नियद नेल्लानार योजना की खुलने लगी पोल, निर्माण कार्यों में जमकर हो रहा भ्रष्टाचार

(दंतेवाड़ा से हमारे संवाददाता उमा शंकर की ग्राउंड रिपोर्ट)

LOK ASAR DANTEWADA

नियद नेल्लानार योजना जो कि छत्तीसगढ़ सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। उल्लेखनीय है कि यह योजना बस्तर संभाग के लिए ख़ास तौर पर बनाई गई है। सरकार का दावा है कि इस योजना के माध्यम से बस्तर यानी नक्सल प्रभावी जिलों को आर्थिक विकास के रास्ते लाकर खड़ा किया जाएगा? जिसमें अभी से ही ग्रहण लगने लगा है।

हमारी लोक असर की टीम लगातार दंतेवाड़ा, सुकमा एवं बीजापुर जिले के पहुंच विहीन गांवों में पहुंचकर दुर्गम स्थानों में रहने वाले लोगों की हितों को ध्यान में रखकर उनसे से वार्तालाप कर उनकी समस्याओं को सत्ता में बैठे नेताओं तलक पहुंचाने एवं प्रशासनिक अधिकारियों – कर्मचारीयों को जगाने का काम कर रही है।

समाचार के पहले यह बताया जाना आवश्यक है कि नियद नेल्लानार योजना में क्या कुछ है? और क्या खास है और क्यों?

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नक्सल प्रभावित गांवों तक बुनियादी सुविधाएं और कल्याणकारी परियोजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए ‘नियद नेल्लानार योजना’ (आपका अच्छा गांव योजना) योजना शुरू की है। उन्होंने विधानसभा में कहा है कि इस योजना के तहत माओवादी आतंक प्रभावित क्षेत्रों में प्रारंभ किए गए 14 नये शिविरों की पांच किलोमीटर की परिधि के गांवों में 25 से अधिक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही इन गांवों के ग्रामीणों को सरकार की 32 व्यक्ति मूलक योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा।
सीएम साय ने बताया कि इन गांवों की मूलभूत आवश्यकता की दृष्टि से अधोसंरचना विकास और परिवारों के विकास के लिए कार्रवाई की जाएगी। इन गांवों में सभी परिवारों को विशेष पिछड़ी जनजाति के समान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास सुविधा, राशन कार्ड, मुफ्त चावल,चना-नमक, गुड़ और शक्कर, उज्ज्वला योजना के तहत चार मुफ्त गैस सिलेंडर, आंगनबाड़ी, सामुदायिक भवन, उपस्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक शाला, किसानों को सिंचाई के लिए बोरवेल सहित सिंचाई पंप, हैंड पंप, सोलर पंप, हर गांव में खेल मैदान, मुफ्त बिजली 500 यूनिट तक, बैंक सखी,एटीएम, कौशल विकास, वन अधिकार पट्टा, मोबाइल टावर, डीटीएच एवं टीवी, हेलीपैड तथा खंड मुख्यालय तक बस सेवा जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

यह भी बताते चलें कि इस योजना को लागू हुए 8 महीने पूरे हो चुके हैं। इस योजना अन्तर्गत अब तक कितने गांवों में कौन सी योजनाएं प्रारंभ की जा चुकी है? इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है। किन्तु लोक असर की टीम को नियद नेल्लानार योजना के तहत दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से तकरीबन 90 किमी दूर स्थित ग्राम मुलेर का पटेलपारा जो कि ग्राम पंचायत मुलेर ब्लॉक कुआकोंडा में आता है। सुकमा एवं दंतेवाड़ा जिले के अन्तिम छोर पर बसा यह मुलेर ग्राम के ७ पारा है एवं गांव की कुल आबादी लगभग ५०० बताई जाती है। धुर नक्सल प्रभावी क्षेत्र है। जिला मुख्यालय से नकुलनार, पालनार, चोलनार एवं अरनपुर से होते हुए लगभग ९० से ९५ किमी की दूरी तय कर जाना पड़ता है।

इस बड़ी भूमिका के पीछे नियद नेल्लानार योजना के अंतर्गत कुआकोंडा विकास खण्ड के ग्राम मुलेर में बनाई गई नई आंगनबाड़ी केंद्र है। बनकर तैयार आंगनबाड़ी केंद्र का भवन चंद दिनों में लोकार्पण किया जाना है, जहां पर मुलेर ग्राम के सात पारा के छोटे बच्चे खेलने कूदने के साथ यहां पर क ख ग़ भी सीखेंगे इस उद्देश्य की जरूरत इस भवन में क्या हो पाएगी? यह सवाल बनाए गए नए भवन को देखकर नहीं लगता है। इसके निर्माण काल में ही संबंधित ठेकेदार एवं अधिकारी मिलकर भ्रष्टाचार की ईबारत लिख गए हैं।

नई आंगनबाड़ी भवन की कुछ तस्वीरें

बताते चलें कि भवन का निर्माण टिनशेड से किया गया है। टॉयलेट वाशरूम में न पानी की व्यवस्था की गई है और न ही कोई जल प्रदाय के लिए कोई पाइप कनेक्शन है। टॉयलेट के लिए पर्याप्त रूप से सोख्ता बनाया गया है। उपयोग में लाई गई सामग्री बेहद ही स्तरहीन है, जबकि ऐसे निर्माण कार्यों में आई एस आई मार्क वाली सामग्री इस्तेमाल की अनिवार्यता निर्धारित होने के उपरांत अधिकारी कमीशनबाजी के चलते जानबूझकर ठेकेदार को उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं। यह जांच का विषय है।

भवन की कुछ और तस्वीरें

यह भी उल्लेखनीय बात होगी कि दुर्गम क्षेत्रों में होने वाले निर्माण कार्यों में आम लोगों की जानकारी के लिए जो सूचना पटल लगाया जाता है उसका कहीं पता नहीं। विभागीय अधिकारी इस तथ्य को छुपाते हैं कि उक्त निर्माण में लागत राशि कितनी है? कितने महीने तक पूरा किया जाना है? सम्बंधित एजेंसी कौन है एवं उसका ठेकेदार कौन है साथ ही उस कार्य के मूल्यांकन अधिकारी कौन है? इस आशय का बोर्ड लगाना अनिवार्य है लेकिन इसमें कोताही बरती जाती है।

इधर हूंगा मीडियामी जो उप सरपंच है , उनसे पूछे जाने पर बताया कि स्कूल का भवन है। आंगनबाड़ी का पैनल भवन किस विभाग के माध्यम से बनवाया गया है इसकी जानकारी ग्रामीणों को है न पंचायत प्रतिनिधियों को है।

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