(लोक असर समाचार)
ओडिशा राज्य के सुंदरगढ़ और क्योंझर जिले खनिज-संपन्न क्षेत्र हैं, जहां लौह अयस्क (iron ore), मैंगनीज (manganese), कोयला (coal) और अन्य खनिजों का बड़े पैमाने पर खनन होता है। इन जिलों में खनन से जुड़े भ्रष्टाचार और घोटाले लंबे समय से चर्चा में रहे हैं, जिनमें अवैध खनन, रॉयल्टी चोरी, पर्यावरण नियमों का उल्लंघन, और राजनीतिक-प्रशासनिक मिलीभगत शामिल हैं। ये घोटाले मुख्य रूप से 2009-2014 के बीच उजागर हुए, लेकिन हाल के वर्षों (2024-2025) में भी नए मामले सामने आए हैं।
न्यायमूर्ति एम.बी. शाह आयोग (Shah Commission) की रिपोर्ट (2014) ने इन जिलों में Rs 59,203 करोड़ से अधिक के अवैध खनन का अनुमान लगाया था, जिसमें क्योँझर और सुंदरगढ़ जिलों का प्रमुख योगदान था। आयोग ने कहा कि ओडिशा में सभी प्रकार के अवैध खनन लगातार हो रहे हैं, और नियमों की पूर्ण अवहेलना की जा रही है। नीचे दोनों जिलों के प्रमुख घोटालों का विस्तृत विवरण दिया गया है, जो विभिन्न जांच रिपोर्टों, सरकारी आदेशों और मीडिया स्रोतों पर आधारित है। ये मुख्य आरोप हैं और कई मामलों में जांच जारी है।
सुंदरगढ़ जिले में खनन भ्रष्टाचार और घोटाले –
सुंदरगढ़ जिला ओडिशा के प्रमुख खनन क्षेत्रों में से एक है, जहां कोयला, लौह अयस्क और मैंगनीज का खनन प्रमुख है। यहां अवैध खनन मुख्य रूप से आरक्षित वनों (reserved forests) में होता है, जो पर्यावरण क्षति का मुख्य कारण बनता है। प्रमुख घोटाले निम्नलिखित हैं:
2025 का प्रमुख कोयला और मैंगनीज घोटाला कई सौ करोड़ के घोटाले की आशंका:
मई 2025 में, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सुंदरगढ़ के हेमगिरी और कोइड़ा तहसीलों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की जांच के लिए विजिलेंस विभाग को विशेष आदेश दिया।
हेमगिरी में 22 खदानों से 9,843 मीट्रिक टन कोयले का अवैध निकासी हुआ, जिसकी कीमत कई करोड़ों में है। यह मुख्य रूप से गोपालपुर और अन्य क्षेत्रों में हुआ।
कोइड़ा में 50 खदानों से 20,000 मीट्रिक टन मैंगनीज और 1,200 मीट्रिक टन लौह अयस्क का अवैध निकासी, कीमत कई करोड़ों से अधिक है l
विजिलेंस ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की है। जांच में खनन माफिया, स्थानीय अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण की भूमिका की जांच हो रही है। अप्रैल 2025 में, ओडिशा के स्टील एंड माइंस मंत्री ने सुंदरगढ़ में अवैध कोयला खनन पर छापेमारी की, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
आरक्षित वनों में छिपी खदानों का खुलासा हुआ, जो पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है।
डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड डीएमएफ घोटाला:
सुंदरगढ़ में डीएमएफ फंड (खनन से प्राप्त धन का उपयोग स्थानीय विकास के लिए) में हजारों करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप। फंड का दुरुपयोग विकास कार्यों की बजाय निजी लाभ के लिए हुआ जो चर्चा का विषय बना हुआ है l
ऐतिहासिक संदर्भ (2014 शाह आयोग रिपोर्ट):
सुंदरगढ़ और केओनझर में Rs 59,000 करोड़ से अधिक के अवैध खनन का अनुमान। अवैध निकासी, बिना लीज के खनन, और रॉयल्टी चोरी प्रमुख मुद्दे।
2013 में, स्टील एंड माइंस विभाग के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, जो कोलकाता की एक कंपनी को अनुचित लाभ देने के आरोपी थे।
हाल की घटनाएं :
अप्रैल 2025 में, अवैध कोयला खदानों का खुलासा, जो ओडिशा सरकार के लिए चुनौती का कारण बना।
फरवरी 2025 में, DMF फंड में भ्रष्टाचार के आरोप, जिसमें कई करोड़ नकद और अघोषित संपत्ति की आसंका व्यक्त की गई है जिसमे स्थानीय विधायकों की मौन सहमती इसका कारण बनी l
. क्योंझर जिले में खनन भ्रष्टाचार और घोटाले –
क्योंझर ओडिशा का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक जिला है, जहां टाटा स्टील, JSW आदि अन्य बड़ी कंपनियां सक्रिय हैं। यहां घोटाले मुख्य रूप से ओर ग्रेड मेनीपुलेसन, अवैध निकासी और परिवहन घोटालों से जुड़े हैं।
ओर ग्रेड मैनिपुलेशन घोटाला (2025):
क्योंझर में टाटा स्टील पर ओर ग्रेड मेनीपुलेसन का आरोप, जिसमें मिनरल रॉयल्टी इवेशन शामिल है। यह ओडिशा के खनन घोटाले का हिस्सा है।
