लोक असर समाचार बालोद
तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू और वन मंडल अधिकारी सतोविशा समाजदार ने विकासखंड डौंडीलोहारा के प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टिकोण से अति विशिष्ट स्थल चितवा डोंगरी का साझा दौरा कर इस रहस्यमयी प्राचीन गुफाओं को सहेजने की बात कही थी। साथ ही चीत्व डोंगरी के आसपास के इलाके जो गोंदली जलाशय का तटीय क्षेत्र है को विकसित करने की योजना में सम्मिलित पर्यटक स्थल का रूप दिया जाएगा जिले के दो आला जिम्मेदार अधिकारियों के इस कार्य योजना से उक्त आदिम कालीन गुफाएं एवं भित्ति चित्र सुरक्षित और संरक्षित होंगी। अलावा जिले के अलग-अलग स्थानों में बिखरे पुरातत्व के अवशेषों के शोध एवं संवर्धन का रास्ता भी आसान होगा और वर्षों से उपेक्षित पुरातात्विक धरोहरों को सहेजने का कार्य पूरा हो सकेगा !किंतु 2 वर्ष पश्चात् भी पर्यटन स्थल बनाने का ख्वाब जहां अधूरा है वही चितवा डोंगरी की रहस्यमई गुफाएं संरक्षण के अभाव में महफूज नहीं है।
कार्य योजना उपरांत निर्माण कार्य
2 वर्ष पूर्व चितवा डोंगरी की गुफाओं को सुरक्षित करने एवं उसके समीप के क्षेत्र को पर्यटक स्थल बनाए जाने की कार्य योजना के अंतर्गत इन 2 वर्षों में महज एक शौचालय, एक कक्ष निर्माण, बोर खनन एवं एक पानी टंकी बनाने के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नहीं कराया जा सका है। पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने का सपना आज भी अधूरा है।
चितवा डोंगरी के गार्ड नांदला साहू जो कि ग्रैबईरडीह का असर है। दो पोस्ट चिटवा डोंगरीपोंग्स की देखभाल करते हैं। ️️️️️️️️️️️
किवदंती है किवाडंती पैसर्स के पार… चितवा डोंगरी में 7 . फसल के चित्र में एक बावली कुँए और देव पाठ है। उच्च श्रेणी की चित्र पहचान है- हिरन, बालियां, पालकी, दो सर्प, तीरंदाजी, शेर, चीता, सूर्या, दौड़ते दो सर्प, , शंखपुष्पी, अलाइना (ग्वालिन) दिखाई देगा। वहांक एक चांद भी अंकेत है कि उसके ऊपर एक अड़ती हुई त्य्ती है। इस के अतिरिक्त एक और एक लड़की कमल का फूल भी है।
कार्य योजना में शामिल निर्माण कार्य
आप को बताते चलें कि 2 वर्ष पूर्व जिला कलेक्टर एवं डीएफओ से लेकर जिले के सभी विभागों के अधिकारी चितवा डोंगरी आए हुए थे। गोंदली जलाशय के तटीय भूभाग को पिकनिक स्पॉट बनाये जाने घोषणा की गई थी। जहां एक खूबसूरत गार्डन का निर्माण किया जाएगा। जलाशय में मोटर बोट चालन की व्यवस्था की जाएगी। चितवा डोंगरी की ढलान पर सीढ़ियां बनाई जाएगी। पहुंच मार्ग को सीमेंटीकरण किया जाएगा। अलावा इसके चितवा डोंगरी की गुफाओं के संरक्षण एवं सौंदर्यीकरण कराने की बात भी कही गई थी। किंतु 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी किसी तरह का गार्डन बना है , यहां तक कि चितवा डोंगरी की गुफाओं के रखरखाव एवं सौंदर्यीकरण के लिए भी कोई कार्य नहीं कराया गया है। संरक्षण के नाम पर आधी अधूरी जाली तार लगाकर महज खानापूर्ति कर दी गई है।
