lok asar salhevara

प्राकृतिक सौंदर्य से प्रकूल्लित प्रदेश को ही छत्तीसगढ़ कहा गया है । नवसृजित खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला विभिन्न क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ को गौरान्वित करता है। जैसे प्रथम एशिया प्रसिद्ध संगीत विश्व विद्यालय खैरागढ़, द्वितीय मंदीप खोल का गुफा , तृतीय में बैताल रानी घाटी, मोटियारी घाट तथा औषधि गुणों से पल्लवित सघन वन, मैकल पर्वत श्रृंखला की गोदी में विचरण करते वन्य प्राणियों का समूह आकर्षण का केन्द्र हैं। वहीं ठाड़पानी जलप्रपात का नज़ारा देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।
ठाड़पानी जलप्रपात लगभग 120 फीट ऊँचाई से प्रपात बनाती हुई, अमरपुर नदी में विलय होकर, पूर्वदिशा में जलगामनी करती हुई, कर्रानाला जलाशय में समा जाती है।
राजनांदगांव कवर्धा मुख्य मार्ग पर स्थित नर्मदा ग्राम से 40किमी पर साल्हेवारा है और वहां से 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित है ठाड़पानी जलप्रपात।
यह स्थान जिला मुख्यालय खैरागढ़ से तकरीबन 120 कि.मी. दूर है। गण्डई जमीदारी के पावन भूमि में, अनेकों शक्ति पीठ विराजमान है। और जैसे नर्मदा कुण्ड़, गंगई माता के पश्चात साल्हेवारा मार्ग के आसपास देऊरभान मंदिर नांग बाहरा, घटियारी तालाब, पाटेश्वरी देवी, भ्रामरी देवी, अन्नपूर्णा देवी, डोंगेश्वर महोदव, बँजारी माता, कंशेला पाठ, बँजर नदी का उद्गम स्थल बँजारपुर, जाम झिरिया, कारीदाहरा, केरापानी, ठाड़पानी, आदि जिले का गौरव शाली इतिहास हैं। जिसे भी आप भ्रमण कर सकते हैं।
हालांकि वर्षा ऋतु में ठाड़पानी जलप्रपात तक पहुंचने में असुविधा होती है। जिले के मैकल पर्वत श्रृंखलाओं के पूर्वी भाग में कर्रानाला जलाशय, सुरही जलाशय, रानी रश्मिदेवी जलाशय के जलीय तरंगों को देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है।
