
लोक असर समाचार दंतेवाड़ा से उमा शंकर की विशेष रिपोर्ट
दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के मनमोहक पर्यटन स्थल डेम पारा-कुम्हारराश अब नई पहचान बना रहे हैं। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यहाँ अब बाँस राफ्टिंग, स्वचालित शिकरा बोट और पैडल बोटिंग जैसी रोमांचक गतिविधियाँ शुरू की गई हैं, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए अवसर मिल रहे हैं।
स्थानीय ग्राम संगठन और वन विभाग के सहयोग से यह पहल शुरू की गई है। बाँस से बनी राफ्ट न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि यह स्थानीय कारीगरों की कला को भी दर्शाती है। वहीं स्वचालित शिकारा बोट और पैडल बोटिंग ने पर्यटकों के लिए यहाँ का अनुभव और भी मनोरम बना दिया है।
पिछले दिन ही प्रदेश के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप और जिले के विधायक चैतराम अटामी के द्वारा इसका फीता काटकर उद्घाटन किया गया ।
स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर बोट संचालन, पर्यटक गाइडिंग और सुरक्षा प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे अब कई युवाओं को स्थायी रोजगार मिला है और महिलाओं ने भी पर्यटन गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी शुरू की है।
दंतेवाड़ा जिला प्रशासन का कहना है कि इस मॉडल को आगे बढ़ाकर अन्य पर्यटन स्थलों पर भी लागू किया जाएगा, जिससे बस्तर क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ स्थानीय समुदायों का आर्थिक सशक्तिकरण भी सुनिश्चित हो सकेगा।
बंबू राफ्टिंग के प्रथम पर्यटक के रूप में अपनी उपस्थित देते हुए समाजसेवी उमाशंकर जो बस्तर के अंदरूनी हिस्सों में शिक्षा,स्वास्थ्य और युवाओं को लगातार जागरण के तहत उनके जीवन में अलख जलाने का कार्य करने वाले व्यक्ति विशेष कहते है कि अच्छे कार्यों की सराहना और प्रचार प्रसार अवश्य होनी चाहिए और बस्तर की अनदेखी,अनछुई सौन्दर्य को विश्व पटल पर सही परिपेक्ष पर रखते हुए स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना किसी पुण्य कार्य से बढ़कर है । वहीं दूसरे एक और पर्यटक ,गोपीचंद साहू जो रायपुर से यहाँ आए थे, कहते हैं — “यहाँ की बाँस राफ्टिंग का अनुभव अद्भुत था। पानी की लहरों के बीच तैरते हुए बस्तर की सुंदरता को नज़दीक से देखने का मौका मिला।”
वहीं दूसरी ओर स्थानीय समिति के ऊर्जावान युवा सुनील कुमार भास्कर कहते है “पर्यटन और रोजगार के इस अनूठे पहल को हम हृदय से नमन करते हुए प्रसन्नता जाहिर करते है और भविष्य में इसे और अच्छे तरीके से कैसे हम जिला प्रशासन और अपने स्थानीय समिति का सहयोग लेकर इसे और कैसे अच्छे और सुरक्षित तरीके से जमीन पर उतार कर संचालन कर सकते हैं इस पर लगातार हम कार्य करने वाले है “। बस्तर के जंगलों और झीलों के बीच यह नई पर्यटन पहल अब ‘रोमांच और रोज़गार का संगम’ बनती जा रही है।
