LOK ASAR
ANTAGADH
पूर्व विधायक अनूप नाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वर्तमान सांसद भोजराज नाग और विधायक विक्रम उसेंडी पर परलकोट के किसानों और आम जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है, दरअसल 2 वर्ष पूर्व परलकोट में मक्का खरीदी के नाम पर हुए 7 करोड़ के घोटाले पर किसानों को अभी तक कोई मुआवजा न मिलने पर पूर्व विधायक नाग ने राज्य सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मंशा पर सवाल खड़े किए है ।
उन्होने आरोप लगाया है कि 2 वर्ष पहले वर्तमान सांसद और वर्तमान विधायक ने ठगी के शिकार हुए किसानों को झूठा दिलासा दिलाया था कि अगर भाजपा की सरकार होती तो हम 1 दिन के अंदर ही किसानों को उनसे ठगी की राशि का मुआवजा दिला देते। फिर तरह तरह के बीजेपी ने आंदोलन किए , सड़के जाम की , सरकारी काम में बाधा उत्पन्न जैसे तमाम नौटंकी कर किसानों को झूठा दिलासा दिलाया । जबकि मैंने तब भी कहा था कि मामला न्यायालय के पास है तो इसका समाधान वही से होगा। सरकार न्यायालय के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती । इसीलिए मेरे ऊपर इन्होंने तरह तरह के झूठे आरोप लगाए , परंतु मैने इन आरोपों की परवाह नहीं की क्योंकि मेरी प्राथमिकता किसान और उनके परिवार थे। जिस कारण हमने पीड़ित किसानों को 1 करोड़ रूपए वापस दिलवाए थे ।
इसीलिए मेरा सवाल है कि आज छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बने लगभग एक वर्ष होने वाले है लेकिन इन किसानों की सुध लेना वाला कोई सांसद या विधायक नहीं है। केंद्र में भी भाजपा की सरकार है । भाजपा ही कहती है हमारी डबल इंजन की सरकार है , लेकिन इन गरीब किसानों की सुध न तो सरकार ले रही है और न ही सांसद भोजराज और न ही विधायक उसेंडी । इसीलिए इनकी मंशा पर सवाल खड़े करना जरूरी है आखिर क्या सांसद और विधायक ने भोले भाले किसानों की मजबूरी का फायदा सिर्फ अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए उठाया है ? सांसद और विधायक दोनो को किसानों और परलकोट की जनता से माफी मांगनी चाहिए ।
पूर्व विधायक नाग ने कहा कि मेरे शाशनकाल में 24 घंटे से 72 घंटे के अंदर किसानों को मुआवजा मिल जाता था।
साथ ही पूर्व विधायक नाग ने क्षेत्र में अत्यधिक बारिश से किसानों के फसलों को हुए नुकसान का भी मुद्दा उठाया है उन्होंने बताया की क्षेत्र के किसानों को अत्यधिक बारिश से किसी को हजारों तो किसी को लाखो रूपए के फसलों की क्षति पहुंची है । लेकिन हमारी राज्य सरकार और हमारे सांसद विधायक न तो किसानों को सुध ले रहे है और न ही मुआवजे का कोई प्रावधान रखा है, 2-2 महीने बाद बाद किसानों को 1-2 हजार के मुआवजा देकर उन्हें सांत्वना पुरस्कार देने जैसा कार्यशैली दिखा रहे है जबकि मेरे कार्यकाल में मैने कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक चाहे ओलावृष्टि हो या आंधी तूफान से पीड़ित किसानों की आवाज को बुलंद किया है और कही पे 24 घंटे तो कही मात्र 72 घंटे के अंदर ही किसानों को उनके मूल मुआवजे की राशि प्रदान की है जिसमे मैंने 40-40 लाख रुपए किसानों को उनके क्षति के आधार पर किसी को 10 हजार तो किसी को 40 हजार रूपये तक मुआवजा प्रदान किया ।
सांसद विधायक की मंशा पर खड़े किए सवाल
लेकिन आज किसानों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं है, किसान लाचार है विधायक क्षेत्र में मिलते नहीं है अधिकारी उनकी सुनते नहीं है। मेरी मांग इतनी है की सरकार और हमारे सांसद विधायक हमारे क्षेत्र के किसानों को उनकी क्षति का उचित मुआवजा प्रदान करे और मक्का किसानों से हुई ठगी का भी जो उनका मुख्य मुद्दा था उन्हे वो राहत राशि प्रदान करे। साथ ही मुझे मेरे किसान भाईयों से निवेदन है कि वे फसलों की अच्छी तरह से खेती करे और ऐसे ठगी करने वाले लोगों से सावधान रहे और अपने विवेक से काम करे ।