युवा पीढ़ी मोबाइल के पीछे अपना सब कुछ खो रहा है.. अपनों से दूर होते चले जा रहा है.

व्यक्ति सैकड़ों किलोमीटर दूर अनजान को मित्र बना रहा हैं लेकिन भाइयों व पड़ोसी से उसके अच्छे संबंध नहीं हैं जबकि पड़ोसी व परिवार ही काम आएगा

आज व्यक्ति स्मार्टफोन, स्मार्ट सिटी मांगता लेकिन अपने स्मार्ट जीवन जीना नहीं चाहता—- साध्वी श्री मंजुला श्रीजीमसा.

LOK ASAR BALOD

समता भवन बालोद में आचार्य श्रीरामेश की सुशिष्यां शासन दीपिका श्रीमंजुलाश्री जी मसा. ने प्रवचन में फरमाया कि पाश्चात्य संस्कृति की सुविधा मिल रही है जिसके कारण से सारी अच्छी सुविधा भी अब छोटी लगती है ,आज के दौर में युवक-युवतियों इसके भीतर में गहरे समाहित होते चले जा रहे हैं ,आज इस प्रकार की स्थिति में बाहरी सुविधाओं से युवाओं के मन को मीठी लगने लगती है, आकर्षक लगने लगी है ,इसके बिना जीवन जीना मुश्किल हो गया है आज के युग में सबसे बड़ी बीमारी मोबाइल की हो गई है। आज बच्चे अपने पूर्वजों से काफी आगे निकल गए हैं उन्हें काफी सुविधा साधन मिल गया है लेकिन घर का सुख चैन निकलता जा रहा है, शुरुआत में जब मोबाइल में नेटवर्क 2G आया तब चिड़िया गायब होने लगी , इसके बाद 3जी का दौर आया तब कबूतर आसमान से निकल गए, फिर बताते हैं कि 4G का जमाना है आया तब कौवे की आवाज भी सुनाई कम देने लगी है , अब 5G का जमाना आ गया है लगता है वह इंसान को ही उड़ा देगा ! लगातार मोबाइल में समय बिताने से बड़ी – बड़ी बीमारियां से लोग ग्रसित हो रहे हैं ,देखा जाता है कि प्रायः व्यक्ति जेब में सोते समय तकिया के नीचे रखता है कभी-कभी सुनने को मिलता है कि मोबाइल फट गया है!

अपने प्रवचन में साध्वी श्री मंजुला श्री जी ने आगे कहा कि मोबाइल आज कोरोनावायरस बीमारी से भी ज्यादा खतरनाक हो गया है, आज की माताएं पिता खुश होते हैं कि मेरा बेटा तो मोबाइल का हर फंक्शन जानता है, युवा पीढ़ी मोबाइल के पीछे अपना जीवन बर्बाद कर रही है ,गर्भ के बच्चों को नष्ट कर रही है याद रहे कि इतिहास में लिखा है गर्भ में जो लिखा दिया जाता है मिटने वाला नहीं है ! आज की माताएं गर्भ के दौरान पूरे समय मोबाइल में ही मस्त रहती हैं , आज की पीढ़ी संस्कार , भारतीय संस्कृति से दूर होते जा रही है जैन धर्म जहां पर था वहां पर संस्कारों की आंधी की हवा बह गई है, उन्होंने युवक-युवतियों से आव्हान किया कि धर्म से जुड़े , धर्म का ज्ञान लो जीवन में असलियत को अपनाओं , जीवन का असली सहारा धर्म ही है! सुखों के साधनों में व्यक्ति अपना मानवीय जीवन गवां रहा है , आज व्यक्ति स्मार्टफोन, स्मार्ट सिटी मांगता है लेकिन अपना स्मार्ट जीवन जीना नहीं चाहता, आकर्षण के कारण कईयों के घर उजड़ रहे हैं, जिंदगी की उलझन में विचार,सोच ,भावना पवित्र बनाइए ,सिर्फ स्मार्टफोन ही जीवन जीने के लिए जरूरी नहीं है , मोबाइल जानलेवा बीमारी है| आज देखते है व्यक्ति इसमें अपना ज्यादा समय बिताता जा रहा है , बड़े-बड़े उद्योगपति जिन्होंने मोबाइल को सिर्फ व्यापार तक ही सीमित किया लेकिन आधुनिकता की दौड़ में कई लोग एक अच्छी सुविधा का दुरुपयोग में लगे हुए हैं, आज परिवार के बीच में मोबाइल आ जाने के बाद धार्मिक चर्चाएं लोग गौन कर रखे हैं, सर्वेसर्वा मोबाइल हो गया है ,मोबाइल के निरंतर प्रयोग से लोगों के मध्य तनाव बढ़ता चला जा रहा है जिसका प्रभाव आज के समाज में भी दिखा जा रहा है| युवा पीढ़ी आवेश , क्रोध में रहते हैं, मोबाइल को अपनी जूती समझे- मुकुट मत समझो ! जितनी जरूरत है मोबाइल का उपयोग करें, परिवार को सुरक्षित रखें , आज लोगों के पास धर्म के लिए समय नहीं है लेकिन मोबाइल में घंटों समय व्यतीत कर देते हैं , स्वाध्याय , साधना ,व्रत नियम से जुड़े ,मन की बात को परिवार के साथ समय बिताएं , दुख के समय परिवार ही काम आएगा ! आज देखते हैं कि फेसबुक के माध्यम से सैकड़ों किलोमीटर दूर दोस्त बन रहे हैं लेकिन भाइयों के साथ और दोस्तों के साथ उसके अच्छे संबंध नहीं हैं , यह बहुत ही चिंतनीय विषय है पड़ोसी को दोस्त बनाओ दुख के दिनों में सर्वप्रथम वही काम आएगा।

इसके पहले प्रवचन सभा में साध्वी श्री सुपरश्रीजी मसा. ने कहा कि जीवन को प्रकाशित करना है , प्रेम की ज्योति जगाना होगा ! जीवन में प्रेम के शब्द नहीं निकले तो घृणा का कोई स्थान नहीं है, जिसके अंदर हमेशा प्रेम रहेगा वह वैसा ही व्यवहार करेगा, संयम का अर्थ मन को संयोजित करना है, मन अपने आप में अच्छा है- ना बुरा है, उसमें एक ऐसी शक्ति है उसे जैसा कार्य कराएंगे वैसा ही कार्य करने लग जाता है, एक भी बुरा विचार आगामी भव भव को रुलाने वाला बन सकता है, वही एक अच्छा विचार शास्वत सुख को प्राप्त भी करा सकता है , संयम जीवन में सम्राट बनाता है असंयमित जीवन डूबाने वाला होता है, जीवन में सत्य का संगीत होना चाहिए, यथार्थ में स्वीकार करना ही सत्य है।

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