उलिबुरु माइनिंग घोटाला (Rs 1,800 करोड़):
2015 में उजागर, जिसमें Rs 463 करोड़ की संपत्ति जब्त। दीपक गुप्ता उलीबुरु माइंस का पावर ऑफ अटॉर्नी धारक और उनके भाई चंपक गुप्ता पर आरोप कि उन्होंने लीज सीमा से बाहर आरक्षित वन से लौह अयस्क निकाला। मार्च 2024 में, ईडी ने दोनों से पूछताछ की।
यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, और ईडी की जांच जारी है। वहीं इनके स्वामित्व वाले ईडी द्वारा जब्त जमीनों की बेधड़क बिक्री जारी है लिए
बीजद नेता राजा चक्र गिरफ्तारी (कई सौ करोड़ घोटाला, 2025):
मार्च 2025 में, बीजद नेता सौम्यशंकर चक्र (राजा चक्र) को ओडिशा क्राइम ब्रांच ने गंधमर्दन माइनिंग लोडिंग एजेंसी भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया। जबकी अभी भी कई जीएसटी इनपुट फ्रॉड व सक्रेप व्यापारी एंव बीजद समर्थक धड़ल्ले से इस खेल को अमलीजामा पहना रहे हैँ जो जाँच का विषय है l इसमें फंड दुरुपयोग और अनियमितताएं शामिल। पूर्व मंत्री व बीजद नेता बद्री नारायण पात्रा ने आई ए एस और आईपीएस अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया। राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा “ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी” उफ्तत्सा ने पहले ही आरोप लगाया था कि आपराधिक छवि वाले परिवहन व्यवसाईयों के द्वारा माफियाओं के तरह विभिन्न माइंस में कब्जा जमाए हुए हैँ जो भ्र्ष्टाचार का मुख्य कारण है- पुलिस विभाग की मुकदर्शिता कौतुहल का कारण है लिए
जांच में राजनीतिक नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स और तत्कालीन पुलिस की भूमिका की जांच हो रही है इनमे एक एस डी पी ओ द्वारा करोड़ों में आयोजित विवाह समारोह दबे जबान चर्चा का कारण है।
बड़ा माइनिंग घोटाला (Rs 8 लाख करोड़ का आरोप, 2024):
भाजपा ने ओडिशा के माइनिंग सेक्टर में Rs 8 लाख करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया, जिसमें मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की जानकारी में घोटाला होने का दावा। सीबीआई जांच की मांग।
जून 2024 में, मुख्यमंत्री मोहन माझी ने क्योंझर के “लुटेरों” को जेल भेजने की चेतावनी दी। वहीं एनडीए की सहभागि राष्ट्रवादी कॉंग्रेस पार्टी ने भी बीजद काल में किये गए घोटाले की गहन जाँच हेतु मांग की है लिए
ऐतिहासिक संदर्भ:
2009 में घोटाला उजागर, जिसके बाद Rs 2,056 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। शाह आयोग ने Rs 60,000 करोड़ के लौह अयस्क चोरी का अनुमान लगाया।
नवंबर 2024 में, क्योंझर के जूनियर माइनिंग ऑफिसर पद्मनव होता की संपत्ति जब्त: 3 बहुमंजिला इमारतें, 14 प्लॉट, 5 एकड़ फार्महाउस, Rs 34 लाख जमा, और 300 ग्राम सोना।
हाल की घटनाएं :
जून 2024 में, डीएमएफ फंड और माइनिंग घोटाले के आरोप। मार्च 2024 में, ओडीसा हाईकोर्ट ने राजा चक्र की अग्रिम जमानत खारिज की।
समग्र प्रभाव और कार्रवाई
पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव: अवैध खनन से वन क्षति, जल प्रदूषण और स्थानीय समुदायों का विस्थापन हुआ। शाह आयोग ने ओडिशा और झारखंड में अवैध खनन पर रिपोर्ट सौंपी।
कार्रवाई: ईडी, सिबिआई,विजिलेंस और इकोनॉमीक ऑफन्स विंग जांच कर रहे हैं। 2021 में Rs 2,056 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। भाजपा सरकार ने 2024-2025 में जांच तेज की, लेकिन विपक्ष (बीजद, कांग्रेस) मिलीभगत के आरोप लगाता है।
राजनीतिक कोण: भाजपा ने बीजद पर आरोप लगाए, जबकि बीजद ने आईएएस/आईपीएस अधिकारियों की भूमिका बताई। ये घोटाले राजनीतिक बहस का हिस्सा बने।
वहीं एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा
“रेलवे फ्रेट घोटाला भी एक मुख्य घोटाला है जिसमे नामित कम्पनीयों को जुर्माना न जमा करने के एवज में तुरंत रेलवे रैक आपूर्ति बंद किया जाए,2010 में जोड़ा, बड़बील व अन्य स्थानों में हजारों टन आयरन ओर के भंडारण, जब्ती पश्चात निष्कासन व स्थिति एंव रेलवे साइडिंग पर भंडारण के सी बी आई आई जाँच की परमआवशयकता है व शीघ्र सिबिआई जाँच की सिफारिश हो एंव बीजद काल से परिवहन माफियाराज पर तत्काल अंकुश लगे”.
