समलूर स्थित कोटवार पारा का “सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र” विभागीय अव्यवस्था के भंवरजाल से कब निकलेगा?

(दंतेवाड़ा से हमारे संवाददाता उमा शंकर एवम् विनीता देशमुख की ग्राउंड रिपोर्ट)

(लोक असर समाचार दंतेवाड़ा)

लोक असर की टीम द्वारा लगातार शहरी एवम् दूरस्थ इलाकों में संचालित हो रहे सक्षम आंगनबाड़ी केंद्रों की समस्याओं को जिला प्रशासन के आगे लाकर रख का प्रयास की जा रही है। अब तक कई केंद्रों की रिपोर्ट लोक असर के वेब साइट में प्रकाशित हो चुकी है। देखना यह है कि इन आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाल स्थिति कब दुरूस्त महिला बाल एवम् विकास विभाग तथा जिला प्रशासन द्वारा करवाया जाता है या फिर उन्हें अपनी हाल पर छोड़ दिया जाता है।

जिला दंतेवाड़ा से जुड़ा, गीदम ब्लॉक का समलूर ग्राम पंचायत के अधीनस्थ कोटवार पारा में संचालित सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र भी जिला प्रशासन की लंबी चुप्पी, अनदेखी और ढीले रवैए से ग्रसित है। बाहरी आवरण देखने से ऐसा लगता है व्यवस्थाएं दुरुस्त होंगी किन्तु भीतर देखने से लगता है महिला बाल विकास विभाग द्वारा शासन के मंशानुरूप क्रियान्वयन कराने में असफल हो रहे हैं।

विद्युत की समस्या से छुटकारा नहीं मिल रहा है

बारिश में इस आंगनवाड़ी केंद्र के छत से रिसते दीवार में पूरी बिजली के वायरिंग व्यवस्था को नाच नचाए हुए हैं। थोड़ी सी चूक होती है तो एक बड़ा संकट के रूप में आंगनबाड़ी के इस केंद्र में हितग्राहियों को निश्चित रूप से भुगतना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि बिजली पिछले एक महीना से नदारत है। पर जब भी रहती है तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने खर्चे से ही लोकल इलेक्ट्रिशियन का सहारा लेकर जैसे तैसे बिजली की छोटी मोटी अव्यवस्थाओं को ठीक करवाते हैं।

ये कथन है आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता सीता बघेल की। बिजली की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से हितग्राहियों हेतु लगी डिजिटल टीवी शो पीस बनकर रह गई है।

ना विभाग ना ग्राम पंचायत देते हैं ध्यान

कार्यकर्ता सीता बघेल कहती है कि हमने कई बार इसकी सूचना और शिकायत पंचायत में सरपंच और सचिव के साथ साथ अपने सुपरवाइजर रामवती मरकाम से भी करी है पर अभी तक इसका कोई उचित और ठोस समाधान नहीं मिल पाया है।

समलुर के इस आंगनवाड़ी केंद्र में मिली जानकारी के अनुसार कुल बच्चों की संख्या 25 बताई गई जिसमें 03 से 06 वर्ष के 02 कुपोषित बच्चे हैं। 06 माह से 03 वर्ष के बीच अति कुपोषित और मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या क्रमशः 02,02 हैं ।

किशोरी बालिका समलुर हाई स्कूल की छात्राएं

अगर सामान्य बच्चों की बात करें तो उनकी संख्या बल 19 है । गर्भवती और शिशुवती महिलाओं की संख्या बल 01 और 04 बताया गया । किशोरियों की संख्या बल रिकॉर्ड के मुताबिक 14 बताई गई और सारी बच्चियां समलुर हाई स्कूल की छात्राएं हैं।

10 वर्षो से बंद पड़ा है आंगनबाड़ी का शौचालय

समलुर के इस आंगनबाड़ी केंद्र में अगर महिला बाल विकास विभाग के सबसे अहम बिंदुओं को ध्यान में रखकर एक बेहद संवेदनशील और निजी समस्या का जिक्र किया जाय तो वह है पिछले लगभग 10 वर्षो से बंद पड़ा शौचालय की व्यवस्था है।

नन्हे मुन्ने बच्चों के साथ-साथ हितग्राही, किशोरियों और महिलाओं को शौचालय नहीं होने के वजह से क्या-क्या निजी समस्याओं से गुजरना पड़ता होगा सहज अंदाजा लगा सकते हैं। कार्यकर्ता सीता बघेल और सहायिका चंपा भवानी कहती है की छोटे छोटे बच्चों को शौच करवाने हेतु हमें बहुत परेशानी होती है। कभी कभी हमें खुद भी शौचालय के नही होने की वजह से अपने आगनवाड़ी केंद्र को छोड़ दूसरी जगह मजबूरन जाना पड़ता है ।

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