अहोभाव ! कहना मुश्किल है कि उसकी पुकार पहले आती है, कि तुम पहले राजी होते हो।

(संकलन एवं प्रस्तुति मैक्सिम आनन्द)

अमीर खुसरो एक बहुत अदभुत कवि हुआ। वह साधारण कवि न था, ऋषि था। उसने जाना था, वही गाया है। और खूब गहराई से जाना था। उसके गुरु थे निजामुद्दीन औलिया, एक सूफी फकीर। निजामुद्दीन औलिया की मृत्यु हुई, तो हजारों भक्त आए। अमीर खुसरो भी गया अपने गुरु को देखने। लाश रखी थी, फूलों से सजी थी। अमीर खुसरो ने देखी लाश, और कहा,
गौरी सोवत सेज पर
मुख पर डारे केश
चले खुसरो घर आपने
रैन भई यह देश”

खुसरो ने कहा, “गौरी सोवत सेज पर मुख पर डारे केश।” यह गोरी सो रही है सेज पर। मुख पर केश डाल दिए गए। “चल खुसरो घर आपने-अब यह वक्त हो गया, अब रोशनी चली गई इस संसार से, अब यहां सिर्फ अंधकार है। “चल खुसरो घर आपने रैन भई यह देश। यह देश अब अंधेरा हो गया, रात हो गई।
और कहते हैं, यह पद कहते ही खुसरो गिर पड़ा और उसने प्राण छोड़ दिए। बस, यह आखिरी पद है, जो उसके मुंह से निकला। तुमने जिसे रोशनी जानी है, वह रोशनी नहीं है। खुसरो ने रोशनी देख ली थी निजामुद्दीन औलिया की। उस रोशनी के जाते ही सारा देश अंधकार हो गया-रैन भई इस देश। चल खुसरो घर आपने। अब हम भी अपने घर चलें, अब वक्त-अब यहां कुछ रहने को बचा न।


खुसरो ने निजामुद्दीन औलिया में जीवन का दीया पहली दफा देखा। जाना कि जीवन क्या है! पहचाना, प्रकाश क्या है! होश में आया, कि होना क्या है! उस दीए के बुझते ही उसने कहा, अब हमारे भी घर जाने का वक्त आ गया। तुम जिसे अभी प्रकाश समझ रहे हो, वह प्रकाश नहीं है। और तुम जिसे अभी जल समझ रहे हो, वह जल नहीं है। और जिससे तुम अभी प्यास बुझाने की कोशिश कर रहे हो, उससे प्यास बुझेगी नहीं, बढ़े भला!

एक ही बात का खयाल रखो और प्रतीक्षा करो, कि उसका तीर तुम्हारे हृदय में बिंध जाए। और तुम्हारे नख से लेकर सिर तक विरह की पीड़ा में तुम जल उठो। एक ही प्रार्थना हो तुम्हारी अभी, कि तेरा विरह चाहिए। तेरा निमंत्रण चाहिए। तू बुला। तेरी पुकार चाहिए। एक ही प्रार्थना और एक ही भाव रह जाए, कि उससे मिले बिना कोई सुख, कोई आनंद संभव नहीं है। तो फिर देर न लगेगी बिना हाथों के, बिना प्रत्यंचा और तीर के- उसका तीर सदा ही तैयार है। सदा सधा है, तुम इधर हृदय खोलो, उधर से तीर चल पड़ता है। तुम इधर राजी होओ, उसकी पुकार आ जाती है। कहना मुश्किल है कि उसकी पुकार पहले आती है, कि तुम पहले राजी होते हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *