(लोक असर समाचार बालोद/ अंतागढ़)
अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अनूप नाग ने सोशल मीडिया के माध्यम से वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार को तीन चार बिन्दुओं में क्षेत्र की समस्याओं को रखने का प्रयास किया है। साथ ही क्षेत्र की जनता से भी एकजुट होकर तमाम समस्याओं को लेकर लड़ाई लड़ने का आह्वान भी किया है। उन्होंने आगे लिखा है कि
सरकारें आती जाती रहती है। 15 वर्षों तक bjp की सरकार छत्तीसगढ़ में थी। फिर हमारी कांग्रेस की सरकार बनी , हमारे शासनकाल की महज़ 3 समस्याओं पर वर्तमान सरकार एवं क्षेत्र के सांसद ,विधायक का ध्यान खींचना चाहता हूँ।
उन्होंने सबसे पहले शहीद राजेश पवार हाई स्कूल की छत जो कि प्राकृतिक आपदा से उड़ गई है। छत के उड़ जाने से यहां पर अध्ययनरत विद्यार्थी बहुत परेशान है। इसे तत्काल दुरुस्त करने की मांग की है।
इसके बाद उन्होंने इमलीपदर से राजीव चौक की सड़क निर्माण हमारे कांग्रेस सरकार में प्रारंभ हो चुका था। साथ ही राजीव चौक से गोल्डन चौक होते हुए अंतागढ़ पुलिया तक रोड निर्माण का भूमि पूजन हो चुका था। किन्तु उसे भी वर्तमान सरकार द्वारा रोक लगा दिया गया है। इस पर कुछ कहने की जरूरत नहीं है क्षेत्र की जनता को सब पता है।
और तीसरी बड़ी समस्या है अंतागढ़ से नारायणपुर रोड जहां भारी वाहन के चलने से आये दिन लोगों की दुर्घटना से मौत होती है। इस समस्या के निदान हेतु कोलर ,ताड़ोकी, बन्दपाल आस पास के गाँव के द्वारा रोड चौड़ीकरण को लेकर तक़रीबन 6 माह तक क्षेत्रवासियों द्वारा आंदोलन भी किया गया था । इस समस्या का निदान के लिए कांग्रेस की सरकार एवं मैं क्षेत्र के जनप्रतिनिधि होने के नाते ईमानदारी के साथ वित्तीय स्वीकृति कराया गया था। जिसे भी रोक दिया गया है। इससे क्षेत्र की परेशान है इसे भी अविलंब शुरू करने
इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी व्यथा ज़ाहिर करते हुए लिखा है कि अब सुनने में आ रहा है रोड चौड़ीकरण हेतु टेंडर लगने वाली है ,प्रभावित रोड चौड़ीकरण में क़रीब 400 वृक्ष कांटे जाने की बात हो रही है परंतु दुर्भाग्य की बात है कि शासन के योजना में पर्यावरण क़रीब 2000 वृक्ष लगाने पड़ेंगे।
लेकिन पेड़ अंतागढ़ क्षेत्र में कट रहे हैं और वृक्षारोपण कहीं अन्य जिले मसलन कि कवर्धा ,बेमेतरा में किया जाने का का चयन हुआ है ,हमारे क्षेत्र में वृक्ष कटेंगे जिससे पर्यावरण ख़राब होगा और कवर्धा ज़िला में वृक्ष लगा कर वहाँ पर्यावरण सुधारा जाएगा! आश्चर्य जनक है । इसके सन्दर्भ में उन्होंने उदाहरण भी दिया है ये तो वही बात हुई मेटाबोदली , चार्गाओं माइनस प्रभावित क्षेत्र में पर्यावरण बचाव हेतु क़रीब 3 करोड़ रुपये खर्च कर दिया गया। उन स्थानों पर आज़ एक झाड़ भी दिखाई नहीं देता , हमारे क्षेत्र के पैसे से राजधानी रायपुर को संवारा जा रहा है। और इस क्षेत्र की जानता धूल खा रही है। यहां बीमारी एवं दुर्घटना से मौत हो रही है। आखिर में उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या क्षेत्र की जनता, समाजसेवी , राजनीतिक प्रतिनिधि एवं हमारे पत्रकार बंधु इसके लिए आवाज़ उठायेंगे ?