ड्राइवर उत्पीड़न – एक सामाजिक और आर्थिक चुनौती के खिलाफ कार्रवाई की मांग

(लोक असर समाचार राउरकेला)

भारत में सड़क परिवहन अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और इसमें व्यावसायिक ड्राइवरों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ट्रक,ट्रेलर व भारी व्यवसायिक वाहन चालक देश के माल और यात्री परिवहन को सुचारू रूप से चलाने में योगदान देते हैं। हालांकि, इन ड्राइवरों को विभिन्न स्तरों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, जो न केवल उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि सड़क सुरक्षा और परिवहन उद्योग की दक्षता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।


ड्राइवर उत्पीड़न के प्रमुख रूप और तथ्य के रूप मेँ पुलिस और प्रशासनिक उत्पीड़न प्रमुख है –
कई ड्राइवरों ने बताया है कि चेकपॉइंट्स पर पुलिस और परिवहन अधिकारियों द्वारा अनुचित तरीके से चालान काटे जाते हैं या रिश्वत मांगी जाती है व नहीं देने पर तिरस्कार व उत्पीड़न प्रदान की जाती है ।

उदाहरण के लिए, 24 जुलाई 2025 को घटित एक घटना के तहत एक ड्राइवर और ट्रैफिक पुलिस के बीच तीखी बहस का उल्लेख किया गया, जहां ड्राइवर ने दावा किया कि उसकी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा अनुचित चालानों में चला गया l
आजमगढ़ में व्यावसायिक ड्राइवर एकता संगठन ने जंजीर पहनकर जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने अनुचित चालानों और प्रशासनिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाई वहीं हरियाणा के सतीश धनखड़ ने जंजीर पहनकर आजाद देश के गुलाम की तरह जंजीरों मेँ जकड़े प्रदर्शन किया.


आर्थिक शोषण के तहत ट्रक और ट्रेलर ड्राइवरों को अक्सर कम वेतन, लंबे कार्य समय और अपर्याप्त आराम की सुविधाओं का सामना लगातार करना पड़ता है। हरियाणा के नरेंद्र बुवाना व उनकी टीम ने ट्रक ड्राइवरों के साथ बातचीत में उनके अधिकारों और आर्थिक शोषण के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा की l दिल्ली में बस ड्राइवरों और कंडक्टरों ने 6 मई 2025 को सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई, जिसमें उन्होंने अनुचित कार्य परिस्थितियों और आर्थिक दबाव का जिक्र भी किया। सामाजिक भेदभाव और असुरक्षा के अन्तर्गत ड्राइवरों, विशेष रूप से ट्रक और ट्रेलर चालकों को, सामाजिक रूप से सदा हाशिए पर रखा जाता है। बिहार मेँ 2 लाख ड्राइवरों के सामने 2025 के चुनावों से पहले अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है, क्योंकि उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को लेकर सरकार की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं व सामाजिक सुरक्षा हेतु पर्याप्त कोशिस नहीं की गयी है ल


उस पर से अपंजीकृत हजारों व्हाट्सप्प व सोशियल मिडिया पर संस्थाओं की भरमार ने कहीं न कहीं करोड़ों चालकों के आस्था व विश्वास को ठेस पहुंचाई है इसलिए राज्य सरकार व केंद्रीय सरकार को इन संस्थाओं का जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर उच्च स्तरीय जाँच व उचित कार्रवाई की व्यवस्था की जानी चाहिए.


सुभाष यादव- बक्सर बिहार “ओड़िसा बिहार-उत्तर प्रदेश रूट के अनुसार–मेरे बारह वर्ष के चालक काल मेँ कोई संस्था से न तो मुझे कोई मदद मिला न ही किसी ऐसी चालक संस्था के विषय मेँ मुझे जानकारी है”
सड़क सुरक्षा नियमों का प्रभाव:
2025 में लागू नए ट्रैफिक नियमों, जैसे नशे में गाड़ी चलाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना या 6 महीने की जेल, नो पार्किंग 20000 ने ड्राइवरों पर आर्थिक दबाव बढ़ाया है। हालांकि ये नियम सड़क सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन कई ड्राइवरों का मानना है कि इनका अनुचित उपयोग उनके उत्पीड़न का कारण बन रहा है जिसमे चालान कम व वसुली ज्यादा होती है l
प्रभाव और आंकड़े के अनुसार सड़क दुर्घटनाएं और ड्राइवरों पर दबाव के रूप 2022 में भारत में 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से कई का कारण लापरवाही और ड्राइविंग के दौरान मानसिक तनाव प्रमुख रूप से पाया गया l आर्थिक बोझ के रूप नए ट्रैफिक नियमों के तहत जुर्माने में 10 गुना तक की वृद्धि हुई है, जिससे ड्राइवरों की आय पर भारी असर पड़ रहा है।


सामाजिक प्रभाव के रूप मेँ ड्राइवरों को सामाजिक रूप से कमजोर व असंगठित वर्ग के रूप में देखा जाता है, जिसके कारण उनके अधिकारों की लगातार अनदेखी होती है।
प्रस्तावित समाधान के रूप मेँ पारदर्शी चालान प्रणाली, डिजिटल चालान प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए, ताकि अनुचित चालानों को रोका जा सके। ड्राइवरों के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता-ड्राइवरों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करने के लिए नियमित कार्यशालाएं आयोजित की जाएं।


आर्थिक और सामाजिक सहायता के रूप मेँ ड्राइवरों के लिए सरकारी बीमा योजनाएं, न्यूनतम वेतन नीति, और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम निश्चित रूप से शुरू किए जाएं।
सड़क सुरक्षा और उत्पीड़न के बीच संतुलन मेँ सख्त ट्रैफिक नियमों के साथ-साथ ड्राइवरों के उत्पीड़न को रोकने के लिए निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए।


कानूनी सहायता मेँ ड्राइवरों को अनुचित उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए मुफ्त कानूनी सलाह केंद्र प्रत्येक परिवहन कार्यालय स्तर पर तुरंत स्थापित किए जाएं।
आह्वान:
उफ्तत्सा -राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा “ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी” सरकार, परिवहन संगठनों, और नागरिक समाज से आग्रह करते हैं कि वे ड्राइवर उत्पीड़न के इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान दें और इसे समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाएं। ड्राइवर न केवल परिवहन उद्योग का आधार हैं, बल्कि हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण व अकाट्य हिस्सा भी हैं। उनकी गरिमा, मान सम्मान और स्वाभिमान सह उनके संवेधानिक व मानवीय अधिकारों की रक्षा करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।


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