जउन मन मा हा छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ला जगाय के गजब उदिम करिस वोमन मन मा श्रद्धेय खूबचंद बघेल जी, कृष्णा रंजन जी, लक्ष्मण मस्तुरिया जी, अउ संत कवि पवन दीवान जी के नांव अव्वल हवय । दीवान जी हा बाहरी आदमी मन के शोषण के विरोध कर छत्तीसगढ़िया मन के हिम्मत ला बढ़ाय के नीक काम करिस ।
दीवान जी के जनम किरवई गांव मा 1 जनवरी 1945 मा होय रिहिस । वोकर कर्मभूमि राजिम के संगे संग पूरा छत्तीसगढ़ रिहिस ।
वे एक भागवत प्रवचनकार के संगे संग साहित्यकार अउ राजनीतिज्ञ रिहिस । विधायक, सांसद अउ अविभाजित मध्य प्रदेश के मंत्री घलो बनिस । गौ सेवा आयोग छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष बनाय गिस ।
दीवान जी के भागवत प्रवचन मेहा पहिली बार राजनांदगांव जिला के गांव भर्रेगांव मा सुने रेहेंव ।वो समय मेहा मीडिल स्कूल मा पढ़त रेहेंव ।वो समय वोहा जवान रिहिस हे । वोकर भागवत प्रवचन सुने बर अपार जन समूह उमड़ पड़े । वोकर जोरदार ठहाका ला भर्रेगांव मा सुने रेहेंव । जब वोहा हंसय ता सब ला हंसा के छोड़य । अइसने बुचीभरदा (सुरगी) मा घलो वोकर प्रवचन के लाभ उठाय रेहेन ।बीच बीच मा अपन कविता सुना के मनोरंजन करे के संगे संग लोगन मन मा जागरुकता लाय । अपन हक बर आगू आके लड़े के प्रेरणा देवय ।
सौभाग्य से हमू मन ला माई पहुना के रुप मा दीवान जी के दर्शन होइस वोकर सुग्घर बिचार
सुने के संगे संग हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी कविता ला सुनके धन्य होगेन ।
जब साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनांदगांव द्वारा 10 जून 2007 मा होवइया आठवां वार्षिक सम्मान समारोह बर निमंत्रण छपवायेन ता सुरगी के संगे संग आस पास के गांव के लोगन मन ला एको कनक बिश्वास नइ होय कि पवन दीवान जी हा इंकर कार्यक्रम मा आही!
ये सब संभव हो पाय रिहिस आदरणीय डॉ. नरेश कुमार वर्मा जी के कारण । मूलत : भाटापारा (बलौदाबाजार) निवासी वर्मा जी उस समय दिग्विजय कालेज राजनांदगांव मा हिन्दी के प्रोफेसर रिहिस । वर्मा जी अउ हमर साकेत साहित्य परिषद् सुरगी के संरक्षक आदरणीय कुबेर सिंह साहू जी के वरिष्ठ कहानीकार डॉ. परदेशी राम वर्मा जी से बढ़िया संबंध बन गे रिहिस । एकर से पहिली डॉ. वर्मा जी हाै हमर वार्षिक समारोह मा दो तीन बार पहुना के रूप मा पहुंच चुके रिहिस ।ये प्रकार ले साकेत परिषद् ले अपना संबंध बन गे रिहिस ।डॉ. परदेशी राम वर्मा जी कृपा ले पवन दीवान जी के सुरगी आगमन होय रिहिस ।संगे संग हमर छत्तीसगढ़ के मुखिया आदरणीय भूपेश बघेल जी हा घलो पहुना बन के आय रिहिस । वो समय बघेल जी हा विपक्ष मा दमदार नेता रिहिस ।
ये कार्यक्रम मा दीवान जी के हाथ ले छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति राजनांदगांव के अध्यक्ष आदरणीय आत्मा राम कोशा अमात्य जी अउ साकेत के सचिव भाई लखन लाल साहू लहर जी ला साकेत सम्मान 2007 प्रदान करिस ।
इहाँ दीवान जी हा अपन बिचार रखिस तेमा छत्तीसगढ़ी भाखा ला राजभाषा बनाय के मांग रखिस ।येकर बर डॉ. परदेशी राम वर्मा जी के साथ मिलके अभियान घलो चलाइस ।अपन उद्बोधन के माध्यम से छत्तीसगढ़िया लोगन मन ला जागरुक करिस ।बीच बीच मा अपन जोरदार ठहाका ले लोगन मन ला गजब हंसाइस ।दीवान जी हा किहिस – “हमर छत्तीसगढ़ हा माता कौशल्या के मइके हरय तेकर सेति भगवान राम हा इहां के भांचा कहलाथे ।तेकरे सेति हमर छत्तीसगढ़ मा भांचा भांची ला गजब सम्मान देय जाथे । आगे किहिस कइसे सुग्घर ढंग ले कहिथन – कइसे भांचा राम । सब बने बने भांचा राम । कोनो हा कैसे भांचा कृष्ण नइ काहय ।अउ कहइया हा अइसने कहि दिस ता वोहा का कहाही ।अइसन कहिके फेर जमगरहा ठहाका लगाइस अउ उपस्थित लोगन मन जोरदार ताली बजा के सभा ला गुंजायमान करिस ।ये कार्यक्रम हा
सुरगी के शनिचर बाजार चौक के मंच मा होवत रिहिस ।दीवान जी हा किहिस कि मेहा पहिली बार कोनो साहित्यिक कार्यक्रम ला खुला मंच मा होवत देखत हंव।”अइसे कहिके परिषद् के लोगन मन ला प्रोत्साहित करिस ।
साथ मा हमर गांव ” सुरगी “
के सुग्घर व्याख्या घलो कर दिस ” सुर ” माने देवता अउ “गी ” माने गांव ।
एकर बाद दीवान जी हा” राख ” “चन्दा ” अउ “तोर धरती तोर माटी रे भइया “कविता सुनाके काव्यप्रेमी मन ला आनंदित कर दिस ।
तो ये किसम ले संत कवि पवन दीवान जी के कार्यक्रम हा यादगार बनिस ।हमर साकेत के कार्यक्रम मा पहुंच के परिषद् ला गौरवान्वित करिस । 10 जून 2007 हा हमर परिषद् अउ गांव बर ऐतिहासिक तिथि के रुप मा अंकित रही । 2 मार्च 2016 मा दीवान जी हा स्वर्ग लोक चले गिस ।
श्रद्धेय दीवान जी ला शत् शत् नमन हे।