संकलन एवम् प्रस्तुति मैक्सिम आनन्द
जापान में एक मान्यता है कि सफेद चूहे का दिखायी देना एक शुभ संकेत है। जब भी वहां किसीको सफेद चूहा दिखायी पड़ता है तो वह बहुत प्रसन्न हो जाता है कि कुछ अच्छा होने वाला है।
एक दिन एक पिता और पुत्र घर में बैठे भोजन कर रहे थे कि बेटे को अचानक अपने पिता के पीछे एक सफेद चूहा दिखायी दिया। उसने अपने पिता को कहा कि उनके पीछे एक सफेद चूहा है, आहिस्ता से मुड़कर वह उसे देख लें। पिता ने आहिस्ता से मुड़कर चूहे को देखा और दोनों बहुत खुश हुए कि ऐसा शुभ संयोग उनके घर में हुआ है। सफेद चूहा उन दोनों के चारों ओर घूमने लगा। वे दोनों उसे चुपचाप देख रहे थे।
आसक्ति न हो तो कुछ भी तुम्हे व्यथित नहीं कर सकता। यदि तुम किसी भी चीज को पकड़ो नहीं, तुम्हे दुखी कैसे किया जा सकता है? तुम्हारी पकड़ ही दुख पैदा करती है, क्योंकि तुम चीजों को रोक लेना चाहते हो, और चीजों का स्वभाव है लगातार बदलते रहना, तुम कुछ भी पकड़कर नहीं रख सकते।
और उसे किसी तरह परेशान नहीं कर रहे थे, तो वह चूहा भी मस्त होकर उछलने कूदने लगा। लेकिन जब वह उछलने-कूदने लगा तो धीरे-धीरे वह एक साधारण चूहा बन गया-वास्तव में वह आटे के डिब्बे में गिर गया था, इसलिये सफेद लग रहा था। जब वह उछला कूदा तो आटा झड़ गया और वह साधारण चूहा बन गया। पिता-पुत्र दोनों ने अपनी आखें बंद कर ली कि शायद साधारण चूहा न दिखायी दे तो क्या पता शुभ संकेत शुभ ही रहे। लेकिन आंखें बंद करने से चूहा वापस सफेद थोड़े ही हो जाता। वह तो जैसा था वैसा ही रहा।
यह एक बड़ी सुंदर कहानी है। ऐसा ही होता है। सुख आये तो उसे बहुत देर तक मत देखो, जल्दी ही आटा झड़ जायेगा और वह दुख बन जायेगा। सफेद चूहे को अपने पीछे नाचने दो। जीवन में सुख और दुख दो अलग-अलग चीजें नहीं हैं। यहां दिन रात में बदल जाता है और रात दिन में। यहां सबकुछ एक पहिये के चाक की तरह घूमता रहता है।
सुख को पकड़ने की या बांध लेने की कोशिश मत करो नहीं तो वह जल्दी ही दुख बन जायेगा। जब तुम सुख को पकड़कर स्थायी बना लेने की चाह छोड़ देते हो, फिर दुख आता ही नहीं क्योंकि जो आये, तुम उसके साथ राजी हो। प्रसन्नता का यही सूत्र है।
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