवों ने बयान दिया कि ग्रामसभा समाप्त होने के बाद उच्च अधिकारियों ने उनसे जबरन खदान सहमति का प्रस्ताव उदयपुर के रेस्ट हाऊस में जुड़वाया था।
बैठक में सभी ने एक स्वर में भाजपा की अदानीपरस्ती की निंदा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ को एक उद्योगपति को सौंपकर अदानीमय बनाया जा रहा है l जहाँ भी अदानी की परियोजनाएं आ रही हैं, वहां प्रशासन संविधान और कानून का पालन करने के बजाए अदानी की जी-हुजूरी कर रहा हैl इसके खिलाफ राज्य व्यापी आन्दोलन चलाया जायेगाl
बैठक में छत्तीसगढ़ किसान सभा के उपाध्यक्ष संजय पराते, छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन से आलोक शुक्ला, डॉक्टर सत्यजीत साहू, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना से अमित बघेल, अजय यादव, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से रामलाल करियाम और मुनेश्वर पोर्ते, बबिता तिर्की, प्रथमेश मिश्रा, ओम बिसेन, समीर वेंसियानी, प्रियंका उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में नागरिक शामिल हुए।