बदलते दौर में नई शिक्षा नीति संभावनाएं और चुनौतियां
लोक असर समाचार बालोद
बालोद के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा देखने मिला जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर व्यापक व सार्थक संवाद हुआ. अवसर था बदलते दौर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति संभावनाएं और चुनौतियां. जिसका आयोजन किया था जिले से ही प्रकाशित इकलौते राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका लोक असर ने. और अवसर था लोक असर का 08वां स्थापना दिवस।
इस खूबसूरत आयोजन के मुख्य अतिथि थे एनएमडीसी में कार्यरत वैज्ञानिक एवं वरिष्ठ महाप्रबंधक टी.आर.खूंटे, नोएडा उ.प्र. तथा अध्यक्षता एशियन गोल्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड लंदन से सम्मानित साहित्यकार प्रोफेसर प्यारेलाल आदिले, प्राचार्य जीबीडी कला एवं विज्ञान महाविद्यालय कटघोरा बिलासपुर. केंद्रीय विषय पर आधार वक्तव्य दिया माननीय संजय बोरकर जी सीनियर ऑडिट ऑफिसर एवं सेंट्रल एग्जीक्यूटिव कमिटी सदस्य नई दिल्ली ने. वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.डी..डी चेलक के आशीर्वचन व लोकअसर के संपादक दरवेश आनंद के स्वागत भाषण के साथ संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ. संगोष्ठी में 50 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए जिसमें 20 शोध पत्रों का ही वाचन करना संभव हो सका.
दो सत्र में चले इस संगोष्ठी में जो विचार सुनने को मिला. उनमें प्रथम विचार वे थे जिन्होंने नई शिक्षा नीति के समर्थन में संवाद और उसके संभावित फायदे गिनाते दिखे उनमें सनातनी वैदिक और पारंपरिक ज्ञान को सही ठहराने वाले वक्ता कुछ अध्यापक, प्राध्यापक व कुछ शासकीय अधिकारी और कर्मचारी मिले वहीं नई शिक्षा नीति के विरोध में ऐसे लोग भी थे जिनका मानना था शिक्षा का स्तर जब तक समान नहीं होगा सामाजिक विसंगतियों की खाई बनी रहेगी. ऐसे लोग वसुदेव कुटुंबकम की विचारधाराओं का बखान तो करते हैं पर वे हमारे हिस्से की रोटी लंगोटी और शिक्षा पर एक कुंडली जमाए हुए हैं.
जिन लोगों ने विषय की ज्वलंत विषय पर अपने शोध पत्रों की प्रस्तुति दी उनमें डॉ.दीनदयाल साहू संपादक चौपाल दैनिक हरिभूमि रायपुर ने 21वीं शताब्दी नई शिक्षा नीति एक क्रांतिकारी कदम, डॉ. के.एस. गुरुपंच प्राचार्य दुर्ग ने नई शिक्षा नीति चुनौतियां एवं समाधान, श्रीमती पूर्णिमा सरोज स्तंभ लेखिका ने नई शिक्षा नीति में लोक सांस्कृतिक जीवन मूल्यों का योगदान व एडवोकेट डॉ शेखू वर्मा खैरागढ़ ने अंधेरे युग में वापसी की योजना भारत की नई शिक्षा नीति, मोहला राजनादगांव के शोध छात्र जसवंत मंडावी ने भारत के राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विकास यात्रा तथा एक अन्य शोधार्थी कन्हैयालाल बारले, ने 21वीं सदी के अनुरूप नई शिक्षा नीति पर शोधार्थी द्रोण कुमार सार्वा ने नई शिक्षा नीति और मातृभाषा शिक्षण विषय पर अपने शोध पत्र पढ़ें. सहायक अभियंता श्री सतीश चेलक जल संसाधन नलकूप बालोद ने संभावनाओं का खुला आकाश नई शिक्षा नीति पर इसके अतिरिक्त पत्रकार डी. श्याम कुमार रायपुर, रघुनंदन साहू रायपुर, आदि ने अपने विचार रखें.
आभार प्रदर्शन करते हुए प्रोफे. के०मुरारी दास ने कहा- वैदिक काल की हम चाहे जितनी भी डींगे हांक ले भारत के पिछले 5 हजार सालों के इतिहास में एक भी विद्वान सूद्रों में पैदा ना हो सका जबकि अंग्रेजों के लगभग दो सौ साल के गुलामी के काल में भी राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले, बाबा साहब अंबेडकर, छत्रपति शाहूजी महाराज, ललई सिंह यादव, संत गाडगे जी महाराज जैसे अनेक विद्वान लोग न सिर्फ पैदा हुए बल्कि इन्होंने हमें देश की गुलामी का एहसास करवाया, इसी गुलामी काल में ही एक ब्राह्मण को चपरासी और एक शुद्र को कलेक्टर बनते लोगों ने देखा है. यदि अंग्रेज कुछ साल और रह जाते हैं तो शुद्र फिर से देश का शासक बन गया होता.
कार्यक्रम का खूबसूरत और सफलतापूर्वक संचालन डॉ विप्लव साहू खैरागढ़ ने किया. शासकीय नवीन महाविद्यालय एवं एमबीके महाविद्यालय गुरुर के छात्र छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी. शहर के मुख्य मार्ग पर स्थित हाटल गुरु ग्रेस में संपन्न इस ऐतिहासिक व चिर स्मरणीय शोध संगोष्ठी में अनेक इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया कर्मी अनेक महाविद्यालय के प्राध्यापक, साहित्यकार, अनेक समाजसेवी संगठन, व प्रबुद्ध नागरिक गण उपस्थित थे. लगभग 6 घंटे पर चले इस सार्थक संगोष्ठी में जिन लोगों ने अपनी उपस्थिति दी उनमें ओबीसी महासभा के राज्य अध्यक्ष आर एल साहू, ओबीसी महिला मोर्चा के खिलेश्वरी साहू, संत दिनेंद्र साहिब जी, कवि शिवकुमार अंगारे, देवनारायण नगरिया, सामाजिक कार्यकर्ता सी.के. साहू, व्याख्याता, सी.आर. साहू, एस एल कलिहारी के अतिरिक्त आयोजक प्रमुख के.मुरारीदास व लोक असर परिवार के सदस्य उपस्थित थे.
इस अवसर पर अरविंद विजय लक्ष्मी शर्मा, महेंद्र कुमार बघेल राजनंदगांव राजकुमार चौधरी राजनादगांव, योमप्रकाश लहरे पत्रकार बिलासपुर तथा कृष्ण पाल राणा पखांजूर को लोक असर सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया.
संगोष्ठी पर केंद्रित समाचार LOK ASAR के पोर्टल लगातार पढ़ने को मिलेंगे