साहित्य ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है – लखन लाल भौर्य कहानी संग्रह दोस्त अकेले रह गये का हुआ विमोचन

लोक असर समाचार बालोद/धमतरी

साहित्य संगीत सांस्कृतिक मंच मुजगहन धमतरी द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन एवं सम्मान समारोह में सेवानिवृत्त उप पुलिस महानिरीक्षक श्री जयंत कुमार थोरात की कहानी संग्रह ’’दोस्त अकेले रह गए’’ महिलाओं पर केंद्रित मासिक पत्रिका ’’तेजस्विनी’’ संपादक जया थोरात का विमोचन कार्यक्रम साहित्य सदन मुजगहन में संपन्न हुआ।


इस गरिमामय आयोजन के मुख्य अतिथि लखनलाल भौर्य (केंद्र निदेशक आकाशवाणी केंद्र रायपुर) कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. विद्यावती चंद्राकर (राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद रायपुर), जयंत कुमार थोरात, हास्य व्यंग्य के सुप्रसिद्ध कवि सुरजीत नवदीप, डॉ. सुरेश देशमुख, डॉ. एस. एस.ध्रुर्वे, सीताराम साहू श्याम, डां.जगदीश देशमुख, द्रोण कुमार सार्वा विशिष्ट आतिथ्य थे।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय योगदान हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बोड़रा ( संबलपुर) की स्वास्थ्य कार्यकर्ता गीता साहू का शाल श्रीफल स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया ।

थोराट जी ने किया डुमनलाल की प्रशंसा कहा विलक्षण प्रतिभा के रचनाकार

पुस्तक विमोचन पश्चात् कहानी संग्रह दोस्त अकेले रह गये लेखक जयंत कुमार थोरात ने अपनी प्रतिनिधि कहानी और कितने समीर का पठन किया गया। उन्होंने कहा कि डुमन लाल ध्रुव एक विलक्षण प्रतिभा के रचनाकार हैं। साहित्य के साथ उन्होंने सामाजिक और विविध विधाओं में कार्य किया है। पैदल जिंदगी का कवि नारायण लाल परमार, महत्व त्रिभुवन पांडे, भाषा के भोजपत्र पर विप्लव की अग्निऋचा मुकीम भारती के व्यक्तित्व कृतित्व पर केन्द्रित कृति, अमृत बाटिस जग ला भगवती सेन की समग्र साहित्य को प्रकाश में लाया। धमतरी के साहित्यिक आयोजनों में आने पर आत्मीयता का अहसास होता है। कहानी संग्रह दोस्त अकेले रह गये में पुलिस की भूमिका का भी उल्लेख किया गया है। पुलिस अपने जीवन को दांव पर लगा कर कार्य करते हैं और अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं।

समकालीन कुरीतियों पर प्रभाव डालती है थोराट की कहानियां- द्रोण कुमार सार्वा

पुस्तक विमोचन समारोह को यादगार बताते हुए जिला हिंदी साहित्य समिति के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सरिता दोशी ने कहा कि जयंत कुमार थोरात पूर्व में धमतरी में रहते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन अच्छे से किया और अपनी प्रतिभा के बल पर रचनाधर्मिता को बनाए रखते हुए निरंतर चलते रहे। मदन मोहन खंडेलवाल ने कहा कि कहानी संग्रह दोस्त अकेले रह गए विगत दो वर्षों में जो घटनाएं घटी उसके कारण बहुत से लोग अकेले हो गए और कई साथी बिछुड़ गए। धमतरी जिला हिंदी साहित्य समिति एवं साहित्य संगीत सांस्कृतिक मंच मुजगहन के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव ने कहा कि कहानी का मनुष्य कहानी लिखने वाले मनुष्य से बड़ा होता है। जयंत थोरात साहित्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए रखने में सफल रहे हैं। आधार वक्तव्य देते हुए द्रोण कुमार सार्वा ने कहा थोरात की यह तीसरी रचना और प्रथम कहानी संग्रह है। कारवां लफ़्ज़ों का आदि रचना जीवन के विविध पक्षों का वर्णन करता है। आपकी रचना समकालीन कुरीतियों पर भी प्रभाव डालती है। रचना में परिवार को सुगठित सुव्यवस्थित बनाने पर जोर दिया गया है।

