(दंतेवाड़ा से हमारे संवाददाता उमा शंकर की रिपोर्ट)
(लोक असर समाचार दंतेवाड़ा)
जिले की ग्रामीण बसाहटों की एक प्रमुख विशेषता प्रत्येक घर आंगन में शाक वाटिका या सब्जी बाग उगाने के लिए पर्याप्त भूमि की सुव्यवस्था का रहना है। जहां कृषक परिवार अपने आवश्यकतानुसार प्रत्येक मौसम अनुरूप स्थानीय सब्जियां जैसे भिंडी, कुम्हड़ा, भटा, करेला, लौकी, विभिन्न प्रकार की भांजियां का सीमित तौर पर पैदावार कर लेते है। अब इन्हीं शाक वाटिका को महिला कृषकों के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के तहत बहुउपयोगी, संवर्धित करके आजीविका से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे है।
बाडि़यों में उगने वाले लता उन्मुख शाक सब्जियों जैसे करेला, तोरई, बरबटी, सेम की लताओं के लिए मचान विधि फायदेमंद रहती है। इसमें लताओं के फलने फूलने के लिए रस्सी और तार के माध्यम से मचान निर्मित किया जाता है। इसका सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि पौधे में आने वाली सब्जियां खराब नहीं होती है और उनकी गुणवत्ता भी अच्छी रहती है साथ ही इनकी फलने की अवधि में भी बढ़त हो जाती है।
जिले के कृषकों का रुझान सदैव जैविक कृषि की ओर रहा है अतः मिशन बिहान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जैविक सब्जियां एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जिले के अंतर्गत 1000 दीदियों के बाडि़यों में ’’मचान’’ विधि से सब्जी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। जहां वे मचान विधि से सब्जियों का उत्पादन कर आजीविका के नये स्रोत से जुड़ेगी।
इस कड़ी में विकासखण्ड दन्तेवाड़ा के ग्राम पंचायत कुपेर के स्व सहायता के दीदी श्रीमती झुनकी यादव के मकान की 3.8 डिसमिल भूमि में ’’मचान विधि’’ से करेला लगाने के लिए नर्सरी बेड तैयार किया गया है। साथ ही अन्य दीदियों के घर के बाडि़यों में इसी विधि से सब्जी लगाने को प्रेरित किया जा रहा है। ताकि स्थानीय समुदाय को अधिक से अधिक ताजी जैविक सब्जियां उपलब्ध होने के साथ-साथ दीदियों की आमदनी में वृद्धि हो। इसके अलावा इन्हें कृषि मित्रों एवं उद्यानिकी विभाग के द्वारा समय समय पर आवश्यक सहयोग व मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है।