LOK ASAR RAIPUR
छत्तीसगढ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ रायपुर द्वारा विभिन्न ज्वलंत समस्याओं पर अर्जुन मुंडा पूर्व केंद्रीय मंत्री भारत सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री झारखंड का ध्यान आकृष्ट कराते हुए निराकरण की मांग हेतु नीलकंठ टेकाम विधायक एवं आर एन ध्रुव प्रदेश अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ छत्तीसगढ़ के नेतृत्व में मिले।

मुंडा जी ने रायपुर के मायरा रिसोर्ट में एक घंटे तक समस्याओं को विस्तार सुनने के बाद मुख्यमंत्री से मिलकर निराकरण का आश्वासन दिए।
जिसमें प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप छत्तीसगढ़ में पदोन्नति में आरक्षण लागू हो। ज्ञात हो पदोन्नति आरक्षण नियम का पालन किये बगैर नियम कानून को ताक में रखकर धड़ल्ले से गैर आरक्षित वर्ग के लोगों को पदोन्नति कर दिया गया है एवं पदोन्नति की जा रही है । जिसके कारण आरक्षित वर्ग के अधिकारी कर्मचारी पदोन्नति से वंचित हो रहे हैं एवं आरक्षित वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं होने पर वह पद रिक्त नहीं होता और समाज के बेरोजगार युवा रोजगार से वंचित हो रहे हैं। इसलिए तत्काल गैर संवैधानिक पदोन्नति पर रोक लगाते हुए नियमानुसार पदोन्नति हो।
अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के छात्रवृति हेतु 2.50 लाख की आय-सीमा निर्धारित की गई है,जिसके कारण इस वर्ग के कई विद्यार्थी अर्थ के अभाव में आगे की पढ़ाई से वंचित हो जाते हैं। आदिवासी वर्ग का निर्धारण जन्म से ही हो जाता है इसलिये इस वर्ग के लिये आय-सीमा की बाध्यता को समाप्त किया जावे।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारियों के खिलाफ कार्यवाही बाबत
उच्च स्तरीय छानबीन समिति में फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारियों का प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने के बाद भी कानुन की आड़ में न्यायालय से स्टे लेकर फर्जी लोग शासकीय सेवा में नौकरी कर रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप वास्तविक आदिवासी आरक्षण के लाभ से वंचित हो रहे हैं। कृपया इन फर्जी लोगों के खिलाफ तत्काल कार्यवाही किया जावे।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिले के सभी विभागों में तृतिय एवं चतुर्थ वर्ग के पदों पर शत-प्रतिशत भर्ती स्थानीय वर्ग के योग्य बेरोजगारों से आवेदन मंगाकर किया जावे। इससे आदिवासी क्षेत्रों में जो तरह-तरह की घटनायें घट रही है ,उस पर तत्काल रोक लगेगा।
छग के अधिकांश शासकीय विभागों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के पद रिक्त हैं। जिसमें आजतक भर्ती नही हो पाया है और छग शासन संविदा एवं आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम चला रही है। ज्ञात हो संविदा एवं आउटसोर्सिंग पर कार्य करने के लिये कोई आरक्षण नियमों का पालन नही होता है। विशेष भर्ती अभियान चलाकर इन रिक्त पदों को भरा जावे।
छ.ग.शासन के सभी मंत्रियों के पास अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिकारी/कर्मचारी को कम से एक विशेष सहायक/निज सहायक एवं अन्य स्टाफ के पद पर रखा जावे, जिससे सरकार और आदिवासी बाहुल्य समाज के बीच निरंतर कम्युनिकेशन / संवाद बना रहे।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में आदिवासी समाज के पुलिस अधीक्षक एवं कलेक्टरों की संख्या बहुत ही कम है। छ.ग. में लोक सेवा आयोग के राज्य प्रशासनिक पद में 18 से 22 वर्ष कार्यानुभव रखने वाले सबसे ज्यादा है। उन्हे उनके योग्यता, क्षमता, कार्यानुभव के अनुकूल पद-प्रतिष्ठा पर पदस्थ किया जावे। आदिवासी समाज के प्रमोशन प्राप्त अधिकारियों को कम से कम 33 जिलों मे से 11 जिलों में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक के पदों पर पदस्थ किया जावे।
आदिवासी समाज के बहुत सारे अधिकारी कर्मचारी बेवजह निलंबित है, जिनकी बहाली हो। कई स्थानों पर आदिवासी समाज के वरिष्ठ अधिकारियों के ऊपर कनिष्ठ अधिकारियों की पदस्थापना कर दी गई है। जिससे आदिवासी समाज के अधिकारी कर्मचारियों में निराशा व्याप्त है। ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ आदिवासी वर्ग का अधिकारी कर्मचारी अपनी बात कहीं रख नहीं पाते हैं। ऐसे अधिकारी कर्मचारियों की सूची मंगा कर इन अधिकारी कर्मचारियों को त्वरित न्याय दिलाई जावे। आदिवासी विभाग को शिक्षा विभाग से अलग करने की मांग रखी गई।
इस अवसर पर श्रीमती विद्या सिदार, पवन नेताम, एसपी ध्रुव, शिव प्रसाद ध्रुव , टामेश्वर ठाकुर, नारायण सिदार प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
