अपनी मांगें लेकर यूनाइटेड फ्रंट फॉर ट्रक ट्रांसपोर्टर्स एंड सारथी एसोसिएशन की बैठक 29 जून को राउरकेला में

लोक असर समाचार

देशभर के ट्रक मालिकों और चालकों के हक और हितों के लिए कार्यरत “यूनाइटेड फ्रंट फॉर ट्रक ट्रांसपोर्टर्स एंड सारथी एसोसिएशन्स – राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा” ने केंद्र और राज्य सरकारों के समक्ष 15 प्रमुख मांगों को अविलंब लागू करने की पुरजोर अपील की है।
इस आशय की जानकारी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजकुमार यादव ने दी। इसे लेकर 29 जून को राउरकेला में बैठक होगी।

15 प्रमुख मांगें

O प्रमुख मांगों में केंद्र सरकार “केंद्रीय परिवहन आयोग” की तत्काल स्थापना करे।
O सभी राज्यों में केंद्र सरकार के तर्ज पर राज्य परिवहन आयोग की संरचना की जाए।
O राज्य सरकार कोऑपरेटिव पावर का इस्तेमाल करते हुए भारी वाहनों के लिए 5% रिड्यूसिंग ब्याज दर पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराए।
O किसी भी सड़क दुर्घटना में मृत्यु की स्थिति में चालक या मालिक को ₹15 लाख की त्वरित सहायता मिले।
O वाहन बीमा प्रीमियम में 70% तक कटौती की जाए ।
O पूरे देश में “एक देश – एक चालान – एक भुगतान” की नीति तत्काल लागू हो।
O प्रत्येक जिले में कम से कम 5 ट्रक टर्मिनल की स्थापना हो, जिसमें सरकारी खर्च पर स्वच्छ स्नानागार, शौचालय एवं शयनकक्ष की सुविधा हो।
O परिवहन से जुड़ी सभी संस्थाओं का पंजीकरण और ऑडिट अनिवार्य किया जाए।
O राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना व दिल्ली में पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा चेकिंग व वसूली के नाम पर किए जा रहे उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगे।
O उत्तर प्रदेश मॉडल राज्य के रूप में लागू हो।
बहुआयामी टैक्स के बोझ को कम करते हुए भारी वाहनों के टोल शुल्क में 50% की छूट दी जाए।
O स्क्रैप पॉलिसी को पुनर्विचार कर नवीन निर्धारण के तहत लागू किया जाए।
O लोडिंग या अनलोडिंग स्थल के राज्यों में ही वाहनों की चेकिंग नियम प्रभावी हो।
O फर्जी जी एस टी व ओवरलोडिंग की सूचना देने वाले को माल के मूल्य का 50% पुरस्कार दिया जाए।
O किसी भी वाहन को बेवजह रोके जाने, चालक-मालिक से दुर्व्यवहार अथवा भाड़ा रोके जाने की स्थिति में दोषी अधिकारी पर गैर-जमानती धारा में कार्रवाई कर सीधा जेल भेजा जाए।
O ड्राइवरों और मालिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कठोर और प्रभावी कानूनी संरक्षण दिया जाए।

डॉ. राजकुमार यादव ने सरकार से अनुरोध किया है कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इस क्षेत्र की समस्याओं को नजरअंदाज करना देशहित के विपरीत होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन मांगों पर शीघ्र अमल नहीं हुआ, तो राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

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