डीजल में इथेनॉल मिलाने के बावजूद तेल के दाम कम क्यों नहीं हो रहे? – डॉ राजकुमार यादव

इंजन डेमेज, इंस्यूरेंस डीनायल (क्लेम रिजेक्ट) का जिम्मेदार कौन?

(लोक असर समाचार नई दिल्ली)

भारत में इथेनॉल ब्लेंडिंग मुख्य रूप से पेट्रोल में हो रही है, जहां E20 (20% इथेनॉल) का लक्ष्य 2025 तक हासिल कर लिया गया है। डीजल में इथेनॉल ब्लेंडिंग अभी प्रारंभिक चरण में है जो की भविष्य मेँ घातक सिद्ध होगा – सरकार 5% से 15% ब्लेंडिंग की योजना बना रही है, लेकिन यह व्यापक रूप से लागू नहीं हो पाई है। रिसर्च और टेस्टिंग चल रही है ठीक वैसे ही जैसे मानव शरीर से पहले चूहों व अन्य जानवरो पर की जाती है l वर्तमान 15% ब्लेंडिंग पर अध्ययन जारी है l

कीमतों के कम न होने के कारण मुख्यतः इथेनॉल की लागत अधिक होना – पेट्रोल के मामले में, इथेनॉल की खरीद लागत अब पेट्रोल से ज्यादा हो गई है (लगभग ₹71.32 प्रति लीटर, जिसमें ट्रांसपोर्टेशन और GST शामिल है)। सरकार ने कहा है कि पुरानी रिपोर्ट्स (2020-21) में इथेनॉल सस्ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है, इसलिए ब्लेंडेड ईंधन की कीमत कम नहीं की जा रही। डीजल के लिए भी यही तर्क लागू हो सकता है – ब्लेंडिंग से बचत नहीं हो रही, बल्कि लागत बढ़ रही है।
कोई बचत अर्जित नहीं की जा रही पेट्रोल में 20% ब्लेंडिंग के बावजूद कीमतें नहीं घटीं, क्योंकि सरकार ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण लाभ पर फोकस कर रही है, न कि उपभोक्ता बचत पर। डीजल ब्लेंडिंग से भी आयात बिल कम होने का दावा है, लेकिन उपभोक्ताओं को लाभ नहीं मिल रहा – माइलेज कम होने से वास्तविक खर्च बढ़ जाता है। माइलेज और दक्षता का असर मुख्यतः ब्लेंडेड ईंधन से माइलेज 5-10% कम हो जाता है, जिससे कुल खर्च बढ़ता है। ट्रक जैसे डीजल वाहनों में यह समस्या और गंभीर हो सकती है।
मामला गंभीर बनता है क्योंकि जब एथेनॉल मिलाने से मूल्य कम नहीं होंगे,माइलेज कम होगा, इंजन की कैपेसिटी घटेगी, इंजन खराब होंगे व ब्लैडेट ईंधन प्रयोग करने से इंश्योरेंस डेनियल (क्लेम रिजेक्ट) होगा तो अंग्रेजी फरमान व तानाशाह रवैया का जिम्मेदार आखिर कौन? इस तरह से ट्रक मालिकों के ऊपर ना चाहते हुए भी ब्लेंडिंग डीजल का बोझ क्यों डाला जा रहा है व उनके पीछे आखिर क्या मनसा है व किसका मुनाफा?

इंजन में खराबी और इंश्योरेंस क्लेम डिनायल का जिम्मेदार कौन?” इंजन डैमेज के कारण समान्यतः इथेनॉल ब्लेंडेड डीजल इंजन को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर पुराने या असंगत वाहनों में। कारण इथेनॉल पानी सोखता है, जिससे जंग लगती है और फ्यूल सिस्टम (इंजेक्टर, पंप, लाइन्स) खराब होता है। डीजल इंजनों में इग्निशन मुश्किल होती है, और 15% से ज्यादा ब्लेंडिंग से इंजन लाइफ कम हो जाती है।

पुराने ट्रकों में रबर पार्ट्स (होज, ओ-रिंग्स) सूज जाते हैं या क्रैक हो जाते हैं, जिससे लीकेज और पावर लॉस होता है। पेट्रोल के मामले में भी यही समस्या है, और सोशल मीडिया पर पर कई यूजर्स ने शेयर किया कि E20 से इंजन डैमेज हो रहा है। वही सबसे बड़ा सर दर्द इंश्योरेंस क्लेम डिनायल है- अगर वाहन ब्लेंडेड फ्यूल के लिए संगत नहीं है (जैसे 2023 से पहले के मॉडल), तो इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम रिजेक्ट कर सकती हैं, इसे “गलत फ्यूल यूज” मानकर। सरकार का कहना है कि E20 से कोई डैमेज नहीं होता और क्लेम प्रभावित नहीं होगा, लेकिन इंश्योरेंस कंपनियां और मैन्युफैक्चरर्स (जैसे टोयोटा) वारंटी वॉयड करने की चेतावनी दे रही हैं।
ट्रकों के लिए यह बड़ा मुद्दा है, क्योंकि डीजल इंजन महंगे हैं और रिपेयर कॉस्ट हाई है। वहीं कई सोशल मीडिया यूजर्स ने शेयर किया कि इंश्योरेंस और वारंटी दोनों ही प्रभावित हो रही हैं।

जिम्मेदार कौन? – सरकार और पेट्रोलियम मिनिस्ट्री: नीति बनाने और पुश करने के लिए, बिना पुराने वाहनों की संगतता सुनिश्चित किए। वे दावा करते हैं कि कोई डैमेज नहीं, लेकिन रियलिटी अलग है।

ऑयल कंपनियां अपनी फ्यूल सप्लाई और कीमत निर्धारण के लिए प्रयासरत है, वे उपभोक्ताओं को संगतता चेक करने की सलाह देती हैं, लेकिन जिम्मेदारी बिल्कुल भी नहीं लेतीं। वहीं वाहन मैन्युफैक्चरर्स ने पुराने मॉडल्स को ब्लेंडेड फ्यूल के लिए अपग्रेड न करने और वारंटी वॉयड करने के लिए पूरी तैयारी कर ली है l
इंश्योरेंस कंपनियां मैं सीधे रूप से क्लेम रिजेक्ट करने के लिए रेडीमेड फॉर्मेट तैयार कर लिया है वह अंदरूनी दिशा निर्देश जारी कर दी है कि अगर डैमेज फ्यूल से जुड़ा हो इंश्योरेंस डिनायल होगा. कुल मिलाकर, उपभोक्ता (ट्रक ओनर्स) बीच में फंस जाते हैं। उफ्तत्सा राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा संगठन ने ट्रक ट्रांसपोर्टर्स की ओर से लगातार आवाज उठा रही हैं, क्योंकि डीजल ब्लेंडिंग से उनका बिजनेस सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। अगर ब्लेंडिंग बढ़ी, तो इंजन रिपेयर और डाउनटाइम से नुकसान होगा।

उफ्तत्सा “राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा” (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजकुमार यादव ने कहा “आने वाले समय में एकजुट होकर इसका विरोध करना जरूरी है अन्यथा अधिक मूल्य चुका कर भी अपना नुकसान करते हुए गाड़ी चलाना आखिर कहां की समझदारी होगी, पूरे भारत के ट्रक मालिकों को इस आने वाली समस्या पर विचार करना होगा व समय रहते इससे लड़ने की पूरी तैयारी करनी होगी l”

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