थोराट जी के कहानियों में सहोदर भाव झलकती है- डां. विद्यावती चंद्राकर

राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद की डां. विद्यावती चंद्राकर ने ने कहा कि अपनी संस्कृति और संस्कार की बदौलत ही मैं इस मंच पर खड़ी हूं। जयंत थोरात की रचनाएं अपनी-अपनी तरह की अलग रचनाएं गढ़ती है। कहानियों में सहोदर भाव झलकती है। महिला सशक्तिकरण आधारित रचनाएं भी व्याप्त है। रिश्तो की मिठास में यह कहा गया कि खून के रिश्तों से बढ़कर कोई नहीं होता । कहानियों में अस्मिता की पहचान होने लगती है। कहानियों की बुनावट सहज, सरल है। सामान्य व्यक्ति भी कहानी को पढ़कर सहजता से समझ सकता है। कवि सुरजीत नवदीप ने कई उदाहरणों के साथ कहानी की तासीर को उत्कृष्ट बताया। केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस. एस. ध्रुर्वे ने कहा कि कहानी संग्रह दोस्त अकेले रह गए सामाजिक व्यवस्था में आने वाली समस्याओं पर व्यापक लेखनी चलाईं है। श्री थोरात की कहानियों का विस्तृत समीक्षा करते हुए डॉ. जगदीश देशमुख ने कहा कि मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करने वाली कृति है। बेहतर मानवता की तलाश लिए हुए रचनाओं में समन्वय देखी जा सकती है। सुप्रसिद्ध गायक सीताराम साहू श्याम ने थोरात की रचनाओं में मूलभाव व मानवीय जीवन में आने वाली समस्याओं को बखूबी उकेरा गया है। काव्य और संगीत कभी पुराने नहीं होते। रचनाओं को जनता को अर्पित किया जाता है। श्री थोरात की रचनाएं सामान्यजन को अर्पित की गई है । डॉ. सुरेश देशमुख ने कहा कि पुलिस विभाग संवेदनशील माना जाता है किंतु जयंत कुमार थोरात एक संवेदनशील व्यक्ति है। मानवीय संवेदनाओं को बहुत अच्छे से उकेरा है। इनकी रचनाओं में बहुत सपाट बयानी की तरह बात कही है। संग्रह की रचनाओं को पढ़कर मन नहीं भरता।

हथियार के साथ कलम उठाना अद्भुत कला है- लखन लाल भौर्य

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं आकाशवाणी रायपुर के केंद्र निदेशक लखन लाल भौर्य ने कहा कि जयंत कुमार थोरात की रचनाओं में जीवन की वास्तविकता को नया स्वरूप दिया गया है। समाज में घटित घटनाओं को आधार बनाकर साहित्य की सर्जना की गई है। सभी वर्गों की भावनाओं को व्यक्त किया गया है। कहानियों में सीधी-सीधी बात के माध्यम से चित्रित करने का स्तुत्य प्रयास किया गया है। पुलिस विभाग की महत्वपूर्ण पदों में रहकर श्री थोरात जी ने हथियार रखकर कलम उठाकर जीवन के लिए महत्वपूर्ण उल्लेखनीय कार्य किया है। यही नहीं बल्कि साहित्य ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है ।
छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध गीतकार शिवकुमार अंगारे एवं रमेश कुमार यादव ने छत्तीसगढ़ी गीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम की रोचकता बढ़ा दी ।

पुस्तक विमोचन एवं सम्मान समारोह कार्यक्रम में मुख्य रूप से द्वारका प्रसाद तिवारी, हीरालाल साहू, मन्नम राना, राजकुमार तिवारी, मयंक ध्रुव, कविता ध्रुव, कामिनी कौशिक, गीता साहू, धनेश्वरी राना, जे.एल.साहू , किरण साहेब, कमलेश पांडे, रामकुमार विश्वकर्मा, डॉक्टर भूपेंद्र सोनी, डॉ. राकेश सोनी, कुलदीप सिन्हा, राजेंद्र प्रसाद सिन्हा, विनोद राव रणसिंह, मुकेश जैन, सुरेश देवांगन, चन्द्रकुमार देशमुख, मनोज जायसवाल(कांकेर), चन्द्रहास साहू, दरवेश आनंद संपादक लोक असर(बालोद), धर्मेंद्र कुमार श्रवण (राजहरा), कन्हैया लाल बाारले (डौण्डी लोहारा), प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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