लोक असर बालोद/कुरुद
कबीर तीर्थ मंदरौद (मेलाघाट) में एक दिवसीय वर्षावास संत समागम एवं कबीर सम्मान कार्यक्रम 28 सितम्बर को आयोजित किया गया है। इस अवसर पर संतजनों, बुद्धिजीवीयों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के प्रबोधन होगा। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 11 बजे से 02 तक कबीर भजन, अतिथियों का प्रबोधन एवं प्रतिभा सम्मान होगा। इसके अलावा अपरान्ह 03 बजे से 05 तक सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की जावेगी।
कबीर तीर्थ मंदरौद को आध्यात्मिक पर्यटक स्थल बनाये जाने की मांग
भारत भ्रमण के दौरान पदयात्रा करते हुए योगेंद्र साहब 1995 में मंदरौद पहुंचे थे। उस वक्त यहां पर घनघोर एवं भयावह जंगल था। संत योगेंद्र साहेब तपस्वी प्रकृति के थे। यह वीरान स्थल उन्हें साधना के अनुकूल लगा। तब उन्होंने ग्रामीणों से मिलकर कबीर स्तंभ की स्थापना की। जिसे कबीर तीर्थ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने पत्थर में स्वयं खुदाई करके कबीर की साखी उकेरा। उनको यह प्रेरणा सम्राट अशोक से मिली थी। सम्राट अशोक जब अशोक स्तंभ अथवा शिलालेख में स्थाई एवं ठोस कार्य को महत्व दिया था, उन्हीं की प्रेरणा लेकर कबीर स्तंभ बनवाकर पत्थर पर कबीर साहेब के प्रभावशाली वचनों को उकेरा गया है। मंदरौद, धमतरी जिले के कुरूद ब्लाक के महानदी के सुरम्य तट पर स्थित है, यहां प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर दो दिवसीय कबीर मेला का आयोजन होता है, पिछले तीन-चार वर्षो से चौमासा में एक दिवसीय संत समागम का आयोजन शुरू किया गया है। यह आयोजन मुख्य रूप से समाज से जुड़े कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के उद्देश्य से किया जाता है। स्थानीय लोगों की मांग है कि आध्यात्मिक पर्यटन स्थल बनाया जाए। यह जानकारी संत श्री भुवनेश्वरम साहेब ने दी।