संकलन एवम् प्रस्तुति मैक्सिम आनन्द
एक राजा के दरबार में एक संगीतकार, एक वीणा वादक आया। उसकी बड़ी ख्याति थी। वह कोई साधारण संगीतकार न था, एक रहस्यदर्शी था। राजा चाहता था कि यह उसके दरबार में अपनी बीणा बजाये, लेकिन उसने कहा उसकी शर्त है कि जब वह वीणा बजा रहा हो तो कोई हिले नहीं, सिर तो बिल्कुल न हिलाये। राजा ने आश्वासन दिया कि ऐसा नहीं होगा, यदि किसी में भी अपना सिर हिलाने की कोशिश की तो उसका सिर काट डाला जायेगा।
राज्य में घोषणा करवायी गई कि जो लोग भी वीणा वादक को सुनने के लिये आना चाहते हैं वे याद रखें कि उन्हें अपना सिर नहीं हिलाना है. नहीं तो उनका सिर काट डाला जायेगा। राज्य में कितने ही लोगों ने चाहा था कि जीवन में कभी उस वीणा वादक को सुनने का अवसर मिले। लेकिन इस शर्त के साथ तो जाना खतरनाक था। केवल कुछ ही लोग सुनने के लिये पहुंचे। ये वे लोग थे जो मृत्यु की कीमत पर भी उसके संगीत को सुनना चाहते थे।
राजा ने सारी व्यवस्था कर रखी ये जगह-जगह सैनिक नंगी तलवारे लिये खड़े थे। फिर वीणा वादक ने वीणा बजानी शुरू की। लोग बिना हिले-डुले, सांस रोककर सुन रहे थे। लेकिन जैसे- जैसे वीणा वादक संगीत में गहरे उतरने लगा, कुछ लोग शर्त को भूल ही गये। उनके सिर हिलने लगे। फिर और सिर हिलने लगे। जब आधी रात संगीत खतम हुआ तब तक बहुत से लोग पकड़े जा चुके थे। उनके सिर काटे जाने वाले थे। लेकिन संगीतकार बोला कि नहीं इनके सिर काटने की जरूरत नहीं है।
वह बोला कि दरअसल यही वे लोग है जो संगीत को सुनने की क्षमता रखते हैं, इनके लिये संगीत इनके प्राणों से भी अधिक मूल्यवान है, अब इनके लिये ही में बजाउंगा।जब तक कोई चीज तुम्हारे प्राणों को इस तरह अभिभूत न कर ले कि उसके लिये तुम अपने प्राण भी दांव पर लगाने के लिये राजी हो जाओ, तब तक उसमें गहरे जाना संभव नहीं है।
