(संकलन एवं प्रस्तुति मैक्सिम आनन्द)
बुद्धपुरुषों के संबंध में कोई भी बात तय करनी उचित नहीं। बुद्धपुरुष ऐसे विराट, जैसे आकाश। बुद्धपुरुष के संबंध में कोई सीमा-रेखा नहीं खींची जा सकती। एक ही बात कही जा सकती है कि बुद्धपुरुष होने का अर्थ होता है, पूर्ण हो जाना। पूर्ण में सब समाहित है- आंसू भी। जैसे मुस्कुराहटें समाहित हैं वैसे ही आंसू भी।
एक झेन फकीर जापान में मरा। उसका शिष्य रिझाई बड़ा प्रसिद्ध था। इतना प्रसिद्ध था, गुरु से ज्यादा प्रसिद्ध था। सच तो यह है कि रिझाई के कारण ही गुरु की प्रसिद्धि हुई थी। लाखों लोग इकट्ठे हुए और रिझाई रोने लगा। गुरु की लाश पड़ी है और रिझाई के आंसू झरने लगे। और रिझाई के आसपास जो लोग थे उन्होंने कहा, यह क्या करते हो? तुम्हें लोग रोता देखेंगे तो क्या सोचेंगे ? बुद्धपुरुष कहीं रोते ?
तो रिझाई ने कहा, तो समझ लो कि मैं बुद्धपुरुष नहीं। मगर अब रोना हो रहा है, तो क्या करूं? मेरे गुरु ने एक ही बात मुझे सिखाई थी कि जो स्वाभाविक हो उसे होने देना। अभी तो आंसू आ रहे हैं। पर लोगों ने कहा, तुम्हीं तो समझाते रहे कि आत्मा अमर है।
अब रोते क्यों ?
रिझाई ने कहा, मैं आत्मा के लिए रो भी कहां रहा हूं? यह शरीर भी बड़ा प्यारा था। आत्मा तो अमर ही है, उसके लिए कौन रो रहा है? यह गुरु की देह भी बड़ी प्यारी थी। अब दुबारा इसके दर्शन न हो सकेंगे। अब अनंत काल में इसका कभी साक्षात्कार न हो सकेगा। एक अपूर्व घटना का विसर्जन हो रहा है, तुम मुझे रोने भी न दोगे ? तुम सम्हालो अपना बुद्धपुरुष और बुद्धपुरुष की परिभाषा। मैं जैसा, वैसा भला। लेकिन मुझे स्वाभाविक होने दो।
और मैं तुमसे कहता हूं, रिझाई बुद्धपुरुष था इसलिए रो सका। तुम जैसा कोई बुद्ध होता, अगर आंसू भी आ रहे होते तो रोककर बैठ जाता कि यह मौका कोई रोने का है? सारी इज्जत पर पानी फिर जायेगा। अभी रोने का मौका है? रो लेना एकांत में, अकेले में करके दरवाजा बंद। अभी तो न रोओ। भीड़-भाड़ के सामने तो अकड़कर बैठे रहो कि ज्ञान को उपलब्ध हो गये हैं, कैसा रोना? अरे ज्ञानी कहीं रोते हैं? यह तो अज्ञानी रोते हैं।
नहीं, यह निश्चित ही बुद्धपुरुष रहा होगा। तभी तो बुद्धपुरुष होने की बात को भी दो कौड़ी में फेंक दिया। कहा, रख आओ, सम्हालो तुम्हीं। तो फिर मैं बुद्धपुरुष नहीं। बात खतम हुई। मगर जो सहज हो रहा है, होने दो।
बुद्धपुरुष होने का अर्थ होता है, सहजता, समग्रता। जीवन समग्र है। कहना मुश्किल है। बुद्धपुरुषों के संबंध में कोई भविष्यवाणी नहीं हो सकती। बुद्धपुरुष ऐसे मुक्त जैसे आकाश।