LOK ASAR BALOD
जिले में जल के संरक्षण एवं संवर्धन के उपायों के अंतर्गत जिले के किसानों को ग्रीष्मकालीन धान के बदले अन्य फसलों के पैदावार के लिए प्रोत्साहित करने आज किसानों से उनके खेतों में पहुँचकर उनसे मुलाकात की। जिले के बालोद विकासखण्ड के ग्राम मटिया में पहुँचकर किसानों द्वारा अपने खेतों में लगाए गए रबी फसलों का कलेक्टर ने अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने ग्राम मटिया से भेड़िया नवागांव तक किसानों के खेतों में पैदल चलकर रबी फसलों का मुआयना किया।
उन्होंने किसानों द्वारा अपने खेतों में लगाए गए ग्रीष्मकालीन धान के बदले चना, गेहूँ, सरसों, लाखड़ी आदि फसल को देखकर बहुत ही प्रसन्नचित हुए। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को ग्राम मटिया एवं आसपास के गांवों में चना एवं गेहूं आदि फसलों का क्षेत्राच्छादन बढ़ाने के निर्देश भी दिए। इसके अलावा उन्होंने किसानों को इन फसलों का अधिक से अधिक उत्पादन के लिए प्रेरित करने तथा बिक्री आदि की भी समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। जिससे किसानों को अपने उत्पाद का वाजिब दाम मिल सके। इस दौरान कृषि विभाग के उप संचालक जी एस ध्रुवे, सहायक संचालक एस एन ताम्रकार सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
कलेक्टर ने किसानों को उनके उत्पाद का उचित दाम दिलाने हेतु की जा रही व्यवस्था के अंतर्गत किसान बिचैलियों के माध्यम से अपने उत्पाद की बिक्री न करके कृषक उत्पाद समूह आदि के माध्यम से बिक्री की व्यवस्था के संबंध में विस्तृत चर्चा की।
मौके पर उपस्थित किसानोें से चर्चा कर इसके लिए जरूरी आवश्यकताओं के संबंध में भी जानकारी ली। किसानों ने कहा कि इस कार्य के लिए उन्हें सर्वप्रथम फसल पकने के बाद फसलों के उचित रखरखाव की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना अत्यंत आवश्यक है। फसलों को घुन आदि से बचाने के लिए समुचित मात्रा में दवाइयां आदि की आवश्यकता पड़ेगी।
कृषि विभाग के अधिकारियों को कृषि उत्पादक समूह से चर्चा कर इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए।
इस दौरान ग्राम मटिया में किसान बिसाहू राम, दीनदयाल, भूवन लाल, द्रोणाचार्य साहू आदि किसानों के खेतों में पहुँचकर वहाँ लगाए गए रबी फसलों का अवलोकन किया। किसान दीनदयाल ने बताया कि पिछले वर्ष उन्होंने रबी सीजन में धान फसल लगाया था। लेकिन इस साल किसान चौपाल में अधिकारियों द्वारा पानी के संरक्षण के उपाय के सुनिश्चित करने हेतु ग्रीष्मकालीन धान के बदले अन्य फसल लगाने हेतु दी गई समझाईश को स्वीकार करते हुए उन्होंने धान के बदले अपने खेतों में चना फसल लगाया हैै।
मौके पर उपस्थित किसानों एवं अधिकारियों से प्रति एकड़ चना फसल की कुल उत्पादन तथा अपने उत्पाद की बिक्री से होने वाले लाभ के संबंध में भी जानकारी ली। किसानों ने बताया कि धान के बदले दलहन एवं तिलहन फसल लगाने से पानी की खपत बहुत कम होती है।