लोक असर रायपुर (छत्तीसगढ़) 25 नवंबर
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में संविधान दिवस पर राज्य कार्यक्रम न्यू राजेंद्र नगर स्थित गुरु घासीदास साहित्य कला एवं संस्कृति अकादमी सभागार में हुआ. जिसका आयोजन किया था भारतीय दलित साहित्य अकादमी के छत्तीसगढ़ राज्य इकाई ने . कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे बिलासपुर उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश एस.एल.मात्रे जी.
अपने उद्बोधन में न्यायाधीश महोदय ने कहा-सन 1949 के पूर्व इस देश में दो प्रकार के संविधान संचालित होते थे, एक ब्रिटिश का संविधान था तो दूसरा मनुस्मृति. लेकिन 26 जनवरी 1950 के बाद जब बाबा साहब का संविधान लागू हुआ तो हम सबको बराबरी का दर्जा प्राप्त हो सका. उन्होंने कहा, भारत के 10वें राष्ट्रपति रहे डॉ.के.आर.नारायण ने देश के एस.सी., एस.टी. और ओबीसी वर्ग के लिए न्यायाधीश होने का रास्ता खोला.
उन्होंने कहा- हममें से अधिकांश लोग शिक्षा व्यवस्था से जुड़े हैं लेकिन, अंग्रेजी के मामले में हम आज भी काफी कमजोर हैं. आप शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ें. तर्कशील और विवेकी बने तथा जिन कर्मकांडों का विरोध हमारे महापुरुष ने किया था हम भी नए विचारों को लेकर आगे बढ़े.
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित तथागत संदेश मासिक पत्रिका के संपादक डॉ.आर.के. सुखदेवे जो विगत 20 वर्षों से लगातार अंधविश्वास और पाखंड पर समाज में काम करते व लिखते आ रहे हैं .ने कहा कि,ओबीसी समाज का प्रथम पढ़ा लिखा दंपति फूले दंपति रहे जिनके मेहनत का प्रभाव रहा कि,आज महाराष्ट्र में अनेक शैक्षणिक संस्थाओं और विश्वविद्यालय का नाम फूले के नाम पर रखा गया है. आज हमें किसी नए संविधान की आवश्यकता नहीं है पर हमें नए संविधान के नाम पर मनुस्मृति थोपने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा सत्य लोक कहीं और नहीं बल्कि सबको शिक्षा सबको काम, यही है इस धरती पर सत्य लोक धाम.
इस कार्यक्रम को जिन लोगों ने संबोधित किया उनमें भारतीय वन सेवा रायपुर के एच एल रात्रे, नितिन पोटाई कांकेर, डॉ क्षमता पाटिल जांजगीर चांपा, अधिवक्ता संजय गजभिए, सी.एल बंजारे. प्रमुख थे
कार्यक्रम का संचालन भारतीय दलित साहित्य अकादमी के राज्य अध्यक्ष जी आर ज्वाला ने किया.
स्वागत भाषण संजय मैथिल ने दिया तथा छत्तीसगढ़ का राज्य गान जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मैया डाबड़ा इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुत किया. इसके पूर्व मोती म्यूजिकल बैंड पार्टी धमतरी के कलाकारों ने अतिथियों एवं प्रतिभाओं के सम्मान में बहारों फूल बरसाओ तथा सारे जहां से अच्छा धुन बजाई गई. कार्यक्रम के अंत में संविधान का शपथ सुशीला वाल्मीकि द्वारा जनसभा को कराई गई.
इस अवसर पर साहित्य,कला, संस्कृति, पत्रकारिता व समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय व विशिष्ट योगदान देने वाले अनेक प्रतिभाओं का शाल, मोमेंटो व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया.
जिन लोगों की उल्लेखनीय उपस्थिति वहां रही उनमें प्रोफेसर के.मुरारी दास, सूर्यकांत वर्मा, जगजीवन चेलक,भूषण जांगड़े, प्रेम साईमन, रमेश यदु, डॉ.आर.पी.भतपहरी, डॉ.चंपेश्वर सोनकर, योमप्रकाश लहरे, शिव कौशिक, मीणा भारद्वाज, शिखा चौबे, चोवेंद्र साहू सहित भारतीय दलित साहित्य अकादमी के सभी जिला प्रमुख विभिन्न विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी सहित अनेक प्रबुद्ध जन व मीडिया कर्मी उपस्थित थे. चंद्रशेखर सांडे के आभार प्रदर्शन के साथ ऐतिहासिक कार्यक्रम संपन्न हुआ .