धार्मिक रंग देने का प्रयास
चितवा डोंगरी जो स्वयं ही नैसर्गिक रूप से सौंदर्य है, अनुपम है, दर्शनीय है जहां पर सैलानियों, पर्यटकों के आने जाने में किसी भांति टोका टांकी नहीं होना चाहिए। किंतु चितवा डोंगरी जैसी प्राकृतिक स्थल को धार्मिकता का रंग देने का प्रयास हो रहा है। वहां के गाइड द्वारा पर्यटकों से यह कहते सुना जा सकता है, कि आप इधर नहीं जा सकते, उधर नहीं जा सकते, यहां ऐसा है, वहां वैसा है, यहां जूता चप्पल उतारना अनिवार्य है। देव नाराज हो जाएंगे। तरह-तरह की बातें उनके द्वारा की जाती है, जबकि चितवा डोंगरी पूर्णरूपेण नैसर्गिक है। जहां पर्यटक कहीं भी आ जा सकते हैं। यह हो सकता है देव पाठ हो, लेकिन इतनी पाबंदियां उचित प्रतीत नहीं होता।
भीत्ति एवं शैल चित्रों से छेड़छाड़
वन विभाग की लापरवाही व अनदेखी का परिणाम देखने में आ रहा है की चट्टानों में उकेरी गई प्राचीन कलाकृतियों के साथ छेड़छाड़ होने लगी है। अगर वक्त में उनका संरक्षण अथवा सुरक्षा नहीं की जाती है तो भविष्य में आदिम कालीन मानव द्वारा निर्मित भित्ति चित्रों एवं वाह्य चट्टानों में उकेरी गई चित्रों को बचाए रखना निश्चित रूपेण मुश्किल होगा। ऐसे में वहां देखरेख करने वाले की व्यवस्था के साथ ही अधिक सुरक्षा के उपाय करने होंगे। तभी पाषाण कालीन कलाकृतियों को संरक्षित किया जा सकता है।
अफवाहों से गुफाओं को नुक़सान
गुफाओं के भीतर सोने का एक अदना सा मंदिर होने की बात कही जाती है। हालांकि, देखा नहीं गया है। जिसे चोरी की नियत से निकालने गए लोगों द्वारा चितवा डोंगरी की एक गुफा को नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न किया जा चुका है, जो स्पष्ट है। सोने का मंदिर होना इस अफवाह से और भी गुफाओं को हानि पहुंचाई जा सकती है। ऐसे अफवाहों पर रोक लगाई जाए। पुरातत्व विभाग चितवा डोंगरी के रहस्य को स्पष्ट करें और खोज करें। ताकि इस दर्शनीय एवं नैसर्गिक स्थल को लोग किसी भी प्रकार के लालच में पड़कर क्षति न पहुंचाने पाए।
ऐसा माना जाता है कि चितवा डोंगरी में प्राकृतिक दिव्य शक्ति है। और गुफाओं को खुलवाने से नुकसान होने का अंदेशा भी जताया जाता है। लेकिन यह कितनी हकीक़त है पुरातत्व अवशेषों के इल्म रखने वाले ही बयां कर सकते हैं।
लिखित में नहीं है कोई आदेश
तत्कालीन वनमण्डलाधिकारी मयंक पांडे ने इस बात से साफ इंकार किया कि चितवा डोंगरी में कोई पिकनिक स्पॉट बनाये जाने की योजना भी है। जितना भी निर्माण कार्य किया गया है पर्याप्त है। जहां तक गोंदली जलाशय के तटीय क्षेत्र को पर्यटक स्थल बनाने की बात है तो यह मुश्किल है और वैसे भी वनविभाग के अधिकार क्षेत्र से परे है। पिकनिक स्पॉट बनाये जाने संबंधी किसी प्रकार का लिखित आदेश नहीं है। जितना सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी था उतना कर लिया गया है।
लिखित में नहीं है कोई आदेश