(दंतेवाड़ा से हमारे संवाददाता उमा शंकर की रिपोर्ट)
(लोक असर समाचार दंतेवाड़ा)
हर वर्ष के तरह भगवान श्री जगन्नाथ महाप्रभु जी की भव्य रथयात्रा माई जी की नगरी दंतेवाड़ा में निकाली गई । प्रभु की यह रथयात्रा प्रति वर्ष आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को विधि के अनुसार निकाली जाती है और दशमी तिथि को रथ की वापिसी होती है । भक्तों को ताता अपने महाप्रभु के दर्शन हेतु पूरे रथयात्रा के दौरान लगा रहा ।
दंतेवाड़ा उत्कल समाज के द्वारा आयोजित इस रथयात्रा में ओडिशा के टिटलागढ़ से आए भजन कीर्तन मंडली का स्वरूप देखते ही बनता था। प्रभु के भक्ति में लीन, मधुर गीत-संगीत के साथ मृदंग और पारंपरिक वाद्य यंत्रों ने पूरे मंजर को भक्तिमय प्रदान किया मानों हर भक्त महाप्रभु की भक्ति में रम गया हो ।
विधि के अनुसार इस वर्ष भी रथयात्रा निकलने से पूर्व माई जी के मुख्य पुजारी जिया बाबा, जिन्हें एक राजा का दर्जा उत्कल समाज दंतेवाड़ा द्वारा प्रदान की गई है जिसमें परंपरा के अनुसार वे एक राजा की तरह ही निश्चल मन भाव से प्रभु के रथयात्रा मार्ग पर नंगे पांव झाड़ू लगाते है । इस रस्म को छेरा फहरा कहते है ।
महाप्रभु अपने दंतेवाड़ा के निवास धाम से अपने सेवादारों के माध्यम से अपने बड़े भ्राता भगवान बलभद्र जी और छोटी बहन मां सुभद्रा के संग रथ में सवार होकर दंतेवाड़ा बस स्टैंड तक करते हुए अपने दंतेवाड़ा के भक्त जनों को दर्शन दिए ।
दंतेवाड़ा बस स्टैंड हनुमान मंदिर के समीप रथ यात्रा की समापन पूरे विधिवत तरीके से की गई और महाप्रभु के प्रसाद और खिचड़ी को अनुशासित तरीके से भक्त जनों के मध्य वितरण भी किया गया ।
इस पूरे रथयात्रा के दौरान जगह जगह प्रभु के रथ को रोकर पूजन अर्चन भक्तो के द्वारा की गई । इस रथयात्रा में अपनी सहभागिता दंतेवाड़ा के सभी वर्गों के साथ साथ राजनीतिक पृष्ठभूमि के जनप्रतिनिधियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया ।