विश्राम सिंह चंद्राकर द्वारा रचित “पूजा के फूल” उपन्यास का विमोचन, अंचल के ख्यातिलब्ध कविद्वय भी नवाजे गए विशिष्ट सम्मान से

(लोक असर समाचार बालोद/ गुण्डरदेही)

वयोवृद्ध उपन्यासकार विश्राम सिंह चंद्राकर द्वारा रचित “पूजा के फूल” का साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति में अतिथियों के हाथों विमोचन किया गया।

साथ ही अंचल के ख्यातिलब्ध कविद्वय शिवकुमार अंगारे एवं प्यारेलाल देशमुख का विशिष्ट सम्मान सरस साहित्य समिति गुण्डरदेही एवं प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति की जिला इकाई बालोद के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।

उपन्यास “पूजा के फूल” के विमोचन के पहले प्यारेलाल देशमुख गीतकार (निकुम) को इस वर्ष का “सरस साहित्य सम्मान” एवं “स्वर्गीय रामसेवक कौमार्य सम्मान” शिवकुमार अंगारे गीतकार एवं गायक (मटिया बांग्ला ) को प्रशस्ति पत्र एवं श्रीफल शाल भेंट कर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर सम्मानित होने वाले साहित्यकारों की परिजन भी उपस्थित रहे।

तत्पश्चात “पूजा के फूल” उपन्यास का विमोचन अतिथियों के हाथों संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे रूपनारायण सिंह (समाजसेवी एवं चिंतक ) कार्यक्रम की अध्यक्षता कान्हा कौशिक (अध्यक्ष क्रांति छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर ) थे ।

वहीं विशिष्ट अतिथियों में पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर ( नाचा कलाकार) , वरिष्ठ लोक साहित्यकार सीताराम साहू श्याम, गिरवर दास मानिकपुरी (फिल्मी गीतकार), डी. आर.साहू (सेवानिवृत प्राचार्य ) एवं अखिलेश्वर मिश्रा (अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई बालोद) के अलावा पैरी , गुण्डरदेही एवं करहीभदर कबीर आश्रमों से पहुंचे कबीर संतों एवं गीता विश्वकर्मा (कवियत्री) , भानुमती साहू (पूर्व अध्यक्ष जनपद पंचायत), नीलम दास ( लोक कलाकार), भगवती साहू (लोक गायिका) , कुमार देशमुख ( लोक कलाकार), सहित अन्य अतिथिगण उपस्थित रहे।

इस अवसर पर अंचल के वरिष्ठ नागरिकों , मितानिनों , शिक्षिकाओं , कोटवारों के अतिरिक्त प्रेरणा साहित्य समिति बालोद , मधुर साहित्य समिति डौंडीलोहारा , शारदा साहित्य समिति निकुम एवं नवदीप साहित्य समिति अर्जुंदा के कवियों का भी सम्मान इस अवसर पर किया गया ।

मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में इस कार्यक्रम को साहित्यकारों का छोटा कुंभ बताया और कहा कि साहित्यकार प्रकृति का एक माध्यम है समाज एवं देश को दिशा प्रदान करने वाले । छत्तीसगढ़ के माटी में अनेकों मूर्धन्य साहित्यकार जन्मे है । साहित्य लिखा जाता है कठिन तपस्या से। उन्होंने कहा कि जहां का साहित्य उत्कृष्ट होता है वह समाज विकसित होता है । उन्होंने गुंडरदेही की माटी को साहित्यकारों की उर्वरा भूमि भी बताया। अपना उद्गार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि ने विश्राम सिंह चंद्राकर द्वारा रचित उपन्यास “पूजा के फूल” को आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक बताया । वहीं उन्होंने श्री चंद्राकर की दीर्घायु होने की कामना व्यक्त करते हुए उनकी कृति के लिए शुभकामनाएं दी ।

“पूजा के फूल” उपन्यास की भूमिका लेखक सीताराम साहू श्याम ने उपन्यास के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उपन्यासकार ने अपने उपन्यास में आंचलिकता को बरकरार रखा है यह बड़ी विशेषता है उनके उपन्यास की बड़ी पूंजी है । वास्तविक जीवन की काल्पनिक कहानी सचमुच प्रेरणादायक है । एक बार जरूर पढ़ना चाहिए। “पूजा के फूल” उपन्यास पर आमंत्रित अतिथियों ने भी अपने अपने विचार रखे।

इस अवसर पर प्रदेश के अनेक जिलों से उपस्थिति प्रदान करने वाले कवि एवं साहित्यकारों में श्री दादर, भारत बुलंदी , राजकुमार चौधरी , कैलाश कुंवारा, दिनेश्वर चंद्राकर, देवनारायण नगरिया , पुष्कर सिंह राज, जयकांत पटेल, एस एल गंधर्व , द्रोणकुमार सार्वा, थानमल जैन, कृष्ण कुमार दीप , रमेश यादव , माखनलाल साहू, एम एल ठाकुर, जलज ताम्रकार , बेनीराम सार्वा, गजपति राम साहू, सहित बड़ी संख्या में साहित्यकारों की उपस्थिति रही । कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन कवि केशव साहू द्वारा किया गया।

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