टी आर आई बिलासपुर द्वारा पद्मश्री जागेश्वर यादव का अभिनंदन

(लोक असर समाचार बालोद/ बिलासपुर)

पद्मश्री जागेश्वर यादव का 9 मई 2024 (पद्मश्री सम्मान ) पश्चात आज पहलीबार आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान क्षेत्रीय ईकाईं बिलासपुर आगमन हुआ।

कार्यालय प्रमुख डॉ रूपेन्द्र कवि (उपसंचालक) व सहायक संचालक सूरज दास मानिकपुरी द्वारा यादव का शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया। इस दरमियान अपने सादगीपूर्ण अन्दाज़ में यादव ने अपने समाजकार्य व पद्मश्री होने के कुछ विशिष्ट पहलुओं को साझा किए। अभिनंदन के अवसर पर कार्यालयीन स्टाफ़ भी उपस्थित थे।

ज्ञातव्य हो कि जागेश्वर यादव का जन्म जशपुर जिले के भितघरा में हुआ था. बचपन से ही उन्होंने बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखी थी. घने जंगलों में रहने वाले बिरहोर आदिवासी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से वंचित थे, जागेश्वर ने इनके जीवन को बदलने का फैसला किया. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने आदिवासियों के बीच रहना शुरू किया. उनकी भाषा और संस्कृति को सीखा. इसके बाद उन्होंने शिक्षा की अलख जगाई और स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया.

जागेश्वर यादव ‘बिरहोर के भाई’ के नाम से चर्चित हैं. जागेश्वर को उनके बेहतर कार्य के लिए पहले भी 2015 में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान मिल चुका है. आर्थिक कठिनाइयों की वजह से उनके लिए यह सब आसान नहीं रहा. लेकिन, उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक रहा. वे बताते हैं कि पहले बिरहोर जनजाति के लोग, उनके बच्चे अन्य लोगों से मिलते-जुलते नहीं थे. बाहरी लोगों को देखते ही भाग जाते थे. इतना ही नहीं जूतों के निशान देखकर भी छिप जाते थे. ऐसे में पढ़ाई के लिए स्कूल जाना तो बड़ी दूर की बात थी. लेकिन, अब समय बदल गया है. जागेश्वर यादव के प्रयासों से अब इस जनजाति के बच्चे भी स्कूल जाते हैं.

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