हसदेव की बेमानी तो साफ दिख रही है,

दंतेवाड़ा में एनएमडीसी किसानों को मीठा जहर दे रही है : मनीष

पूंजीतियों को बनाने निर्मोही व निर्दयी भाजपा सरकार अन्नदाताओं की कमर तोडऩे में लगी हुई है |

स्लरी पाईप लाइन में दंतेवाड़ा जिले में किसानों की जमीन का मुआवजा कोडिय़ों में दिया जा रहा है |

किसानों की जमीन का नही मिल रहा मुआवजा बाजार भाव से , चढ रही सैकड़ों पेड़ो की बलि भी
-एनएमडीसी ने करार कर नगरपालिका और पंचायत को भी विकास का पैसा नहीं दे रही है, छल कर रही है?

पाइप लाइन नगरनार स्टील प्लांट तक जानी है,पंचायत को 30 लाख, नगर विकास के लिए 60 लाख देना है!

लोक असर समाचार दंतेवाड़ा

( दंतेवाड़ा से जितेन्द्र कोरे की रिपोर्ट)

हसदेव में चढ रही पेड़ों की बलि का विरोध तो साफ देखा जा रहा है। सरकार की मनमानी भी किसी से छुपी नहीं है। बस्तर में पूंजीपतियों को बनाने निर्मोही व निर्दयी भाजपा सरकार अन्नदाताओं की कमर तोडऩे में लगी हुई है। नवरत्न कंपनियों में शुमार एनएमडीसी कंपनी किसानों को सब्जबाग दिखा कर छलने का काम कर रही है। दंतेवाड़ा जिले में ही करीब 150 से अधिक कि सान है, जो इस छल का शिकार हुए हैं। अन्नदाताओं को जमीन का मुआबजा कोडिय़ों में दिया जा रहा है। किसानों की जमीन का मुआबजा बाजार भाव से कंपनी को देना चाहिए। किसानों की जमीन तो जा ही रही है, उस खेत में खड़े पेड़ों की बलि भी चढ रही है। इस कंपनी के छल के कई रंग है। किसानों को तो छल ही रही है, पंचायत और नगरपालिका को भी नही छोड़ रही है। पंचायत और नगरपालिका के विकास करने के लिए भी करार किया, उस करार पर भी खरा नहीं उतर रही है। एनएमडीसी बचेली प्लांट से स्लरी पाइप लाइन नगरनार स्टील प्लांट तक जानी है। इस जद में दर्जनों पंचायत आ रही है। एनएमडीसी ने वादा किया कि पंचायत को 30 लाख, नगर विकास के लिए 60 लाख रुपए दिया जाएगा। विकास के इस पैसे को एक या दो बार दिखावे के लिए दिया गया अब वह भी बंद कर दिया है। उक्त बातें कांग्रेस जिला महामंत्री मनीष भट्टाचार्य ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कही है। उन्होंने कहा एनएमडीसी ने यदि किसानों को बजार भाव से मुआवजा नहीं दिया तो खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहे हैं। किसानों के साथ जल्द ही उग्र आंदोलन किया जाएगा। बस्तर के किसानों को इस तरह से बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा। कांग्रेस इसके लिए सडक से सदन तक की लड़ाई लड़ेगी।


माटी पुत्रों को माटी में मिलाने का प्रयास


भाजपा सकरार की करनी और कथनी मेें जमीन-आसमान का अंतर है। मनीष भट्टाचार्य कहते है माटी पुत्रों को माटी में मिलाने का प्रयास कंपनी कर रही है, यह कार्य सरकार के इशारे पर किया जा रहा है। कई किसानों के पेड़ों को बिना अनुमति के कटवा दिया गया है। जिले में ऐसा भी मामला सामने आया है। किसान को इसके लिए थाना में आवेदन तक देना पड़ा है। एनएमडी के अधिकारी और वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ थाना में शिकायत करवाई गई। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नही हुई है। किसान अपने दर्द को लेकर आखिर किस दरवाजे को खटखटाए?

जिले का किसाान लाचार खड़ा है जमीन और वन संपदा को लुटता हुआ देख रहा है। एनएमडीसी के इस कृत्य में प्रशासन मदद कर रहा है। किसान की बात ही नहीं सुनी जा रही है।

हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला, एनएमडीसी फिर भी अपने ही रंग में बस्तर में आदिवासी किसान कम ही कोर्ट-कचहरी की ओर रुख करते है। जियो और जीने दो के सिद्धांत को मानने वाले लोग है। दंतेवाड़ा जिले में अन्नदाता अपनी जमीन को बचाने या बेहतर मुआबजा के लिए कोर्ट-कचहरी की ओर भी रुख कर रहा है।

मनीष भट्टाचार्य कहते है कि बावजूद इसके एनएमडीसी पर कोई फर्क नही पड़ रहा है। अन्नदाता भटक रहा है। नवरत्न कंपनी के अधिकारी जमीन का मोल-भाव करने में लगे हुए है। यह कड़वा सच है किसान से उसकी जमीन का मोलभाव किया जा रहा है। किस दर से मुआबजा मिल रहा है, किसान को मालूम ही नही है। ग्राम पंचायत टेक नार के रहने वाले एक किसान ने एनएमडीसी के इस कृत्य को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। जब कोर्ट से नोटिस आया तो इस किसान को सेट करने में अधिकारी लग गए है। इस किसान का साफ कहना है कि जमीन और पेड़ों के मुआबजा के मामले में एक रूपता होनी चाहिए। किसी भी किसान के साथ छल करना गलत है। मनीष भटाचार्य का कहना है किसान इस तरह के हालातों. से गुजर रहा है।
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ये है वो सवाल, जबाब दे एनएमडीसी और सरकार

1- किसान की जितनी जमीन अधिग्रहण की गई है क्या निकट भविष्य में वहां कोई निर्माण वह करवा पाएगा?

2- स्लरी पाइप लाइन जिले की कई पंचायतों और दो नगरपालिका से होकर गुजरी है, करार के बाद पैसा क्यों नहीं दिया गया?

3- पेड़ों की उम्र और उत्पादन आंक कर एक साथ राशि दी जा रही है, क्या 50 वर्षो तक वन संपदा एक ही दर में बिकेगी?

4- सैकड़ों पेड़ काटे जा रहे है, इन पेड़ों के कटने के बाद पर्यावरण छति पूर्ति के लिए किस जगह का चयन किया गया जहां पौधरोपण किया जाएग?

5- कितने पेड़ों की बलि चढ रही है, उन पेड़ों की संख्या क्या है, आखरि पूरे मामले पर पारिदर्शिता क्यों नहीं है।

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